प्रदेश में हर सौ किमी पर डेवलप हाेंगे ट्रामा सेंटर, डाक्टराें को मिलेगी छह माह की ट्रेनिंग

सूबे में फिलहाल 47 ट्रामा सेंटर हैं उसमें से 31 ही सेमी फंक्शनल हैं। उसकी वजह स्पेशलिस्ट एवं सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी है। ट्रामा सेंटरों में न्यूरो सर्जन प्लास्टिक सर्जन हार्ट सर्जन और पीडियाट्रिक सर्जन के पद भी नहीं भर रहे हैं।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Mon, 18 Oct 2021 07:40 AM (IST) Updated:Mon, 18 Oct 2021 07:40 AM (IST)
प्रदेश में हर सौ किमी पर डेवलप हाेंगे ट्रामा सेंटर, डाक्टराें को मिलेगी छह माह की ट्रेनिंग
कानपुर में खुलने वाले हास्पिटलों की खबर से संबंधित प्रतीकात्मक फोटो।

कानपुर, जेएनएन। प्रदेश में राष्ट्रीय राजमार्गों (एनएच) एवं एक्सप्रेस-वे का जाल तेजी से फैल रहा है। उसी हिसाब से वाहनों की गति भी बढ़ी है, जिससे सड़क हादसों में इजाफा हो रहा है। इसलिए प्रत्येक सौ किमी पर ट्रामा सेंटर डेवलप करने का निर्णय लिया गया है, ताकि हादसे में घायलों को पहले घंटे यानी गोल्डन आवर में इलाज मुहैया कराकर जान बचाई जा सके। यह बातें रविवार को शहर में आर्थोपेडिक सर्जन के कार्यक्रम में शिरकत करने आए स्वास्थ्य महकमे के मुखिया महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डा. वेदव्रत सिंह ने कहीं। 

उन्होंने कहा कि सूबे में फिलहाल 47 ट्रामा सेंटर हैं, उसमें से 31 ही सेमी फंक्शनल हैं। उसकी वजह स्पेशलिस्ट एवं सुपर स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी है। ट्रामा सेंटरों में न्यूरो सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, हार्ट सर्जन और पीडियाट्रिक सर्जन के पद भी नहीं भर रहे हैं। इस समस्या को दूर करने के लिए आर्थोपेडिक सर्जन और जनरल सर्जन को छह माह की ट्रामा केयर की ट्रेनिंग प्रदान करने का निर्णय है, ताकि स्पेशलिस्ट डाक्टरों की कमी को दूर करके ट्रामा केयर की सुविधा को भी बेहतर बनाया जा सकेगा। इसमें मेडिकल कालेज एवं चिकित्सकीय संस्थानों के विशेषज्ञ डाक्टरों को ट्रामा केयर की समस्त बारीकियां बताएंगे। ताकि हादसे के बाद गोल्डन आवर में ट्रामा सेंटर पहुंचने वाले घायलों की जान बचाई जा सके।

एनएच व एक्सप्रेस-वे की एंबुलेंस सेवा होगी दुरुस्त: डा. सिंह ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) एवं प्रदेश के सभी एक्सप्रेस-वे में एंबुलेंस सेवा है। अब इन सभी की एंबुलेंस सेवा को 108 सेवा के कंट्रोल रूम के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। ताकि किसी प्रकार का हादसा होने पर निकटतम ट्रामा सेंटर एवं टर्सरी सेंटर पर घायलों को कम से कम समय में पहुंचाया जा सके। 

डेंजर जोन भी करेंगे चिन्हित: ट्रामा मैनेजमेंट के लिए प्रत्येक जिले में पीडब्ल्यूडी, एनएचएआइ, एक्सप्रेस-वे अथारिटी एवं उत्तर प्रदेश राज्य परिवहन निगम के साथ मिलकर कमेटी बनाएंगे। कमेटी के नोडल अफसर स्वास्थ्य विभाग के डाक्टर होंगे। यह कमेटी निर्माण एजेंसी के साथ मिलकर एनएच के डेंजर जोन चिन्हित करेगी, जहां सर्वाधिक हादसे होते हैं। इसी तरह यमुना एक्सप्रेस-वे व लखनऊ एक्सप्रेस-वे के डेंजर जोन चिन्हित किए जाएंगे। फिर मंथन के बाद डिजाइन में भी बदलाव कराया जाएगा। 

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