अवैध तरीके से सिम एक्टीवेट करने वाले दो दबोचे
बीमा धारकों से ठगी करने वाले गिरोह को सिम उपलब्ध कराने वाले दो आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : बीमा धारकों से ठगी करने वाले गिरोह को सिम उपलब्ध कराने वाले दो आरोपितों को क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों अवैध तरीके से सिम एक्टिवेट करके गिरोह के एक सदस्य को देते थे। प्रारंभिक पूछताछ में दोनों ने 100 से ज्यादा सिम बेचना स्वीकार किया है।
बर्रा के तात्याटोपे नगर में रहने वाले अमित गुप्ता के साथ गत 15 अप्रैल को इंश्योरेंस का प्रीमियम जमा करने के नाम पर साइबर ठगों ने 51 हजार की ठगी की थी। पुलिस आयुक्त ने इस मामले की जांच क्राइम ब्रांच को दी थी। जांच शुरू हुई तो बड़ा गोलमाल सामने आया। पुलिस के हत्थे इश्योरेंस का प्रीमियम जमा करने के बदले छूट देने के नाम पर लोगों से ठगी करने वाला गिरोह हत्थे चढ़ा। क्राइम ब्रांच की टीम ने डलमऊ रायबरेली निवासी वरुण, उसका भाई करन, उत्तम नगर दिल्ली निवासी करन शर्मा, वहीं का अमन, दिल्ली निवासी आशीष कनौजिया उर्फ जटायु, घटिया अजमत अली नौरंगाबाद इटावा निवासी शिवम को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। सामने आया कि बीमा धारकों को फंसाने के लिए जिन मोबाइल सिम का प्रयोग होता था, वह पहले से एक्टिवेट करके गिरोह को दिए जाते थे। इसके बाद क्राइम ब्रांच ने बाराबंकी के देवा थानाक्षेत्र के मुजफ्फरमऊ निवासी चंद्रहास पासी और फैजाबाद के बीकापुर थानाक्षेत्र के दशरथपुर निवासी आकाश सोनी को गिरफ्तार कर लिया। चंद्रहास लखनऊ में किग जार्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के पास सड़क पर स्टाल लगाता था और आकाश पड़ोस में ही एक अन्य चौराहे पर स्टाल संचालित करता था। चंद्रहास के संबंध गिरोह के वरुण से थे और वरुण के जरिए ही वह शिवम से जुड़ा। चंद्रहास ही आकाश से भी सिम लेकर गिरोह को देता था।
ऐसे करते थे खेल
पुलिस पूछताछ में चंद्रहास ने बताया कि जब कोई व्यक्ति सिम लेने आता तो वह उससे दो प्रपत्रों पर साइन करा लेता। आधार कार्ड उसके पास होता ही था। वह बीएसएनएल का सिम बेचता था, मगर वोडाफोन के सिम वह आकाश से लेकर एक्टीवेट कर देता था।
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आकाश को मिलते थे 50 रुपये, खुद लेता था 300 रुपये
150 रुपये कीमत वाले सिम में सिम बेचने वाले वेडरों को 30 रुपये का कमीशन मिलता है। मगर चंद्रहास इसके बदले बीस रुपये ज्यादा यानी 50 रुपये का कमीशन आकाश को देता था। हालांकि उसी सिम के चंद्रहास गिरोह के सरगना वरुण से 500 रुपये लेता था, यानी सीधे 300 रुपये का कमीशन वह अपने पास रखता था।