कानपुर में उर्स पर हुआ जलसा, देश में अमन, खुशहाली और कोरोना से निजात की मांगी गई दुआ

आलिम ही नहीं सूफी व समाज सुधारक भी थे हाफिज-ए मिल्लत। लोगों को अशिक्षा के अंधेरे से निकाल कर शिक्षा के उजाले में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि हाफिज ए मिल्लत से अकीदत रखने वालों को उनके नक्श ए कदम पर चलना चाहिए।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Fri, 15 Jan 2021 02:58 PM (IST) Updated:Fri, 15 Jan 2021 02:58 PM (IST)
कानपुर में उर्स पर हुआ जलसा, देश में अमन, खुशहाली और कोरोना से निजात की मांगी गई दुआ
कानपुर में उर्स के अवसर पर मनाए गए जलसे की सांकेतिक तस्वीर।

कानपुर, जेएनएन। हाफिज-ए-मिल्लत का उर्स अकीदत ओ एहतराम से मनाया गया। इस दौरान उनकी जिंदगी पर रोशनी डाली गई। कुल के बाद मुल्क में अमन, खुशहाली कोरोना से निजात की दुआ की गई। 

हीरामन का पुरवा स्थित एक मदरसे में मनाए गये उर्स के दौरान जलसे को संबोधित करते हुए आॅल इंडिया गरीब नवाज काउंसिल के जिलाध्यक्ष मौलाना महताब आलम मिस्बाही ने कहा कि हाफिज-ए-मिल्लत मुफ्ती अब्दुल अजीज मुरादाबाद के एक गांव भोजपुर में वर्ष 1894 में पैदा हुए। वे बहुत सादगी पसंद थे। उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उन्होंने मुबारकपुर में जामिया अशरफिया मिस्बाहुल उलूम की बुनियाद रखी। यहां से हर वर्ष आलिम, मुफ्ती, हाफिज बनकर निकलने का सिलसिला जारी है। जामिया अशरफिया मिस्बाहुल उलूम का नाम पूरी दुनिया में हैं।

जलसे को संबोधित करते हुए मौलाना मुर्तजा शरीफी मिस्बाही ने कहा कि  हाफिज  ए मिल्लत कम बोलने वाले थे। लोगों को उनकी जिंदगी से सीख लेने की जरूरत है। मौलाना जुनैद बरकाती मिस्बाही ने कहा कि  हाफिज ए मिल्लत सिर्फ आलिम ही नहीं सूफी व समाज सुधारक भी थे।  उन्होंने लोगों को अशिक्षा के अंधेरे से निकाल कर शिक्षा के उजाले में लाने का काम किया। उन्होंने कहा कि हाफिज ए मिल्लत से अकीदत रखने वालों को उनके नक्श ए कदम पर चलना चाहिए। जलसे में  मुफ्ती मोहम्मद नजमुद्दीन कादरी, मुफ्ती मोहम्मद हुसैन मिस्बाही, मौलाना मोहम्मद उमर कादरी, मौलाना साकिब अदीब मिस्बाही, मौलाना मोहम्मद सालिम मिस्बाही, मौलाना नियाजुल्लाह मिस्बाही, मौलाना शोएब मिस्बाही, मौलाना फैजान रजा, मौलाना गुलाम हसन आदि रहे।

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