कानुपर में शादी अनुदान घोटाला, जांच समिति ने सौंपे 36 अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम

कानपुर में शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में 5.80 करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया है। डीएम ने एडीएम की अध्यक्ष वाली जांच समिति गठित करके रिपोर्ट तलब की थी जिसमें जांच समिति ने दोषी अफसरों और कर्मियों के नाम सौंपे हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 24 Jun 2021 11:44 AM (IST) Updated:Thu, 24 Jun 2021 11:44 AM (IST)
कानुपर में शादी अनुदान घोटाला, जांच समिति ने सौंपे 36 अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम
शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में घोटाले की जांच।

कानपुर, जेएनएन। शादी अनुदान और पारिवारिक लाभ योजना में हुए घोटाले में एडीएम आपूर्ति की अध्यक्षता वाली कमेटी ने डीएम आलोक तिवारी को 36 अधिकारियों और कर्मचारियों के नाम सौंपे हैं। इसमें 32 सत्यापन से जुड़े अधिकारी व कर्मचारी हैं। यह घोटाला सत्यापन अधिकारियों व कर्मचारियों की लापरवाही की वजह से ही हुआ। अगर अपात्रों को पात्र न किया जाता तो 5.80 करोड़ रुपये बर्बाद न होते। इस नामों में अनुदान देने के समय के समाज कल्याण अधिकारी, पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारी और अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी शामिल हैैं। किन-किन लेखपालों, कानूनगो, नायब तहसीलदार और तहसीलदार द्वारा सत्यापन किया गया है, उनका नाम भी डीएम को सौंपा है।

समाज कल्याण विभाग पारिवारिक लाभ योजना के साथ ही अनुसूचित जाति और सामान्य जाति के लोगों को शादी अनुदान के तहत वित्तीय मदद भी देता है। जबकि पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग पिछड़ी जाति और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को अनुदान देता है। किसी भी आवेदक को अनुदान तब मिलता है जब शहरी क्षेत्र में राजस्व विभाग और ग्रामीण क्षेत्र में बीडीओ और वीडीओ उसे पात्र बताते हैं। पहले लेखपाल फिर कानूनगो, इसके बाद नायब तहसीलदार, तहसीलदार और अंत में एसडीएम की रिपोर्ट लगती है। एसडीएम अपनी लागिन से डिजिटल सिग्नेचर करके ही संबंधित विभागों को अनुदान देने के लिए आवेदन पत्र भेजते हैं। इस घोटाले में समाज कल्याण अधिकारी का निलंबन तो हो गया, लेकिन अन्य अफसर और सत्यापन अधिकारी पर कार्रवाई नहीं हुई।

दैनिक जागरण की खबर के बाद डीएम आलोक तिवारी ने इसे संज्ञान में लिया और एडीएम आपूर्ति डा. बसंत अग्रवाल की अध्यक्षता वाली कमेटी से सत्यापन अधिकारियों का नाम मांगा। कमेटी ने दो नायब तहसीलदार, एक तत्कालीन तहसीलदार, आठ कानूनगो, 21 लेखपालों के नाम डीएम को सौंप दिए हैं। हालांकि अभी किसी एसडीएम का नाम कमेटी को तहसील से नहीं मिला है। इसके साथ ही दो अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और दो पिछड़ा वर्ग कल्याण अधिकारियों का नाम भी डीएम को दिया गया है। कहा है कि इस पूरे प्रकरण में सत्यापन अधिकारियों की लापरवाही है।

इन लेखपालों ने किया सत्यापन : हर नारायन दुबे, अश्विनी कुमार, आलोक दुबे, आलोक कुमार, स्नेह हंस शुक्ला, नीतू त्रिपाठी, हरिशंकर विश्वकर्मा, पीयूा सिंह, आशीष यादव, प्रीती दीक्षित, सुशील कुमार , अजय कुशवाहा, सुजीत कुशवाहा, गुलाब ङ्क्षसह, देवेंद्र वाजपेयी, प्रमोद कुमार श्रीवास्तव, दिलीप सचान, धर्मपाल, अरङ्क्षवद तिवारी, शैलेंद्र कुमार ङ्क्षसह, रामखेलावन भारती शामिल हैं। हालांकि अभी ये नाम शादी अनुदान का सत्यापन करने वाले लेखपालों का है।

इन कानूनगो पर भी लटकी तलवार : कानूनगो रश्मि सिंह, राजकिशोर खरे, यशवंत ङ्क्षसह, धीरज त्रिपाठी, राकेश कुमार गौतम, अजय प्रकाश यादव, आस्था पांडेय, सत्यप्रकाश वर्मा पर कार्रवाई की तलवार लटकी है।

एसीएम के पद पर तैनात तत्कालीन तहसीलदार : दो नायब तहसीलदार पर गाज गिरनी है। इसमें विराग करवरिया अब भी सदर तहसील में तैनात हैं तो अरसला नाज का यहां से तबादला हो गया है, जबकि तत्कालीन तहसीलदार अमित कुमार गुप्ता का एसडीएम पद पर प्रमोशन हो गया है और वे शहर में एसीएम दो के पद पर तैनात हैं।

इनके कार्यकाल में बंटा अनुदान : एसडीएम ने जिन्हें पात्र मानते हुए फाइल भेजी उन्हें पिछड़ा वर्ग अधिकारी रहते अजीत सिंह और एलएम मौर्य ने अनुदान दिया। इसी तरह अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी प्रियंका और वर्षा अग्रवाल का नाम भी रिपोर्ट में शामिल हैं। अजीत प्रताप सिंह लखनऊ स्थित निदेशालय में उप निदेशक के पद पर तैनात हैं तो प्रियंका का बहुत पहले तबादला हो गया था। उनके स्थान पर वर्षा अग्रवाल तैनात हैं। जांच अधिकारी की तरफ से रिपोर्ट दे दी गई होगी, लेकिन अभी उसे देखा नहीं है। रिपोर्ट के अवलोकन के बाद ही जो दोषी होंगे उन पर कार्रवाई की जाएगी। -आलोक तिवारी, डीएम

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