पीपुल्स बैंक प्रबंधन को निवेशक खोजने के लिए तीन माह का मौका, रद हो सकता है लाइसेंस
पिछले साल मई में बैंक के शाखा प्रबंधक ने सहायक निबंधक सहकारिता को पत्र लिखकर कहा था कि उनके पास बैंक चलाने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है। इसके बाद शाखा प्रबंधक समेत चार कर्मचारियों ने पद से त्यागपत्र दे दिया था। हालांकि अभी उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं हुआ है।
कानपुर, जेएनएन। रिजर्व बैंक आफ इंडिया ने आर्यनगर स्थित पीपुल्स कोआपरेटिव बैंक को बड़ी राहत दी है। 10 सितंबर तक सहकारिता विभाग बैंक चलाने के लिए निवेशक नहीं खोज सका। ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे थे कि बैंक का लाइसेंस रद हो सकता है, लेकिन रिजर्व बैंक ने अब 10 दिसंबर तक के लिए राहत दे दी है। कहा है कि इस अवधि में हर हाल में निवेशक खोज लें या बैंक को घाटे से उबार लें। अन्यथा लाइसेंस रद हो जाएगा और बैंक को लिक्विडेशन में भेज दिया जाएगा।
पिछले साल मई में बैंक के शाखा प्रबंधक ने सहायक निबंधक सहकारिता को पत्र लिखकर कहा था कि उनके पास बैंक चलाने के लिए पर्याप्त पूंजी नहीं है। इसके बाद शाखा प्रबंधक समेत चार कर्मचारियों ने पद से त्यागपत्र दे दिया था। हालांकि अभी उनका त्यागपत्र स्वीकार नहीं हुआ है। बैंक की पूंजी कैसे खत्म हुई जब इसकी जांच हुई तो पता चला कि बैंक प्रबंधन ने करोड़ों रुपये का लोन मानक के विपरीत दे दिया। ऐसे तमाम लोग थे जो ग्रामीण क्षेत्र या दूसरे जिलों के रहने वाले थे। उन्हेंं लोन नहीं दिया जा सकता था क्योंकि बैंक सिर्फ शहरी क्षेत्र के लिए है। इतना ही नहीं बैंक ने अपना कैश रिजर्व अनुपात भी लोन के रूप में बांट दिया था। ग्राहकों के इस बैंक में करीब 10 करोड़ रुपये जमा हैं। रिजर्व बैंक ने पूरे मामले का संज्ञान लेते हुए बैंक प्रबंधन पर खातों में धनराशि जमा करने और खाते खोलने पर रोक लगा रखी है। सिर्फ ऋण वसूली से ही घाटे की पूॢत करनी है। इस कार्य के लिए 10 सितंबर का समय दिया गया था। सहायक निबंधक सहकारिता अंसल कुमार ने बताया कि ऋण वसूली की जा रही है। हालांकि बैंक के संचालन के लिए कोई निवेशक आगे नहीं आया है।