बेटियों के साथ हैवानियत की ऐसी दास्तां, जिसे सुनकर दहल जाए दिल Kanpur News

कानपुर और आसपास के जिलों में भी जिंदा रहकर तिल-तिल मरती हैं बेटियां।

By AbhishekEdited By: Publish:Sun, 08 Dec 2019 03:38 PM (IST) Updated:Sun, 08 Dec 2019 03:38 PM (IST)
बेटियों के साथ हैवानियत की ऐसी दास्तां, जिसे सुनकर दहल जाए दिल Kanpur News
बेटियों के साथ हैवानियत की ऐसी दास्तां, जिसे सुनकर दहल जाए दिल Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। दुष्कर्म की शिकार बेटियां किस दर्द से गुजरती हैं, इसे सिर्फ पीडि़ता या उनके परिवारीजन ही महसूस कर सकते हैं। इंसाफ न मिले तो यह दर्द नासूर बन जाता है और हर पल दिल को बेधता रहता है। उन्नाव में जिंदा जलाई गई दुष्कर्म पीडि़ता के साथ हुई घटना के बाद कानपुर व आसपास के जिलों में भी दूसरी पीडि़ताओं के परिवारों से बात की गई तो उनका दर्द आंसू बनकर छलक पड़ा। नम आंखों में बस इंसाफ की दरकार थी।

चार साल से मिल रही तारीख, इंसाफ का इंतजार

22 अप्रैल 2015 को क्षेत्रीय युवक शंकर झा और कमलेश ने बेटी का अपहरण किया और दो माह तक कमरे में बंद कर दुष्कर्म करते रहे। 21 जून को बेटी वहां से भागकर बर्रा पुलिस के पास पहुंची। मैंने रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पैरवी शुरू की। सितंबर 2015 में पुलिस ने अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो के तहत चार्जशीट दाखिल की। आरोपित शंकर फरार है और कमलेश जेल में है। दो मार्च 2016 को न्यायालय ने आरोप पत्र तय किए। दो सितंबर 2017 को मेरे और 27 फरवरी 2018 को बेटी के बयान दर्ज हुए, लेकिन दो वर्ष बीत जाने के बावजूद तीसरी गवाही नहीं हो सकी। बेटी को इंसाफ दिलाने के लिए हर तारीख पर कचहरी पहुंची, लेकिन अब लगता है कि सिस्टम से हार गई। घटना के बाद से लोगों की अजीब निगाहों से गुजरना पड़ता है। पड़ोसी, परिचित और रिश्तेदारों के व्यवहार में अंतर आ गया है। मुकदमा वापसी के धमकियां मिलती हैं। चार साल से सिर्फ तारीख मिल रही है, इंसाफ नहीं मिला। (कानपुर की पीडि़ता की मां ने सुनाई आपबीती)

वर्दी वाले ने तार-तार कर दी बेटी की अस्मत

कक्षा नौ में पढऩे वाली बेटी को पढऩे-खेलने की उम्र में एक वर्दी वाला ही जिंदगी भर का असहनीय दर्द दे गया। घटना 17 जुलाई की है। 14 वर्षीय बेटी कमरे में पढ़ रही थी। हम सभी लोग सो रहे थे। देर रात दरवाजे पर दस्तक हुई। बेटी ने गेट खोला और उसकी हंसती-खेलती दुनिया बर्बाद हो गई। कांधी चौकी में तैनात सिपाही ने बेटी से दुष्कर्म किया और उसके हाथ-पैर बांधकर फरार हो गया। मैं जागी और बेटी को बंधनमुक्त कराया। थाने में जाकर रहथू, उतरवां गांव, जिला प्रयागराज निवासी सिपाही नीरज कुमार के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। तीन माह पूर्व कोर्ट में आरोप पत्र प्रस्तुत हुए। एसपी ने गत 14 नवंबर को उसे पुलिस सेवा से बर्खास्त कर दिया। (कानपुर देहात की एक मां ने बयां किया दर्द) 

