IIT ने विकसित की तकनीक, अब दूरस्थ क्षेत्रों तक कोल्ड चेन के बगैर पहुंचेगी वैक्सीन Kanpur News
आइआइटी के बायोसाइंस एंड बायो इंजीनिय¨रग विभाग के प्रो. डीएस कट्टी ने की खोज
कानपुर, [विक्सन सिक्रोडिय़ा]। रोगों की रोकथाम के लिए लगाई जाने वाली वैक्सीन कोल्ड-चेन में रखने की जरूरत नहीं होगी। अब इन्हें आम दवाओं की तरह ही सामान्य तापमान में रखा जा सकेगा। आइआइटी के बायोसाइंस एंड बायो इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डीएस कट्टी और पीएचडी छात्रा नम्रता बरुआ ने ये तकनीक विकसित की है। शिगेला संक्रमण से बचाने के लिए लगाई जाने वाली शिगोलोसिस वैक्सीन पर इसका सफल प्रयोग किया जा चुका है।
वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया में बदलाव
प्रो. कट्टी ने बताया कि इसके लिए वैक्सीन तैयार करने की प्रक्रिया में थोड़ा सा बदलाव किया गया है। अभी तक शैफ्रान (एक प्रकार की सेल) होने के कारण सभी वैक्सीन को कोल्ड चेन में रखा जाता है। दो साल तक चले शोध के दौरान सबसे पहले शिगोलोसिस वैक्सीन से शैफ्रान को अलग कर दिया और इसे चार माह तक सामान्य तापमान में रखा। कोई असर न पडऩे पर चूहों पर अध्ययन किया गया। वैक्सीन लगाने के बाद शिगेला संक्रमण के पांच गुना अधिक डोज दिए गए, लेकिन वैक्सीन ने अपना काम किया और चूहों पर संक्रमण का कोई असर नहीं हुआ। उन्होंने बताया कि इस तकनीक का प्रयोग अन्य वैक्सीन पर भी किया जा सकता है।
क्या है शिगेला संक्रमण
प्रदूषित खाना, दूषित पानी व साफ सफाई का ध्यान न रखने पर शिगेला संक्रमण होता है। यह एक बैक्टीरियल इंफेक्शन है, जिससे मरीज के पेट में दर्द, ऐंठन, सूजन, बुखार, दस्त एवं उल्टी के लक्षण मिलते हैं।
गांव-गांव वैक्सीन पहुंचाने में होगी आसानी
इस तकनीक की मदद से ऐसी वैक्सीन तैयार की जा सकती हैं, जिन्हें बिना कोल्ड चेन के दूर-दराज के क्षेत्रों में ले जाने में आसानी होगी। अभी तक कोल्ड चेन की कमी के कारण अक्सर गांव में टीकाकरण अभियान प्रभावित होते हैं। आइआइटी कानपुर की इस खोज से कई दिन सामान्य तापमान में रखने के बाद भी वैक्सीन की क्षमता प्रभावित नहीं होगी। इसके अलावा कोल्ड चेन न होने से हर साल खराब होने वाली लाखों खुराक वैक्सीन में भी कमी आएगी।