बचाव की मुद्रा में भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष, अपराधियों को पदाधिकारी बनाने पर शुरू कराई जांच

भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त ने कहा स्पष्टीकरण मांगा गया है अब जवाब के आधार पर कार्रवाई की जाएगी। कानपुर में हिस्ट्रीशीटर अरविंद राज त्रिपाठी और डा.शिवबीर सिंह को को भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति में शामिल करने का मामला है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Wed, 04 Aug 2021 07:58 AM (IST) Updated:Wed, 04 Aug 2021 07:58 AM (IST)
बचाव की मुद्रा में भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष, अपराधियों को पदाधिकारी बनाने पर शुरू कराई जांच
भाजयुमो प्रदेश कार्यसमिति में हिस्ट्रीशीटर को शामिल करने का मामला।

कानपुर, जेएनएन। भारतीय जनता युवा मोर्चा (भाजयुमो) की प्रदेश कार्यसमिति में हिस्ट्रीशीटर अरविंद राज त्रिपाठी और डा.शिवबीर सिंह को पदाधिकारी बनाने पर बखेड़ा खड़ा होने के बाद संगठन ने जांच शुरू कराई है। भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त द्विवेदी ने मीडिया में प्रकरण आने पर मामले का संज्ञान में लेते हुए दोनों से स्पष्टीकरण मांगा है। हालांकि बचाव करते हुए ये भी कहा कि अरविंद के खिलाफ छात्र जीवन का मुकदमा जरूर लंबित है। जवाब के आधार पर ही कोई निर्णय लेंगे।

सोमवार को भाजयुमो के प्रदेश पदाधिकारियों की घोषणा की गई थी। इसमें प्रदेश कार्यसमिति में डा. शिवबीर भदौरिया को प्रदेश उपाध्यक्ष और अरङ्क्षवद राज त्रिपाठी उर्फ छोटू को प्रदेश मंत्री घोषित किया गया। अरविंद राज काकादेव थाने के हिस्ट्रीशीटर हैं। उनके खिलाफ हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी आदि मामलों में पूर्व में मुकदमे दर्ज हो चुके हैं जबकि शिवबीर सिंह का नाम पुलिस अभिरक्षा से हिस्ट्रीशीटर को फरार कराने पर जोड़ा गया था।

हिस्ट्रीशीटर व विवादित व्यक्ति को प्रदेश कार्यसमिति में शामिल करने के सवाल पर भाजयुमो प्रदेश अध्यक्ष प्रांशुदत्त द्विवेदी बचाव की मुद्रा में नजर आए। बोले कि मीडिया के जरिए प्रकरण की जानकारी मिली है। दोनों पदाधिकारियों से जवाब तलब किया गया है। प्रारंभिक पूछताछ में उन्हें बताया गया है कि अरविंद राज त्रिपाठी पर छात्र जीवन में मुकदमे दर्ज हुए थे। जिनमें अधिकांश में वह दोषमुक्त हो चुके हैं। केवल छात्र जीवन का एक मुकदमा लंबित है। वहीं शिवबीर भदौरिया का नाम पिछले दिनों पुलिस मुजहमत में जोड़ा गया था। उसमें पुलिस अधिकारियों ने भी स्वयं स्वीकार किया था कि शिवबीर अपराधी को भगाने में नहीं बल्कि पुलिस के सहयोग में थे। फिर भी पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तलब की गई है। उसके बाद ही कुछ फैसला किया जाएगा।

इस मामले में अरविंद राज का कहना है कि उनके खिलाफ विभिन्न थानों में 16 मुकदमे दर्ज थे, जिसमें से एक को छोड़कर सभी में या तो पुलिस ने नाम हटाया या अदालत से दोषमुक्त किया गया। राजनैतिक विरोधियों ने मुझे फंसाया था। केवल एक मामला छात्र जीवन का बचा है। इधर शिवबीर सिंह का कहना है कि घटनास्थल पर पुलिस की मदद की थी। यही जानकारी प्रदेश अध्यक्ष को भी दी है।

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