हवा को शुद्ध करने का खोजा गया विकल्प, यूपीटीटीआइ के इनोवेशन सेंटर में विकसित होगी यह नई तकनीक
इनोवेशन सेंटर व शोध केंद्र में नए सत्र से यह तकनीक विकसित की जाएगी। पीएम-2.5 व पीएम-10 के सूक्ष्म कण इसे भेदकर अंदर नहीं आ सकेंगे। इसके अलावा यह उन सूक्ष्म कणों से भी सुरक्षित रखेगा पर्यावरण में उड़ते रहते हैं और फेफड़े व हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं।
कानपुर, जेएनएन। वायरस व बैक्टीरिया जनित बीमारियों से अब नैनो टेक्सटाइल मास्क बचाएगा। उत्तर प्रदेश वस्त्र एवं प्रौद्योगिकी संस्थान ‘यूपीटीटीआइ’ एक ऐसा फिल्टर बनाने जा रहा है जो थ्री डी स्ट्रक्चर पर आधारित होगा। इसकी विशेषता होगी कि इसमें दो व तीन लेयर नहीं होंगी बल्कि इसकी डिजाइन इस प्रकार से बनाई जाएगी जो वायरस व बैक्टीरिया को सांसों में प्रवेश नहीं करने देगी।
इस तरह से सूक्ष्म कणों से बचाएगा मास्क
यूपीटीटीआइ में बनाए गए इनोवेशन सेंटर व शोध केंद्र में नए सत्र से यह तकनीक विकसित की जाएगी। इसकी रूपरेखा तैयार कर ली गई है। संस्थान के एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ. जेपी सिंह इस तकनीकी पर काम कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि पाॅलिस्टर पाॅलिमर से यह फिल्टर बनाया जाएगा। इसकी डिजाइन इस प्रकार की होगी जिसमें गहराई बढ़ाई जाएगी। अभी फैब्रिक एक, दो, तीन व पांच लेयर तक होता है। लेकिन इसमें लेयर कम होंगे जबकि अंदर का पाथ घुमावदार होगा। ऐसे स्ट्रक्चर से सांस लेने के लिए ताजी हवा तो पास हो जाएगी लेकिन वायरस नहीं घुस सकेगा। डाॅ. सिंह ने बताया कि पीएम-2.5 व पीएम-10 के सूक्ष्म कण इसे भेदकर अंदर नहीं आ सकेंगे। इसके अलावा यह उन सूक्ष्म कणों से भी सुरक्षित रखेगा पर्यावरण में उड़ते रहते हैं और फेफड़े व हृदय को नुकसान पहुंचाते हैं।
साल भर किए अध्ययन के बाद बनाई रूपरेखा
यूपीटीटीआइ की प्रयोगशाला में साल भर तक नैनो टेक्सटाइल पर अध्ययन करने के बाद अब आधुनिक रिसर्च में इसकी तकनीकी का परीक्षण किया जाएगा। जो फैब्रिक वह बनाने जा रहे हैं उस पर सिल्वर नैनो पार्टिकल व कार्बन नैनो ट्यूब की कोटिंग की जाएगी। अभी तक इसके परीक्षण के लिए संस्थान में आधुनिक लैब की व्यवस्था नहीं थी जबकि छात्र भी कोरोना वायरस के चलते छुट्टी पर थे। अब दोबारा आॅफलाइन कक्षाएं शुरू होने के बाद इस प्रोजेक्ट को अंतिम रूप दिया जाएगा।