Corona Curfew Kanpur: कपड़ा बाजार में फंसा अरबों का माल, सहालग के समय बंदी ने तोड़ी कारोबारियों की कमर

अप्रैल और मई की सहालग को लेकर बड़े कारोबारी पहले से ही रेडीमेड गारमेंट्स और सड़ियों का स्टॉक कर लेते हैं। बंदी के चलते थोक कारोबारियों का माल फंस गया है और आसपास जिलों के फुटकर दुकानदारों को माल नहीं मिल रहा है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sun, 09 May 2021 01:48 PM (IST) Updated:Sun, 09 May 2021 05:28 PM (IST)
Corona Curfew Kanpur: कपड़ा बाजार में फंसा अरबों का माल, सहालग के समय बंदी ने तोड़ी कारोबारियों की कमर
बंदी से प्रभावित हुआ कपड़े का व्यापार।

कानपुर, जेएनएन। पिछले वर्ष की तरह एक बार फिर कोरोना ने कपड़ा बाजार की कमर तोड़ दी है। सूरत, मुंबई, अहमदाबाद से कपड़ा खरीद कर गोदामों में रखकर बैठे कारोबारी बुरी तरह परेशान हैं। इनके साथ ही आसपास के जिलों में जहां कानपुर से ही कपड़ा, साड़ी जाती हैं, वहां भी दुकानदार परेशान हैं क्योंकि उन्हें भी कपड़ा नहीं मिल पा रहा है।

गर्मियों की सहालग कपड़ा बाजार के लिए सबसे महत्पूर्ण होती है। गंगा मेला के बाद बाजार खुलते ही बिक्री शुरू हो जाती है। यह बिक्री इसके बाद तब तक चलती रहती है जब तक की गर्मी की सहालग चलती है। सामान्यतौर पर यह जून के अंत या जुलाई की शुरुआत तक होती है। ग्रामीण क्षेत्रों में फसल कटने के बाद लोगों की हाथ में नकदी होती है, इसलिए ज्यादातर लोग गर्मियों में ही परिवार के वैवाहिक कार्यक्रम तय करते हैं। इस बार भी गंगा मेला के बाद कपड़ा बाजार शुरू हुआ तो रोज 50 करोड़ रुपये के आसपास की की बिक्री हो रही थी। कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के दौरान भी सहालग और ईद को लेकर बिक्री तेज थी लेकिन पहले संगठन की तरह से बंदी और बाद में शासन की तरफ से लगे कर्फ्यू ने बाजार की कमर तोड़ दी।

एक मई से बंद हुआ बाजार दोबारा अभी तक नहीं खुला है। सहालग के दिन जैसे-जैसे गुजरते जा रहे हैं, कारोबारियों के माथे पर चिंता की लकीरें बढ़ती जा रही हैं। सहालग में अच्छी बिक्री की उम्मीद से जो सामान लाकर सजाया गया था वह वैसे ही पड़ा है। गंगा मेला के बाद भी जो माल बाहर से आया उसमें से भी 25 फीसद ही अभी ट्रांसपोर्ट से छुड़ाया गया है। 75 फीसद माल अब भी ट्रांसपोर्टर के गोदाम में पड़ा है। कारोबारी मना रहे हैं कि जल्दी से कोरोना की लहर कमजोर पड़े ताकि कर्फ्यू खत्म हो और उन्हें दुकानें खोलने का मौका मिले। नौघड़ा कपड़ा कमेटी अध्यक्ष शेष नारायण त्रिवेदी के मुताबिक कोरोना ने बाजार की हालत खराब कर दी है। अब भी आधा अप्रैल और मई, जून का समय पड़ा है, अगर बाजार खोलने का मौका मिला तो काफी कुछ कवर किया जा सकता है।

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