औरैया में मोरों की मौत का कारण तलाशने में जुटी वन विभाग की टीमें, जानिए क्या कहते हैं चिकित्साधिकारी
Peacock Death In Auraiya जिले में मृत मिले मोरों की दूसरी घटना ने प्रशासन के कान खड़े कर दिए हैं। मई के दूसरे सप्ताह में भाग्यनगर ब्लाक सेहुद पंचायत के मजरा बरमुपुर की एक बगिया में चार मोर मृत मिले थे।
औरैया, जेएनएन। थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत एरवाटीकुर के गांव तकिया में खेतों पर मृत मिले राष्ट्रीय पक्षी (मोर) को लेकर वन विभाग ने जांच शुरू की है। सोमवार को विभाग के अधिकारियों ने पशु चिकित्सकों के साथ मौका मुआयना किया। कुछ जरूरी साक्ष्य जुटाते हुए उन्होंने नजदीक के बबूरी वन को भी देखा। जांच अधिकारियों का कहना है कि मोरों की मौत का कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। इसमें करीब सात से आठ दिन लगेंगे।
जिले में मृत मिले मोरों की दूसरी घटना ने प्रशासन के कान खड़े कर दिए हैं। मई के दूसरे सप्ताह में भाग्यनगर ब्लाक सेहुद पंचायत के मजरा बरमुपुर की एक बगिया में चार मोर मृत मिले थे। घटना के पीछे का कारण वन विभाग व पशु चिकित्साधिकारी स्पष्ट नहीं कर सके थे कि छह जून को एरवाकटरा थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत एरवाटीकुर मजरा गांव तकिया के खेतों में नौ मोर मृत मिले। ग्रामीणों की सूचना पर पुलिस पहुंची थी। मृत मोरों में सात मादा व दो नर थे। ज्यादातर मोरों के शरीर पर पंख न होने की सूरत में उनका शिकार किए जाने की बात वन विभाग की टीम ने कही थी। राष्ट्रीय पक्षी मोर के मृत मिलने की घटना को प्रशासन ने संज्ञान में लिया है। इसके तहत सोमवार की दोपहर घटनास्थल पर जांच करने वन विभाग की टीम पशु चिकित्साधिकारी के साथ पहुंची थी।
मृत मोरों के लिए सैंपल की जांच कराई जा रही है। क्षेत्रीय वन अधिकारी रेंजर बिधूना कोमल सिंह, वन रक्षक प्रेमशंकर व कुवेर यादव ने घटनास्थल से चारों दिशाओं का भ्रमण किया। वन रक्षक प्रेम शंकर ने बताया मृतक की मोरों के सिर पर चोट के निशान मिले हैं। उन्होंने बताया कि मोरों का झुंड होता है। इनमें यदि एक सदस्य की मौत हो जाती है तो रह गए मोरे सिर पटक-पटक कर प्राण त्याग देते हैं। प्रशिक्षण के दौरान यह बताया जाता है। उधर, पशु चिकित्साधिकारी डॉ. नरेंद्र सिंह का कहना है कि ऐसा प्रतीत होता है मोरों की मौत प्यास के कारण हुई है। फिलहाल, पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजार है।