UPCIDA CEO ने कहा... कार्यों की गुणवत्ता जांचेगी rights Organization, IIT Kanpur करेगा DPR का परीक्षण
उद्यमी निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव भूखंड आवंटन लीजडीड मानचित्र पास कराने में होने वाली दिक्कतों की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते लेकिन कोविड आपदा को भी प्राधिकरण ने अवसर में बदला है।
उत्तर प्रदेश में तेजी से औद्योगिक विकास हो। विदेशी निवेश बड़े पैमाने पर आए और यहां के लोगों को आसपास के ही शहर में काम मिल जाए इसकी जिम्मेदारी उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण प्रबंधन की है। कई बार ऐसा होता है कि उद्यमी निवेश तो करना चाहते हैं लेकिन औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का अभाव, भूखंड आवंटन, लीजडीड, मानचित्र पास कराने में होने वाली दिक्कतों की वजह से वे ऐसा नहीं कर पाते, लेकिन कोविड आपदा को भी प्राधिकरण ने अवसर में बदला है। अब तक 10 हजार करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए एक हजार से अधिक भूखंडों का आवंटन व हस्तांतरण किया गया है। ये सब कैसे हुआ, उद्यमियों को क्या सुविधाएं मिलेंगी आदि मुद्दों पर प्राधिकरण के सीईओ मयूर माहेश्वरी ने दैनिक जागरण के मुख्य संवाददाता से बातचीत की।
- चार बड़ी कंपनियों को भूखंड आवंटित कर दिया है। एक दर्जन से अधिक उद्यमियों ने भूखंड आवंटन के लिए संपर्क किया है। जल्द ही वहां औद्योगिक इकाइयों का निर्माण शुरू हो जाएगा। यह सिटी कानपुर और उन्नाव के लिए मील का पत्थर साबित होगी। बेरोजगारी बड़ा मुद्दा है इसे दूर करने के लिए औद्योगिक इकाइयों की स्थापना जरूरी है पर उद्योग क्यों नहीं लग रहे हैं ?
नियमों का सरलीकरण और औद्योगिक क्षेत्रों में मूलभूत सुविधाओं का ही असर है कि कोरोना काल में 10 हजार करोड़ से अधिक के निवेश का मार्ग प्रशस्त हुआ है। मेसर्स फारएवर डिस्टलरी प्रा. लि. ने जहां देवरिया में 106020 वर्ग मीटर भूमि ली है तो मेसर्स एबी मोरी ने बरगढ़ में चार सौ करोड़, एचपीसीएल ने बदायूं में चार सौ करोड़ के निवेश के लिए भूखंड आवंटन कराए हैं। कई विदेशी कंपनियों को भूखंड दिए गए हैं। हमीरपुर में ङ्क्षहदुस्तान यूनीलीवर समेत दो बड़े समूह निवेश करने जा रहे हैं। छोटे- छोटे जिलों में बड़ी औद्योगिक इकाइयां लगने जा रही हैं। इससे बेरोजगारी दूर होगी।
औद्योगिक क्षेत्रों में सड़क, नाला आदि बनने के बाद टूट जाते हैं। निर्माण में भ्रष्टाचार कैसे रुकेगा ?राइट््स लिमिटेड जैसी बड़ी संस्था को हमने गुणवत्ता जांच के लिए अधिकृत किया है। आइआइटी कानपुर हमारे बड़े कार्यों के डीपीआर का परीक्षण कर रहा है। गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा।