ई-रिक्शों के जाल में फंस रहा ट्रैफिक, हांफ रहे वाहन
शहर के सुरक्षित सफर के लिए नासूर बने ई-रिक्शा ट्रैफिक व्यवस्था पर कोढ़ में साबित हो रहे है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर के सुरक्षित सफर के लिए नासूर बने ई-रिक्शा ट्रैफिक व्यवस्था पर कोढ़ में खाज साबित हो रहे हैं। प्रमुख चौराहों और सड़कों पर इनकी ऐसी अराजकता है, इसके जाल में फंसकर हजारों वाहन हांफ रहे हैं। इनकी जल्दबाजी की आदत और ट्रैफिक तोड़ने का अंदाज हादसों को दावत दे रहा है। ई-रिक्शों की अराजकता देखने वाले शांत बैठे हैं। संभागीय परिवहन कार्यालय (आरटीओ) के प्रवर्तन दस्ते और ट्रैफिक पुलिस की ओर से ऐसा कोई अभियान नहीं चलाया जा रहा है, जिससे इनकी अराजकता रुक सकें। केडीए की ओर से भी प्रस्तावित फूल प्रूफ प्लान भी फाइलों में दबा हुआ है। उसमें ई-रिक्शों के लिए अलग रूट निर्धारित करने की बात कही गई है।
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सवारियां भरने के लिए लगाते रेस
रावतपुर क्रासिंग, एलएलआर अस्पताल गेट, नौ नंबर क्रासिंग के पास ई-रिक्शे सवारियां बिठाने के लिए रेस लगाते हैं। इसके लिए गलत लेन में भी चलने में इन्हें कोई गुरेज नहीं है। कई बार जल्दबाजी के चक्कर में ई रिक्शा पलटने से सवारियां चुटहिल हो जाती हैं।
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50-60 ई-रिक्शों का समूह
परेड चौराहा, बड़ा चौराहा पर 50-60 की संख्या में ई-रिक्शे समूह बनाकर खड़े होते हैं। इन पर ट्रैफिक सिपाहियों का भी कोई जोर नहीं रहता है। रेलवे स्टेशन, मेस्टन रोड, बिरहाना रोड पर बिना यातायात नियमों के दौड़ते हैं। नयागंज में इनकी वजह से जाम लगता है।
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टाटमिल, नौबस्ता, बर्रा में अराजकता
टाटमिल, नौबस्ता, किदवईनगर, बारादेवी चौराहा, गोविंद नगर, बर्रा, चकेरी, यशोदा नगर, कल्याणपुर, नरोना चौराहा आदि क्षेत्रों में ई-रिक्शों की अराजकता बढ़ती ही जा रही है। यह सवारियां बिठाने के साथ ही माल भी लादकर चलते हैं। इनमें अलमारी, बाइक, स्कूटी, सिनेट्री फिटिंग्स आदि शामिल हैं।
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7113 का रजिस्ट्रेशन
शहर में 20 हजार के आसपास ई-रिक्शे हैं, इनमें से 7113 ही पंजीकृत हैं। 2015 से पहले के बने ई-रिक्शे अनाधिकृत रूप से दौड़ रहे हैं।
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नहीं हो रही फिटनेस की जांच
ई-रिक्शों के रजिस्ट्रेशन के साल भर बाद कोई भी चालक उनकी फिटनेस की जांच नहीं करा रहा है। पिछले दिनों हुई कार्रवाई में यह मामले सामने आए हैं।
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विभागों में नहीं बनी बात
पहले अवैध ई-रिक्शों को सीज करने की योजना थी, लेकिन उसमें वाहन चालक उसे छुड़ाने के लिए आ नहीं रहा था। जिसकी वजह से थानों में भार बढ़ता जा रहा था। कई थानों ने वाहनों को रखने से मना कर दिया। फिर प्रशासन, केडीए और आरटीओ के सहयोग से अवैध ई-रिक्शों को कटवाने की बात चली, लेकिन वह निर्णय भी अधर में लटका है। 'ई-रिक्शों के लिए वृहद अभियान चलाया जाएगा। इसमें ट्रैफिक पुलिस से मदद ली जाएगी। स्टाफ की कमी के चलते दिक्कत आ रही है। केडीए की ओर से अब तक कोई ठोस प्लान नहीं दिया गया है।'
- प्रभात कुमार पांडेय, एआरटीओ प्रवर्तन, कानपुर