यदि आप भी हैं आइसक्रीम और चाकलेट के शौकीन तो जरूर पढ़ें यह खबर, कानपुर में इजाद हुई खास तकनीक
Unique Invention in Kanpur NSA अब तक वैनिलिन का खपत वेनिला बीन से प्राप्त होती थी लेकिन इसकी अधिक कीमत की वजह से मौजूदा समय में पेट्रोकेमिकल बायोमास और लिग्निन से तैयार किया जा रहा है। गन्ने की खोई में 17 से 25 फीसद लिग्निन होता है।
कानपुर, [जागरण स्पेशल]। Unique Invention in Kanpur राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआइ) की तकनीक से आइसक्रीम, चाकलेट, कन्फेक्शनरी, बेकरी समेत अन्य मीठे पदार्थ, दवाएं, सुगंध उद्योग, पशुओं के चारे, साफ सफाई के उत्पाद सस्ते हो सकते हैं। यहां के विशेषज्ञों ने गन्ने की खोई से वैनिलिन तैयार की है। इसका उपयोग वैनिला के फ्लेवरिंग एजेंट (स्वाद) के रूप में किया जाता है।
अब तक वैनिलिन का खपत वेनिला बीन से प्राप्त होती थी, लेकिन इसकी अधिक कीमत की वजह से मौजूदा समय में पेट्रोकेमिकल, बायोमास और लिग्निन से तैयार किया जा रहा है। गन्ने की खोई में 17 से 25 फीसद लिग्निन होता है। तकनीक को पेटेंट कराया जा रहा है। इसकी प्रक्रिया जारी है। इसको दी शुगर टेक्नोलाजिस्ट एसोसिएशन आफ इंडिया के आगामी वार्षिक सम्मेलन में देश- विदेश के चीनी निर्माताओं के सामने प्रस्तुत किया जाएगा।
निदेशक प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि वेनिला बीन के अर्क से मिलने वाला वैनिलिन बेहद महंगा होता है। इसकी कीमत केसर के बाद दूसरे नंबर पर आती है। देश विदेश में वैनिलिन की बढ़ती मांग को देखते हुए अन्य स्रोतों से हासिल किया जा रहा है। संस्थान के कार्बनिक रसायन विभाग के डा. विष्णु प्रभाकर, डा. चित्रा यादव, ममता शुक्ला और अन्य सदस्यों ने दो साल की मेहनत से खोई से वैनिलिन तैयार किया। खोई में सेल्यूलोज, हेमी सेल्युलोज के अलावा लिग्निन होता है। इसको तैयार रासायनिक प्रक्रिया के बाद किया जाता है।
खोई की कीमत दो रुपये प्रति किलोग्राम : प्रो. नरेंद्र मोहन ने बताया कि खोई की कीमत दो से ढाई रुपये प्रति किलोग्राम होती है। एक किलोग्राम वैनिलिन के उत्पादन में 400 किलोग्राम खोई की आवश्यकता पड़ती है। इसकी कीमत 800 से 1000 रुपये रहती है। एक किलोग्राम लिग्निन आधारित वैनिलिन का रेट साढ़े सात से 15 हजार रुपये प्रति किलोग्राम है। चीनी मिलें इसके उत्पादन से अतिरिक्त लाभ कमा सकती हैं।