यूपी में उद्यमियों को मिलेगी बड़ी राहत, औद्योगिक क्षेत्रों में अनुरक्षण शुल्क घटाएगा यूपीसीडा

उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण ने अनुरक्षण शुल्क घटाने की तैयारी कर ली है ताकि आवंटी उद्यमियों को आर्थिक राहत मिल सके। इसमें तीव्र गति वाले क्षेत्रों में 24 से 20 रुपये और मध्यम गति वाले क्षेत्रों में 10 रुपये प्रतिवर्ग मीटर शुल्क रहेगा।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 07:54 AM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 07:54 AM (IST)
यूपी में उद्यमियों को मिलेगी बड़ी राहत, औद्योगिक क्षेत्रों में अनुरक्षण शुल्क घटाएगा यूपीसीडा
यूपीसीडा ने आवंटियों काे आर्थिक राहत दी है।

कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी की वजह से आर्थिक रूप से परेशान आवंटियों को उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीसीडा) प्रबंधन ने बड़ी राहत देने का निर्णय लिया है। अब औद्योगिक क्षेत्रों में अनुरक्षण (सड़कों, नालियों की मरम्मत और रखरखाव) शुल्क को घटाया जाएगा। यह पहला मौका होगा जब प्रबंधन शुल्क को घटाने जा रहा है, जबकि अब तक शुल्क बढ़ाया ही जाता रहा है। तेज गति वाले औद्योगिक क्षेत्रों में प्रति वर्ग मीटर प्रतिवर्ष 24 रुपये शुल्क देना पड़ता है, लेकिन अब यह घटकर 20 रुपये हो जाएगा। इसी तरह मध्यम गति वाले औद्योगिक क्षेत्रों में 12 रुपये प्रति वर्गमीटर प्रतिवर्ष की दर से यह शुल्क वसूला जाता था, लेकिन अब 10 रुपये वसूला जाएगा।

प्राधिकरण प्रबंधन लगातार उद्यमियों को राहत देने में जुटा है। अभी भूखंडों के हस्तांतरण समेत 24 सुविधाएं आनलाइन करने के साथ ही 25 एकड़ तक के भूखंडों का मानचित्र पास करने का अधिकार भी क्षेत्रीय प्रबंधकों को दिया है। क्षेत्रीय प्रबंधकों के पास एक एकड़ तक के भूखंडों के हस्तांतरण का अधिकार था, लेकिन अब वे दो एकड़ तक के भूखंड का हस्तांतरण भी करेंगे। इसके साथ ही भूखंडों के परियोजना परिवर्तन, अतिरिक्त परियोजना की स्वीकृति का अधिकार भी मुख्यालय से हटाकर क्षेत्रीय प्रबंधकों को दिया गया है।

पांच सौ वर्ग मीटर तक के भूखंडों के पुनर्जीवीकरण और आवंटियों की मृत्यु के बाद वारिसों को भूखंड के हस्तांतरण और 50 लाख रुपये तक के बकाया देनदारियों के पुनर्गठन करने का अधिकार भी मिला है। ऐसा इसलिए किया गया, जिससेआवंटियों को मुख्यालय तक बार-बार न आना पड़े। इसका उन्हें लाभ भी मिल रहा है। इसी कड़ी में प्रबंधन ने अब अनुरक्षण शुल्क को भी घटाने का निर्णय लिया है। इस फैसले से 30 हजार से अधिक आवंटियों को लाभ होगा। प्राधिकरण के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि जल्द ही कई और राहत आवंटियों को मिलेंगी।

ये हैं तेज गति वाले क्षेत्र : कानपुर का पनकी, रूमा, चकेरी, रनिया, ग्रोथ सेंटर जैन, जैनपुर, फतेहपुर का मलवां, उन्नाव का ट्रांसगंगा सिटी, बंथर, उन्नाव, बाराबंकी का कुर्सी रोड, हरदोई का संडीला समेत सौ से अधिक औद्योगिक क्षेत्र तेज गति वाली श्रेणी में हैं। तेज गति के औद्योगिक क्षेत्र उन्हें कहा जाता है, जिनमें भूखंडों की मांग ज्यादा होती है। इसी तरह धीमी गति वाले वे औद्योगिक क्षेत्र हैं, जहां भूखंड की डिमांड कम है। इसमें औरैया का दिबियापुर, देवरिया, बस्ती, खलीलाबाद आदि क्षेत्र शामिल हैं।

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