Vikas Dubey News: किशोर न्याय बोर्ड तय करेगा खुशी नाबालिग या बालिग, वकील ने रखे ये तर्क

एंटी डकैती कोर्ट ने खुशी के स्वजनों द्वारा शैक्षिक प्रमाणपत्र दाखिल करने के बाद मामला किशोर न्याय बोर्ड ट्रांसफर कर दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 12:34 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 05:51 PM (IST)
Vikas Dubey News: किशोर न्याय बोर्ड तय करेगा खुशी नाबालिग या बालिग, वकील ने रखे ये तर्क
Vikas Dubey News: किशोर न्याय बोर्ड तय करेगा खुशी नाबालिग या बालिग, वकील ने रखे ये तर्क

कानपुर, जेएनएन। बिकरू कांड के बाद मुठभेड़ में मारे जा चुके अमर दुबे की पत्नी खुशी नाबालिग है या बालिग, इसका फैसला अब किशोर न्याय बोर्ड करेगा। स्वजन ने उसके नाबालिग होने का दावा कर एंटी डकैती कोर्ट में शैक्षिक प्रमाणपत्र दाखिल करते हुए पुलिस पर झूठे मुकदमे में फंसाने का आरोप लगाया है। इसपर विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र राम किशोर ने सुनवाई करते हुए मामला किशोर न्याय बोर्ड को भेजा है। अब बोर्ड उसके बालिग या नाबालिग होने पर फैसला लेगा, जिसपर सुनवाई अगले सप्ताह होगी।

अच्छे नंबरों से पास होती रही है खुशी

खुशी के पिता श्यामलाल तिवारी ने बुधवार को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित क्षेत्र के न्यायालय में प्रार्थना पत्र दिया गया। इसमें उन्होंने कहा है कि वह खुशी के पिता और मुकदमे में पैरोकार हैं। बेटी के खिलाफ गलत तथ्यों पर चौबेपुर पुलिस ने फर्जी मुकदमा दर्ज किया है, जिससे वह आठ जुलाई 2020 से जेल में है। बेटी ने हाईस्कूल तक पढ़ाई की है। अच्छे नंबरों से पास होती रही। सरस्वती प्राथमिक विद्यालय रतनपुर शास्त्री नगर से कक्षा पांच और आठ की परीक्षा पास की, जबकि नौ और दस की शिक्षा शहीद चंद्रशेखर आजाद इंटर कालेज रतनपुर कालोनी पनकी से ग्रहण की। सभी शैक्षिक प्रमाणपत्रों की प्रतियां भी उन्होंने कोर्ट में दाखिल की हैं।

कहा है कि उसकी जन्मतिथि 21 अगस्त 2003 है। इसके हिसाब से घटना के वक्त उसकी आयु 16 साल 10 माह 12 दिन थी। यह आयु किशोर की श्रेणी में आती है। पुलिस ने बेटी को आइपीसी की धारा 147, 148, 149, 302, 307, 394, 120-बी और सेवन सीएलए के तहत जेल भेजा है। जांच कर उसको किशोर घोषित करने की मांग उन्होंने अदालत से की।

कोर्ट ने पूछा पुलिस को क्यों नहीं बताया?

खुशी के पिता के कोर्ट में दिए गए प्रार्थना पत्र पर सुनवाई शुरू करने से पहले विशेष न्यायाधीश ने पूछा, इसकी जानकारी पुलिस को क्यों नहीं दी। इस पर उनके अधिवक्ता शिवाकांत दीक्षित ने उत्तर दिया कि पुलिस ने गिरफ्तारी की कोई सूचना परिवार वालों को नहीं दी थी। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्णीत केस डीडी बसु का हवाला दिया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि किसी की भी गिरफ्तारी के तत्काल बाद उसके परिवार अथवा निकट संबंधी को सूचना देना अनिवार्य है। तर्क दिया कि पुलिस ने मामले में इसका पालन नहीं किया है। यदि करती तो उसी वक्त खुशी के नाबालिग होने की जानकारी दे देते।

शादी का मुद्दा भी उठा

खुशी को नाबालिग घोषित करने के प्रार्थना पत्र पर सहायक शासकीय अधिवक्ता ने सवाल उठाया कि फिर शादी कैसे कर दी गई? इस पर अधिवक्ता ने जवाब दिया कि यह पुलिस की विवेचना का विषय है। विकास दुबे के दबाव में खुशी की जबरन शादी की बात को लेकर पुलिस जांच भी कर रही है। वैसे, जबरन शादी की बात सामने आने के बाद खुशी का अमर दुबे के साथियों के साथ डांस करते वीडियो भी वायरल हुआ था।

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