पनकी विषधन एक्सप्रेस वे के लिए अब पेड़ों का होगा सर्वे, सिंचाई विभाग जल्द देगा भूमि से संबंधित रिपोर्ट
यह शहर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इसका खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सामान्य दिनों में तो इस मार्ग पर शहर के अंदर पडऩे वाली रेलवे क्रासिंगों का फाटक 50 से अधिक बार बंद होते हैं और इससे जाम लग जाता है।
कानपुर, जेएनएन। पनकी से विषधन तक नहर पटरी पर नया एक्सप्रेस वे बनाकर उसे लखनऊ- आगरा एक्सप्रेस वे से जोडऩे की प्रक्रिया अब शुरू होगी। नहर के दोनों ओर सिंचाई विभाग की कितनी भूमि है और कितनी भूमि का अधिग्रहण करना होगा, इसकी पूरी रिपोर्ट सिंचाई विभाग जल्द ही उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति के अध्यक्ष एवं मंडलायुक्त डॉ. राजशेखर को देगा। इसके बाद वन विभाग जहां पेड़ों की गणना करेगा तो पीडब्ल्यूडी प्राथमिक एस्टीमेट बनाएगा। इसके बाद पूरी रिपोर्ट उप्र एक्सप्रेस वे औद्योगिक विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अवनीश अवस्थी को दी जाएगी। इसके बाद तय होगा कि इसका निर्माण प्राधिकरण करेगा या फिर लोक निर्माण विभाग।
अनवरगंज- फर्रुखाबाद रेल मार्ग की वजह से यह शहर दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इसका खामियाजा शहर के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। सामान्य दिनों में तो इस मार्ग पर शहर के अंदर पडऩे वाली रेलवे क्रासिंगों का फाटक 50 से अधिक बार बंद होते हैं और इससे जाम लग जाता है। ऐसे में जब दादानगर , पनकी, फजलगंज आदि औद्योगिक इकाइयों से माल लेकर अलीगढ़, हरदोई, लखीमपुर आदि क्षेत्रों के लिए निकलते हैं तो उन्हेंं कल्याणपुर क्रासिंग या अन्य क्रासिंगों पर फंसना पड़ता है। इतना ही नहीं कन्नौज, हरदोई आदि क्षेत्रों से आने वाले ट्रक तो पूरे दिन चौबेपुर के पास खड़े रहते हैं। उन्हेंं नो इंट्री खत्म होने का इंतजार करना पड़ता है। इस समस्या के समाधान के लिए ही उच्च स्तरीय समग्र विकास समिति के समन्वयक नीरज श्रीवास्तव ने नहर पटरी पर पनकी से विषधन तक सड़क बनाने का प्रस्ताव मंडलायुक्त को दिया था।
फरवरी में मंडलायुक्त ने फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कमेटी बनाई और खुद मौका मुआयना किया और इसे सामान्य मार्ग बनाने की जगह एक्सप्रेस वे के रूप में विकसित करने के लिए प्राधिकरण के सीईओ को पत्र लिखा। प्राधिकरण ने भी सहमति दी और परीक्षण के लिए अफसर नामित किया। सिंचाई विभाग को माप कर यह बताना था कि नहर पटरी के दोनों ओर कितनी भूमि उसकी है और कितनी भूमि और अधिग्रहीत करनी होगी। समन्वयक नीरज श्रीवास्तव का कहना है कि अब लोक निर्माण विभाग, वन विभाग, सिंचाई विभाग अपनी- अपनी रिपोर्ट तैयार कर देंगे फिर नए मार्ग के निर्माण के लिए मंडलायुक्त की अध्यक्षता में निर्णय लिया जाएगा।