Triple Talaq: तीन खत से तलाक बना बहस का मुद्​दा, सही-गलत को लेकर छिड़ी है जुबानी जंग

मीरपुर कैंट की महिला को दो माह में तीन खत भेजकर तलाक देने की ऐसी प्रक्रिया को लेकर बहस शुरू हो गई है पुलिस के मुकदमा दर्ज न करने पर पीड़िता ने एसएसपी से गुहार लगाई है।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 01 Sep 2020 11:54 AM (IST) Updated:Tue, 01 Sep 2020 11:54 AM (IST)
Triple Talaq: तीन खत से तलाक बना बहस का मुद्​दा, सही-गलत को लेकर छिड़ी है जुबानी जंग
Triple Talaq: तीन खत से तलाक बना बहस का मुद्​दा, सही-गलत को लेकर छिड़ी है जुबानी जंग

कानपुर, जेएनएन। अबतक मोबाइल फोन पर तलाक देने के मामले सामने आ रहे थे लेकिन तीन खत भेजकर तलाक का मामला अब बहस का मुद्​दा बन गया है। रेल बाजार के मीरपुर कैंट निवासी एक महिला को उसके पति ने दो महीने में तीन खत भेजकर तलाक दे दिया। तीन तलाक के इस तरीके को लेकर बहस शुरू हो गई है। एक ओर मुस्लिम विद्वान इसे सही मान रहे हैं, वहीं तीन तलाक पीडि़ताओं की लड़ाई लडऩे वाली नाजिया सिद्दीकी इसे कानून के खिलाफ बता रही हैं।

सात साल पहले हुआ था निकाह

मामला मीरपुर कैंट का है। यहां रहने वाली शबा का निकाह दरी कारोबारी सुजातगंज निवासी नदीम परवेज के साथ सात साल पहले हुआ था। नदीम के पिता पुलिस में थे, जिनका दो साल पहले इंतकाल हो चुका है। बकौल शबा शादी के बाद से ही दहेज आदि मुद्दों को लेकर पति से विवाद शुरू हुआ। कभी मायका तो कभी ससुराल। कभी झगड़ा तो कभी समझौता। सालों से यही चल रहा था। इस बीच मामला बिगड़ा तो उसने पति के खिलाफ दहेज प्रताडऩा का मुकदमा दर्ज करा दिया। समझौते के तमाम प्रयास हुए, लेकिन नदीम साथ रखने को तैयार नहीं हुआ।

तीन माह और तीन खत

शबा के मुताबिक 25 फरवरी को उसके पास एक खत आया, जिसमें नदीम ने उसे तलाक दिया था। इसी तरह का खत 27 मार्च और आखिर में 29 अप्रैल को आया। नदीम ने इसे तीन तलाक बताया, जबकि वह उसके साथ रहना चाहती है। शबा बोलीं, नए कानून में ऐसा तलाक मान्य नहीं है। ऐसे में पुलिस को पति के खिलाफ तीन तलाक का मुकदमा दर्ज करना चाहिए, लेकिन रेलबाजार पुलिस उनकी सुनवाई नहीं कर रही है। अब उन्होंने एसएसपी से मिलकर मुकदमा दर्ज करने का अनुरोध किया है।

इनका कहना भी जानिए पत्नी को एक तलाक देने के बाद तीन मासिक चक्र उसकी इद्दत कहलाती है। इस दौरान पत्नी को पति से अलग रहना होगा। एक तलाक देने के बाद एक मासिक चक्र तक संबंध न बनने पर पति दूसरा तलाक तथा उसके बाद फिर एक मासिक चक्र के बाद अगर तीसरा तलाक दे देता है तो तीन तलाक हो जाएगा। चाहे व्यक्ति पत्र या टेलीफोन के माध्यम से तलाक दे, वह माना जाएगा। हनफी फिकह (विचारधारा) में एक साथ तीन तलाक देने पर भी तलाक हो जाता है, लेकिन अब इस पर कानून बन गया है। एक तलाक देने के बाद या दो तलाक देने के बाद इद्दत का वक्त पूरा नहीं हुआ तो पत्नी को संबंध बनाने के लिए निकाह करने की जरूरत नहीं है। अगर इद्दत का वक्त निकल गया तो संबंध बनाने से पहले दोबारा निकाह करना होगा। इसके लिए हलाला की जरूरत नहीं होगी। तीन तलाक होने के बाद पहले पति से दोबारा निकाह तभी हो सकता है कि महिला की कहीं दूसरी जगह शादी हुई हो और वहां भी उसका तलाक हुआ हो। -मुफ्ती इकबाल कासमी निकाह में दोनों की सहमति होती है तो तलाक में क्यों नहीं। नया कानून इस तरह के तलाक को अनुमति नहीं देगा। कानूनी रूप से हलाला भी प्रतिबंधित है। शरीयत के हिसाब से भी खत लिखकर तलाक देना सही नहीं है। कुछ लोग मनमुताबिक शरीयत का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। -नाजिया सिद्दीकी, सामाजिक कार्यकर्ता

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