अंतरिम जमानत पर छूटकर कर रहा था वाहन चोरी, गिरफ्तार
जेएनएन कानपुर कोरोना संक्रमण के चलते अंतरिम जमानत पर एक शातिर अपराधी जेल से रिहा होकर भी चोरी कर रहा था।
जेएनएन, कानपुर: कोरोना संक्रमण के चलते अंतरिम जमानत पर एक शातिर अपराधी जेल से रिहा हो गया। रिहाई का फायदा उठाते हुए वह वाहन चोरी करने लगा। सोमवार को चकेरी पुलिस ने उसे चोरी की कार सहित गिरफ्तार कर लिया। अभियुक्त पर कानपुर व संतकबीर नगर के अलग-अलग थानों में मुकदमें दर्ज हैं। आरोपित 2018 में नौबस्ता में बैंक नकबजनी का मुख्य आरोपित था।
चकेरी पुलिस ने सनिगंवा मोड़ से चोरी की सेंट्रो कार सहित एक वाहन चोर को गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि आरोपित का नाम भानू प्रताप है जो कि गोविदनगर की नगर महापालिका कालोनी का रहने वाला है। पुलिस ने जब भानु से पूछताछ की और उसके बारे में जानकारी जुटाई तो सभी सन्न रह गए। पता चला कि भानू बहराईच व बस्ती जनपद से भी जेल जा चुका है। वर्ष 2018 में नौबस्ता क्षेत्र में हुई करोड़ों की बैंक नकबजनी में मुख्य आरोपी था, जिसमें आरोपितों ने बैंक लॉकर काटकर करोड़ों के जेवर कर दिए थे। पुलिस के मुताबिक 13 मई 2021 को वह जिला कारागार से कोविड-19 को देखते हुए अंतरिम जमानत पर बाहर आया था। जमानत पर आते ही भानू ने दोबारा से वाहन चोरी में लिप्त हो गया। सोमवार को पुलिस को सूचना मिली की वह एक चोरी की कार लेकर सनिगंवा क्षेत्र में आया हुआ है। उसके पास एक चोरी की सेंट्रो कार (नंबर क्क14न्क्च1363) बरामद हुई है। वह चोरी की गाड़ियां नेपाल में बेचता था, मगर लॉकडाउन के चलते नेपाल जाकर नहीं बेच पाया था। उस पर गैंगस्टर समेत अलग-अलग धारा में आठ मुकदमें दर्ज हैं। गिरफ्तार करने वालों में चकेरी थाना प्रभारी दधिबल तिवारी, एसआइ अविसार सिंह आदि शामिल रहे। नारायण की हमराही बन गई थी पुलिस, कानपुर : हिस्ट्रीशीटर मनोज सिंह को अपनी जन्मदिन पार्टी से पुलिस अभिरक्षा से फरार कराने वाले नारायण सिंह को पुलिस एक जमाने में अपना नारायण मान बैठी थी। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लखनऊ की अदालत से जारी कुर्की आदेश में भी पुलिस ने खेल करते हुए नारायण के खाली पड़े मकान की कुर्की करके कागजी खानापूरी कर दी थी। लखनऊ के इंद्रनगर निवासी शरद कुमार मिश्रा ने 21 अक्टूबर 2017 को मुकदमा लखनऊ के ही गाजीपुर थाने में दर्ज कराया था, जिसमें नारायण सिंह और उनके पड़ोसी की बेटी शिखा दीक्षित को आरोपित बनाया गया था। आरोप है कि आरोपितों ने उस पर जानलेवा हमला किया। इस मामले में नारायण सिंह न तो गिरफ्तार हुए और न उन्होंने आत्मसमर्पण ही किया। इस प्रकरण में लखनऊ की विशेष मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की कोर्ट ने 27 अप्रैल 2019 को कुर्की का आदेश जारी किया था। कुर्की आदेश नारायण सिंह के 123-21 बी ब्लॉक किदवई नगर आवास के लिए जारी हुआ था, लेकिन महीनों तक किदवई नगर पुलिस अदालत के आदेश को भी दबाए रही। खास बात है कि नारायण सिंह इस मकान में कभी रहे ही नहीं। वह अपने परिवार के साथ 13-5 साइड नंबर दे कालोनी किदवई में रहते हैं। पुलिस रिकार्ड में दर्ज इस पते पर उनका गोदाम है, जो खाली पड़ा है। यानी पुलिस की जांच में नारायण सिंह का गलत पता दर्ज कराया गया था। जिस मकान की कुर्की की गई उसमें केवल चंद टूटी फूटी कुर्सी बरामद कराकर पुलिस ने कुर्की की कार्रवाई पूरी कर ली थी। मारपीट व पथराव मामले में दोनों पक्षों ने लिखाई रिपोर्ट, कानपुर : बजरिया में हरसहाय कालेज के पीछे नशेबाजी के विवाद में दो पक्षों के बीच हुई मारपीट व पथराव के मामले में दोनों पक्षों ने मुकदमा दर्ज कराया है। एक पक्ष से मारपीट व एससीएसटी एक्ट की धारा में रिपोर्ट लिखाई गई तो दूसरे पक्ष ने बलवा, मारपीट व पथराव करने के आरोप में मुकदमा लिखाया। रविवार रात हरसहाय कालेज के पीछे सड़क पर नशेबाजी कर रहे युवकों को टोकने पर विवाद हो गया था। आरोपितों ने बस्ती में रहने वाले अपने साथियों को बुलाकर लाठी डंडे से हमला व पथराव कर दिया था। जवाब में दूसरे पक्ष ने भी ईंट पत्थर चलाए। पथराव में एक पक्ष से विक्की वाल्मीकि व उसके साथी और दूसरे पक्ष से ऐश्वर्य प्रताप सिंह उर्फ मनी व उसका साथी घायल हो गया था। सूचना पाकर पुलिस पहुंची तो पथराव करने वाले तमाम आरोपित फरार हो गए। इसके बाद दोनों पक्ष थाने पहुंचे। विक्की ने मनी सिंह के खिलाफ मारपीट, गाली गलौज, हमला करने की धारा में तो मनी ने मोगली उर्फ करन और उसके 50 अन्य साथियों के खिलाफ बलवा, मारपीट, हमला आदि धाराओं में रिपोर्ट लिखाई। थाना प्रभारी राममूर्ति यादव ने बताया कि नशेबाजी को लेकर दो पक्षों में मारपीट हुई थी। विवेचना के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। अपर पुलिस आयुक्त डा. मनोज कार्यमुक्त, कानपुर : अपर पुलिस आयुक्त मुख्यालय डॉ. मनोज कुमार सोमवार को कमिश्नरेट से कार्यमुक्त कर दिये गए। डॉक्टर मनोज अब प्रतिनियुक्ति पर जा रहे हैं। उन्हें संयुक्त निदेशक वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय भेजा गया है। कमिश्नरेट में उनका कार्यकाल लगभग ढाई महीने का ही रहा।