केडीए से यूपीसीडा लेगा 10 हजार वर्ग मीटर भूमि, रूमा में निवेश को इच्छुक हैं उद्यमी

कानपुर में रूमा के औद्योगिक क्षेत्र में मास्टर प्लान में 75 मीटर चौड़ी रोड छोड़ी गई थी जिसका प्रावधान अब खत्म कर दिया गया है। यहां पर बड़े पैमाने पर उद्यमी निवेश के लिए इच्छुक हैं और फ्लैटेड फैक्ट्री की स्थापना भी हो सकेगी।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 03 Aug 2021 12:53 PM (IST) Updated:Tue, 03 Aug 2021 12:53 PM (IST)
केडीए से यूपीसीडा लेगा 10 हजार वर्ग मीटर भूमि, रूमा में निवेश को इच्छुक हैं उद्यमी
रूमा में औद्योगिक क्षेत्र के विकास की तैयारी।

कानपुर, जेएनएन। रूमा औद्योगिक क्षेत्र में 10 वर्ग मीटर भूमि राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) को मिल सकती है। यह भूमि केडीए के मास्टर प्लान में 75 मीटर चौड़ी सड़क के लिए आरक्षित थी बाद में सड़क का प्रावधान केडीए ने खत्म कर दिया, क्योंकि यहां सड़क निर्माण की आवश्यकता ही नहीं थी। इसलिए सड़क का निर्माण नहीं हो पाया। यह भूमि औद्योगिक क्षेत्र में है। लोग इस पर कब्जा कर रहे हैं और बबूल के पेड़ उग आए हैं। इसलिए अब यह भूमि यूपीसीडा ने केडीए से लेने का निर्णय लिया है और वहां पर फ्लैटेड फैक्ट्री का निर्माण करने की योजना है। प्राधिकरण ने केडीए उपाध्यक्ष को पत्र लिखा है।

रूमा औद्योगिक क्षेत्र में भूखंड की जबरदस्त डिमांड है। खासकर टेक्सटाइल इंडस्ट्री का हब होने की वजह से इससे जुड़े उद्यमी यहां उद्योग लगाना चाहते हैं। तमाम नए लोग भी निवेश करने को इच्छुक हैं। यहां भूमि की उपलब्धता मांग के अनुरूप नहीं है। यही वजह है कि अब यहां फ्लैटेड फैक्ट्री की योजना तैयार की जा रही है। जो लोग भूमि लेकर इकाई स्थापित नहीं कर सकते उनके लिए फ्लैटेड फैक्ट्री लाभदायक होगी। यहां के बड़े उद्यमी अभी कपड़ों की सिलाई, कढ़ाई आदि के लिए दादानगर, पनकी अपने उत्पाद भेजते हैं उनका काम वहीं हो जाएगा।

पिछले दिनों प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी मयूर माहेश्वरी ने औद्योगिक क्षेत्र का लेआउट देखा तो पता चला कि इसमें 75 मीटर चौड़ी सड़क का प्रावधान किया गया था, लेकिन अब इस सड़क का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने केडीए उपाध्यक्ष को पत्र लिखा है और कहा है कि मास्टर प्लान का परीक्षण करा लें और यह भूमि उन्हें उपलब्ध कराएं। केडीए अपने मास्टर प्लान से सड़क का प्रावधान खत्म कर चुका है ऐसे में यह भूमि मिलने में कोई दिक्कत भी नहीं है। अगर प्राधिकरण यहां फ्लैटेड फैक्ट्री बनाता है तो केंद्रीय एमएसएमई मंत्रालय से 15 करोड़ तक की वित्तीय मदद भी मिलेगी।

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