मेडिकल कालेज में बिना प्रिंटर ले लीं तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें, जरूरत के उपकरण भी नहीं मिले
एम टर्बो कंपनी की तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं जिसमें एक मशीन 18 लाख रुपये की है। बाक्स खोलने पर अहम अटैचमेंट गायब मिले हैं। एलएलआर अस्पताल में प्रिंटर न होने से रिपोर्ट न दे पाने के कारण आए दिन विभाग में मरीज हंगामा करते हैैं।
कानपुर, जेएनएन। कोरोना महामारी की दूसरी लहर के दौरान सरकार ने मेडिकल कालेज में सुविधाएं और संसाधन बढ़ाने के लिए खजाना खोल दिया था। ऐसे में खरीद-फरोख्त में जमकर मनमानी हुई। कंपनियों ने जहां आधे-अधूरे उपकरण भेजे, वहीं जिम्मेदारों ने भी उन्हें बिना जांच-परख के रिसीव कर लिया। जब रेडियोलाजी विभागाध्यक्ष को इसे लेकर सूचित किया गया तो उन्होंने पड़ताल कराई। जिसमें पता चला कि तीनों अल्ट्रासाउंड मशीनें बिना प्रिंटर के भेज दी गई हैं। इन मशीनों से जब मरीजों की जांच की जाती है तो वह रिपोर्ट मांगते हैं। प्रिंटर न होने से रिपोर्ट न दे पाने के कारण आए दिन विभाग में मरीज हंगामा करते हैैं।
कोरोना काल में तीन अल्ट्रासाउंड मशीनें आईं थीं, उसमें से एक-एक मशीन न्यूरो साइंस सेंटर एवं मेटरनिटी विंग के कोविड हास्पिटल में रखी गईं थीं। अब जब कोरोना का संक्रमण लगभग खत्म हो गया है। इन मशीनों को रेडियोडायग्नोस्टिक विभागाध्यक्ष ने विभाग में मंगाया है। इस्तेमाल के लिए मशीनें खोली गईं तो अहम अटैचमेंट नहीं थे। इसमें प्रिंटर, प्रोब और यूएसजी बैग नहीं पाए गए। इसमें प्रिंटर सबसे जरूरी है। प्रिंटर न होने से जांच के बाद मरीजों को रिपोर्ट नहीं दी जा रही हैं। रेडियो डायग्नोस्टिक विभागाध्यक्ष ने प्रमुख अधीक्षक एवं प्राचार्य को पत्र लिखा है। प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या का कहना है कि खरीद मेडिकल कालेज से होती है। मशीन से जुड़े कागजात मेडिकल कालेज में हैं। इसलिए प्राचार्य को अवगत करा दिया है।
18-18 लाख रुपये की हैं मशीनें
एम टर्बो कंपनी की अल्ट्रासाउंड मशीनें हैं। एक मशीन 18 लाख रुपये की है। मशीन के एक प्रिंटर की कीमत 50 हजार रुपये है, तीन प्रिंटर के लिए डेढ़ लाख रुपये होते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इन मशीनों को रिसीव करते समय चेक क्यों नहीं किया गया, कि सभी अटैचमेंट दिए गए हैं।