कानपुर में संक्रमण थमा तो दिखने लगी अधिवक्ताओं की सक्रियता, पिछली बार मदद को कई हाथ आए थे आगे

अप्रैल माह में 15 तारीख के बाद से कोविड संक्रमण ने रफ्तार पकड़ी। सरकारी और निजी अस्पतालों में जगह नहीं थी। आॅक्सीजन के लिए लोग तड़पकर सड़क पर मर रहे थे। उस दौरान इस महाकारी का शिकार कई वकील भी हुए थे।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Tue, 18 May 2021 04:28 PM (IST) Updated:Tue, 18 May 2021 04:28 PM (IST)
कानपुर में संक्रमण थमा तो दिखने लगी अधिवक्ताओं की सक्रियता, पिछली बार मदद को कई हाथ आए थे आगे
कानपुर अधिवक्तओं के सक्रिय होने से संबंधित प्रतीकात्मक तस्वीर

कानपुर, जेएनएन। कोरोना की दूसरी लहर ने शहर में मौत का तांडव मचा दिया है। इस दौरान हर कोई अपने को बचाने में जुटा था। न तो एनजीओ बाहर थे और न कोई संगठन व संस्थाएं। शहर में एक बड़ा जनसमूह है अधिवक्ताओं का, वह भी शांत था। अब जब संक्रमण की रफ्तार थमी है तो अधिक्ता संगठन सक्रिय हो गए हैं। साथी अधिवक्ताओं की मदद के लिए प्रशासन से लेकर शासन तक मांग शुरू हो चुकी है हालांकि हर बार की तरह इस बार भी शासन से उन्हें कोई विशेष मदद नहीं मिलने वाली क्योंकि यूपी कार काउंसिल स्वयं वकीलों की मदद करने में सक्षम है। पिछली बार कोरोना महामारी के दौरान यूपी बार काउंसिल ने कानपुर में जरुरतमंद वकीलों की मदद के लिए 50 लाख रुपये जारी किए थे। तब उनकी मदद के लिए खुद कई अधिवक्ता भी आगे आए और मदद की। 

अप्रैल माह में 15 तारीख के बाद से कोविड संक्रमण ने रफ्तार पकड़ी। सरकारी और निजी अस्पतालों में जगह नहीं थी। आॅक्सीजन के लिए लोग तड़पकर सड़क पर मर रहे थे। उस दौरान इस महाकारी का शिकार कई वकील भी हुए थे। हालांकि संक्रमण इतना तेज था कि हर किसी को अपनी चिंता सताने लगी। यह बात सच है कि जब अपनी चिंता हो तो दूसरे की सुध नहीं रहती है। ऐसे में उन वकीलों और उनके परिवार की सुध भी किसी ने नहीं ली। अब जब संक्रमण फिर कम हुआ तो एक बार फिर राजनीति चमकाने के लिए संगठन वकील हित और उनकी मदद की बात करने लगे हैं।

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