पूर्व सीएमएस सहित चार पर तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना
एलएलआर अस्पताल में इलाज के अभाव में बच्चे ने तोड़ दिया था दम
2016 का मामला ----
-एलएलआर अस्पताल में इलाज के अभाव में बच्चे ने तोड़ दिया था दम
- दो इमरजेंसी के बीच कंधे पर मासूम को लेकर भटकता रहा था पिता
जासं , कानपुर : एलएलआर अस्पताल में पांच साल पहले नारायणपुरवा निवासी चार वर्षीय बच्चे की इलाज के अभाव में दम तोड़ने के मामले में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आरोपितों के खिलाफ तीन-तीन लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। यह राशि आरोपितों के वेतन से वसूल कर पीड़ित परिवार को दी जाएगी। आयोग की कार्रवाई के बाद शासन ने जीएसवीएम मेडिकल कालेज प्रशासन से आरोपितों की जानकारी पूछी है। इस पर प्रिसिपल प्रो. संजय काला ने प्रमुख अधीक्षक प्रो. आरके मौर्या, सीएमएस प्रो. रीता गुप्ता, डीजीएमई कार्यालय से संबद्ध अपर निदेशक प्रो. सुनीति पांडेय समेत अन्य अधिकारियों की टीम बना दी है। यह मामले की पुन: जांच कर रिपोर्ट शासन को देगी।
अगस्त 2016 में एलएलआर अस्पताल की इमरजेंसी और बाल रोग विभाग की इमरजेंसी के बीच नारायणपुरवा के चार वर्षीय अंश की मौत हो गई थी। उसके पिता उसे दोनों इमरजेंसी के बीच कंधे पर लादकर चक्कर लगाते रह गए। घरवालों का आरोप था कि इलाज के अभाव में बच्चे ने दम तोड़ दिया था। घटना का वीडियो वायरल हुआ था। शासन के साथ ही मामले को संज्ञान लिया। तत्कालीन डीएम ने मामले की जांच कराई, जिसकी जांच में चार लोगों के नाम सामने आए। इसमें मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, इमरजेंसी मेडिकल आफिसर, पीआरओ, गार्ड शामिल हैं। मुख्य चिकित्सा अधीक्षक व पीआरओ पर निलंबन की कार्रवाई हुई, जबकि गार्ड को सेवा मुक्त कर दिया गया। इमरजेंसी मेडिकल आफिसर को सख्त हिदायत दी गई थी। इधर कुछ दिनों पहले आयोग ने कार्रवाई का आदेश दिया था, लेकिन उस पर गंभीरता नहीं दिखाई गई। अब सख्ती बढ़ने पर जांच कमेटी बिठा दी गई। मानवाधिकार आयोग ने इससे पहले भी जुर्माना लगाते हुए भुगतान का आदेश दिया था, लेकिन मेडिकल कालेज प्रशासन ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। अब आयोग ने सख्ती दिखाई तो शासन से लेकर मेडिकल कालेज प्रशासन में खलबली मची हुई है।