रिश्ते को शर्मसार कर गया मामा

सबकी चहेती वह 9 साल की मासूम तो दुनियादारी से अनजान थी। रिश्तों को समझना सीख रही थी लेकिन रिश्ते के मामा की तो कुदृष्टि उस पर थी। सात नवंबर को परिवार के लोग एक शादी में गए तो 25 वर्षीय मामा सचिन उसे पुराने मकान में ले गया और दोनों हाथ रस्सी से बांधने के बाद मुंह में कपड़ा ठूंस दुष्कर्म कर डाला। हैवानियत की हद यहीं खत्म नहीं हुई। पहचाने जाने के डर से गला घोटकर हत्या कर दी और शव को निर्माणाधीन शौचालय में डाल दिया। घटना के नवें दिन क्राइम ब्रांच और जसवंतनगर थाना पुलिस ने नेशनल हाईवे टू पर मुठभेड़ में गिरफ्तार कर लिया। मुठभेड़ में उसके एक पैर में तीन गोलियां लगी थीं। बेटी को याद करके उसकी मां बिलख पड़ती है, वह कहती है कि आरोपित को भी वैसी ही सजा दी जाए तो बेटी की आत्मा को शांति मिलेगी। (इटावा से बच्ची की मां की जुबानी) 

बहन के देवर ने दिया दर्द

मौदहा कोतवाली क्षेत्र निवासी पीडि़ता को बहन के देवर ने जिंदगी भर का दर्द दे दिया। वह अपनी बीमार बहन की देखभाल करने को उसके घर सूरत गुजरात गई थी। इस बीच बहन के देवर ने उसके साथ 25 नवंबर 2017 को दुष्कर्म किया। घरवालों को आपबीती बताई तो मुकदमे के डर से बहन के ससुर व जेठ ने दबाव बनाकर दस रुपये के स्टांप पेपर पर लिखा पढ़ी कराकर आरोपित से ही शादी करा दी। लेकिन तीन दिन बाद उसे घर से निकाल दिया गया। उसके पिता के गिड़गिड़ाने पर आरोपित दहेज की मांग करने लगे। इंसाफ के लिए मौदहा कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराने गई तो पहले कोतवाली पुलिस ने मुकदमा दर्ज करने से मना कर दिया। बाद में एसपी के आदेश से 23 अक्टूबर 2018 को मुकदमा दर्ज किया गया। 24 अक्टूबर को पुलिस ने बयान लेने के साथ नक्शा आदि तैयार किया। 29 अक्टूबर को उसकी डॉक्टरी कराई गई और 30 को न्यायालय में 164 के बयान कराए गए। मौजूदा में मामला एफटीसी प्रथम न्यायालय में विचाराधीन है। पीडि़ता कहती है कि इस घटना ने उसे बहुत दर्द दिया और अपनी बहन से भी दूर कर दिया। (हमीरपुर की पीडि़ता की जुबानी)

अदालत ने समझी पीड़ा तब दर्ज हुआ मुकदमा

सात जून 2019 का दिन काला दिन था जिसका दर्द कभी नहीं भूल सकती। भरतकूप चौकी क्षेत्र स्थित घर में गांव के युवक ने दुष्कर्म किया था। शिकायत करने पर आरोपित के स्वजनों ने पीटा भी था। दस बार थाना और चौकी के चक्कर लगाए लेकिन पुलिस ने एफआइआर दर्जन नहीं की। आरोपित सामने से सीना तानकर निकलते थे तो दिल जार-जार रोता था। आखिर में कोर्ट की शरण ली। कोर्ट ने आदेश दिया तो पुलिस ने 10 नवंबर को प्राथमिकी दर्ज किया। पांच आरोपितों मुकदमा दर्ज हुआ। रिपोर्ट दर्ज होने के तीन दिन बाद उसका मेडिकल कराया गया। अब विवेचना के नाम पर चौकी में पांच बार बुलाया जा चुका है। परिवार व रिश्तेदारों ने तो नाता नहीं तोड़ा लेकिन समाज में शर्मिंदगी जरूर होती है। (चित्रकूट की पीडि़ता ने बयां की आपबीती) 

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