विशलेषण : सपा और भाजपा में अब जोड़-तोड़ की राजनीति, कानपुर में किसका बनेगा जिला पंचायत अध्यक्ष

कानपुर जिले में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में समाजवादी पार्टी के 11 प्रत्याशी जिला पंचायत सदस्य हो गए हैं। अब अध्यक्ष पद के लिए होड़ शुरू हो गई है भाजपा ने भी निर्दलीय और बसपा सदस्यों पर डोरे डालना शुरू कर दिया है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Thu, 06 May 2021 07:54 AM (IST) Updated:Thu, 06 May 2021 07:54 AM (IST)
विशलेषण : सपा और भाजपा में अब जोड़-तोड़ की राजनीति, कानपुर में किसका बनेगा जिला पंचायत अध्यक्ष
कुर्सी के लिए सपा और भाजपा बिछा रही बिसात।

कानपुर, जेएनएन। जिला पंचायत सदस्य की जिले में 32 सीटे हैं और अध्यक्ष बनाने के लिए किसी भी दल को 17 सीटें चाहिए। सपा सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है, लेकिन नौ सीटें पाकर दूसरे नंबर पर आई भाजपा भी अध्यक्ष पद पर कब्जे को लेकर बिसात बिछा रही है। पार्टी की छह निर्दलीय सदस्यों पर तो नजर है ही, निषाद पार्टी और बसपा के जिला पंचायत सदस्यों को भी अपने खेमे में लाने की कोशिश कर रही है। सपा में जिला पंचायत अध्यक्ष पद के दावेदार दूसरे दलों के सदस्यों को अपने पाले में लाने के लिए मेहनत कर रहे हैं।

पिछले चुनाव में सपा की पुष्पा कटियार ने जिला पंचायत अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा किया था। सपा ने इस बार के चुनाव में 11 जिला पंचायत सीटों पर कब्जा किया है। पार्टी के रणनीतिकारों की कोशिश है कि अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर फिर कब्जा किया जाए। सपा को अगर छह निर्दलीयों का समर्थन मिल गया तो वह आसानी से अध्यक्ष पद पर काबिज हो जाएगी, जबकि नौ सीटों वाली भाजपा को निर्दलीयों और निषाद पार्टी के एक सदस्य का समर्थन मिलने के बाद भी एक और सदस्य का जुगाड़ करना होगा। ऐसे में उसे बसपा या सपा में सेंधमारी करनी होगी। फिलहाल अध्यक्ष पद पर सपा का दावा मजबूत है। बसपा के साथ ही निर्दलीय सदस्य भी शांत हैं।

अभी वे अपने पत्ते नहीं खोल रहे हैं क्योंकि अध्यक्ष पद के चुनाव की तिथि अभी घोषित नहीं हुई है, लेकिन सपा और भाजपा की कोशिश है कि वे अभी से ही सदस्यों को अपने पाले में कर लें ताकि अध्यक्ष पद के चुनाव की घोषणा होने के बाद ज्यादा मेहनत न करनी पड़े। बसपा से जिला पंचायत सदस्य बने एक नेता पर भी भाजपा की निगाह है। वह नेता भाजपा से ही बसपा में गए हैं और तीसरी बार जिला पंचायत सदस्य बने हैं। हालांकि घाटमपुर से टिकट न मिलने पर वह विधानसभा के उप चुनाव में बसपा में शामिल हो गए थे। बात बसपा की करें तो वह अपने सदस्यों को बचाने के लिए बड़ा दांव चल सकती है। पार्टी इन्हीं सदस्यों को विधानसभा चुनाव में टिकट देने का ऑफर भी दे सकती है ताकि वे पार्टी के साथ बने रहेंं और पार्टी के आदेशानुसार ही वोट करें।

किस पार्टी को कितनी सीटें मिलीं

भाजपा- 09

सपा-11

बसपा- 05

निर्दलीय- 06

निषाद पार्टी- 01

chat bot
आपका साथी