Vikas Dubey News: बिकरू कांड के गुनहगारों पर बढ़ाई गई धारा-34, कड़ी सजा का रास्ता साफ
पुलिस द्वारा चौबेपुर के बिकरू कांड में धारा-34 बढ़ाए जाने के बाद अब सभी आरोपित समान सजा के हकदार होंगे इसके अलावा मुकदमे में सरकारी काम में बाधा डालने और विस्फोटक अधिनियम की धारा भी बढ़ाई गई है।
कानपुर, जेएनएन। देर आए दुरुस्त आए...पुलिस ने बिकरू कांड के सभी आरोपितों के मुकदमे में धारा-34 बढ़ा दी है। इसके बढऩे से अब सभी आरोपितों को कड़ी सजा का रास्ता साफ हो गया है। इसके साथ ही सरकारी कार्य में बाधा और विस्फोटक अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की गई है।
पुलिस ने चौबेपुर थाने में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे और उसके साथियों पर भारतीय दंड संहिता (आइपीसी) के मुताबिक हत्या, जान से मारने का प्रयास, बलवा, साजिश, डकैती के साथ ही सेवन क्रिमिनल एक्ट की धारा में मुकदमा दर्ज किया था। दैनिक जागरण ने 10 अगस्त को बिकरू कांड में सामने आई पुलिस की एक और चूक, नहीं लगाई धारा 34 शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। आइपीसी की धारा-34 का प्रयोग नहीं करने पर पुलिस कोर्ट में यह साबित नहीं कर पाती हमला गिरोहबंद होकर एकराय से किया गया।
एसपी ग्रामीण बृजेंद्र श्रीवास्तव के मुताबिक जांच के बाद पुलिस ने आरोपितों के खिलाफ धारा-34 बढ़ा दी है। इसके अलावा आरोपितों पर सरकारी कार्य में बाधा डालने के साथ ही विस्फोटक पदार्थ अधिनियम का आरोप भी बढ़ाया गया है, क्योंकि वारदात में बम के प्रयोग हुए। बाद में तलाशी में पुलिस को दो किलो बारूद भी मिला था। पुलिस ने पूर्व में लगाई गई डकैती की धारा 394 को हटाकर उसके स्थान पर हत्यायुक्त डकैती की धारा 396 लगाई है। इसके अलावा आइपीसी की धारा 504 (शांतिभंग के इरादे से जानबूझकर अपमान करना) व 506 (धमकी देने) की बढ़ोत्तरी भी की गई है।
जानें-क्या होती है धारा-34
आइपीसी की धारा-34 के अनुसार जब एक आपराधिक कृत्य दो या अधिक लोग सामान्य इरादे से करते हैं तो हर व्यक्ति ऐसे कार्य के लिए जिम्मेदार होता है।
बड़े अपराध की सजा के बराबर दंड का प्रावधान
धारा 34 में किसी अपराध की सजा की बारे में नहीं बताया गया है, बल्कि एक ऐसे अपराध के बारे में बताया गया है जो गिरोहबंद होकर किया गया हो। ऐसे अपराध में सभी योजनाबद्ध होकर घटना को अंजाम देते हैं। इसमें शामिल हर व्यक्ति आपराधिक कार्य के लिए अपनी भूमिका निभाता है तो सजा का ऐसे हकदार होता है मानो वह कार्य अकेले उसी ने किया हो। ऐसे में घटना में सबसे बड़े अपराध की सजा के बराबर दंड का प्रावधान है।