Vikas Dubey News: पुलिस का अपनों पर से ही उठा भरोसा, एनएसए लगाने को लेकर किया दावा
Bikru Case Update पुलिस का मानना है कि बिकरू कांड के आरोपित जमानत पर छूटे तो गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं। मामले में डाक्टर और पांच गवाहों को छोड़कर गवाहों की सूची में सभी पुलिस वालों को ही शामिल किया गया है।
कानपुर, जेएनएन। पुलिस को अब 'अपनों' पर ही भरोसा नहीं रहा है। बिकरू कांड को लेकर आरोपितों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (एनएसए) के तहत कार्रवाई करने के पीछे पुलिस का दिया गया तर्क तो यही बता रहा है। पुलिस ने दावा किया है कि अगर आरोपित जेल से छूटे तो गवाहों को प्रभावित करेंगे, जबकि पूरे मामले में डाक्टर और पांच गवाहों को छोड़कर बाकी गवाह पुलिस कर्मी ही हैं।
पुलिस ने बिकरू कांड में सबसे पहले 17 जून को गैंगस्टर विकास दुबे के भतीजे शिवम दुबे, एक जुलाई को रमेश चंद्र और बबलू मुसलमान, पिछले दिनों विकास दुबे के खजांची जय बाजपेयी और प्रशांत उर्फ डब्बू के खिलाफ एनएसए के तहत कार्रवाई की है। पांचों के खिलाफ कार्रवाई में पुलिस ने बताया है कि अगर आरोपित रिहा हुए तो वह गवाहों को प्रभावित करेंगे। अब सवाल यह है कि ऐसे कौन से गवाह हैं, जो आरोपितों के प्रभाव में आकर पक्षद्रोही सकते हैं।
दो जुलाई 2020 को गैंगस्टर विकास दुबे के चौबेपुर थानांतर्गत बिकरू गांव स्थित घर में दबिश डालने गई पुलिस पर घात लगाकर हमला किया गया था, जिसमें सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा समेत आठ पुलिस कर्मी शहीद हो गए थे। 30 सितंबर 2020 को बिकरू कांड की चार्जशीट पुलिस ने अदालत में पेश की थी। उसमें दो जुलाई की घटना को लेकर 102 गवाह बनाए हैं। इनमें पांच गवाह उन डाक्टरों की टीम है, जिसने शहीद पुलिस कर्मियों का पोस्टमार्टम किया था या जिन्होंने घटना के बाद पुलिस कॢमयों का इलाज किया था। इसके बाद 15 पंच गवाह है, जो पोस्टमार्टम के लिए पंचनामा भरते समय रखे जाते हैं। बाकी बचे 82 गवाह पुलिस कर्मी हैं।
अब सवाल यह है कि आखिर आरोपित किन गवाहों को प्रभावित करेंगे, क्योंकि पंच गवाह या डाक्टरों की गवाही से केस पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ेगा। बाकी गवाह पुलिसकर्मी हैं तो क्या उनके अदालत में मुकरने की आशंका पुलिस को है। वहीं, इस मामले में जय बाजपेयी के वकील शिवाकांत दीक्षित का कहना है कि यह एनएसए का दुरुपयोग है। पुलिस के पास एनएसए लगाने का कोई ठोस कारण नहीं था। इसलिए गवाहों को प्रभावित करने का आरोप लगाया, जबकि सभी गवाह पुलिस वाले ही हैं।
-समाज में भय और आतंक फैलाने वालों पर एनएसए की कार्रवाई की जाती है। बिकरू कांड के अपराधी इसी तरह के हैं। इनपर इसीलिए एनएसए की कार्रवाई की गई है। -भानु भाष्कर, एडीजी, कानपुर जोन।