Shocking News: कोरोना संक्रमण के समय चलने की हालत में नहीं हैलट के 30 वेंटीलेटर, आइआइटी ने की मदद
कोरोना संक्रमण के समय जब वेंटिलेटर की बेहद जरूरत है तब हैलट में 30 वेंटीलेटर नहीं चल रहे हैं। इन्हें ठीक करने के लिए कंपनी के इंजीनियरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। आइआइटी से मदद मांगने पर चार नए वेंटिलेटर जरूर मिल गए हैं।
कानपुर, जेएनएन। हैलट में 30 वेंटिलेटर चलने की स्थिति में नहीं हैं। उनमें फंक्शन व सेटिंग संबंधित तकनीकी गड़बड़ी है। इसे पिछले वर्ष भी चलाया नहीं जा सका था। कंपनी के इंजीनियरों ने इसे ठीक करने को लेकर हाथ खड़े कर दिए हैं। मेडिकल कॉलेज के अधिकारियों ने आइआइटी के विशेषज्ञों से मदद मांगी, जिस पर संस्थान की ओर से चार नए अत्याधुनिक वेंटिलेटर दिए गए हैं। हैलट के दो दर्जन वेंटिलेटर में सेंसर, मॉनीटर, फिल्टर, ऑन ऑफ स्विच और कुछ में वायर की गड़बड़ी है। यह पीएम केयर फंड से मिले थे। इनके कुछ पाट्र्स मिल नहीं पा रहे हैं।
हैलट को कोरोना संक्रमण की पहली लहर में पिछले साल पीएम केयर फंड से 90 से अधिक वेंटिलेटर मिले थे। 30 वेंटिलेटर शासन की ओर से दिए गए थे। अस्पताल प्रशासन ने इनको चालू कराया तो नहीं चल सके। यह एग्वा कंपनी के थे, जबकि 90 वेंटिलेटर बेल कंपनी के थे। डॉक्टरों ने नए वेंटिलेटर और मेडिसिन आइसीयू के हाईटेक वेंटिलेटर को न्यूरो साइंस कोविड अस्पताल और मेटरनिटी ङ्क्षवग में स्थापित करा दिए। इस वर्ष इनको चालू कराया गया। मौजूदा समय में 151 वेंटिलेटर में से 96 ही काम कर रहे हैं। प्राचार्य प्रो. आरबी कमल ने बताया कि एग्वा कंपनी के इंजीनियरों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। उनमें फंक्शन और सेंटिंग संबंधी दिक्कत हैं। अन्य वेंटिलेटर में मामूली रूप से दिक्कतें हैं। उनसे काम चल रहा है। शासन को जानकारी दी गई है। कंपनी को भी पत्र लिखा गया है।
आइआइटी के वेंटिलेटर आज से करेंगे काम
रविवार को आइआइटी के निदेशक प्रो. अभय कंरदीकर, उप निदेशक प्रो. एस गणेश, डीन इनोवेशन एंड इंक्यूबेशन प्रो. अमिताभ बंद्योपाध्याय ने डीएम आलोक तिवारी, नगर आयुक्त अक्षय त्रिपाठी की उपस्थिति में चार अत्याधुनिक वेंटिलेटर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल को सौंपे। इन्हें सोमवार से चालू कर दिया जाएगा। प्रो. अभय करंदीकर ने बताया की मुश्किल समय में मेडिकल कॉलेज के साथ आइआइटी खड़ा है। आइआइटी ने जो वेंटिलेटर दिए हैं, वे पूरी तरह से जांचे गए हैं। इसे संस्थान के पुरातन छात्र निखिल कुरेले की इंक्यूबेटेड कंपनी ने विशेषज्ञों की देखरेख में तैयार किया है। महाराष्ट्र, बेंगलुरु, चेन्नई समेत अन्य राज्यों के अस्पतालों में इस्तेमाल हो रहे हैं।