कानपुर में 40 फीसद तक हो रही जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति, जन औषधि केंद्रों पर 60 फीसदी दवाओं की कमी

कोविड के बाद दिल्ली और मुंबई में बाढ़ का असर दवाओं के बाजार पर देखने को मिल रहा है। स्टाक की पूर्ति नहीं हो पाने से इन दिनों ज्यादातर जन औषधि केंद्र में 40 फीसदी दवाएं मिल रही है।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Sun, 01 Aug 2021 04:45 PM (IST) Updated:Sun, 01 Aug 2021 04:45 PM (IST)
कानपुर में 40 फीसद तक हो रही जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति, जन औषधि केंद्रों पर 60 फीसदी दवाओं की कमी
दवाओं की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। मरीजों को सस्ती दवाएं आसानी से उपलब्ध कराने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा जन औषधि केंद्र की शुरुआत की गई थी। जो वर्तमान में कोविड और बाढ़ के प्रभाव के कारण पर्याप्त मात्रा जन औषधि केंद्रों तक नहीं पहुंच पा रही है। जिसके कारण शहर के संचालित जन औषधि केंद्रों पर शुगर, बीपी, एंटीबाॅडी, मल्टीविटामिन सहित कई दवाओं की कमी देखने को मिल रही है। एलएलआर व उर्सला सहित डफरिन में संचालित केंद्रों पर आने वाले पर्चों पर जेनेरिक दवाओं को डाक्टरों द्वारा लिखा जा रहा है।

कोविड के बाद दिल्ली और मुंबई में बाढ़ का असर दवाओं के बाजार पर देखने को मिल रहा है। स्टाक की पूर्ति नहीं हो पाने से इन दिनों ज्यादातर जन औषधि केंद्र में 40 फीसदी दवाएं मिल रही है। परेड स्थित उर्सला अस्पताल में बने जन औषधि केंद्र पर वर्तमान में लगभग 200 दवाएं उपलब्ध हैं। केंद्र संचालक शशांक ने बताया कि कोविड काल और बाढ़ के असर से दिल्ली और मुंबई से पर्याप्त स्टाफ नहीं मिल पा रहा है। जिस कारण विटामिन, मल्टी विटामिन, शुगर, बीपी की दवाओं की खोज कर रहे मरीजों को भटकना पड़ रहा है। इसी प्रकार एलएलआर और अन्य केंद्रों पर कार्डियक और कई जेनेरिक दवाएं की देखने को मिली। डफरिन के संचालक ने बताया कि सर्जिकल सामान और महिलाओं के प्रसव से जुड़ी कई दवाएं नहीं मिल रही है।

डाक्टर लिख रहे ज्यादातर जेनेरिक दवा: केंद्रों पर कार्यरत कर्मचारियों के मुताबिक अस्पताल से दिखाकर आने वाले ज्यादातर मरीजों को डाक्टर जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं। दवाओं की कमी के कारण कई मरीज जेनेरिक दवाओं के स्थान पर दूसरी दवाएं ले रहे हैं। उर्सला के केंद्र पर दवा लेने पहुंची पूजा अग्निहोत्री बतातीं हैं कि जब से इलाज शुरू किया तब से लगातार डाक्टर जेनेरिक दवाएं लिख रहे हैं। जब जेनेरिक दवा नहीं मिलती तब डाक्टर दूसरी दवा लिखते हैं।

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