घनी आबादी में खड़ी जर्जर इमारतों से खतरे में हजारों जान
खुद निगम की फाइलों में ही ऐसे 624 इमारतों की सूची दर्ज है लेकिन कार्रवाई कभी नहीं की गई। हर बार घटना होने के बाद इन्हें ढहाने की बजाय संपत्ति मालिकों को सिर्फ नोटिस थमाता है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : घनी आबादी के बीच खड़ी जर्जर इमारतें हादसों को न्योता दे रही हैं। एक-दो नहीं बल्कि शहर में ऐसी सैकड़ों इमारतें हैं जो कभी भी ढह सकती हैं। नगर निगम के अफसर भी इस बात से अंजान नहीं है। खुद निगम की फाइलों में ही ऐसे 624 इमारतों की सूची दर्ज है, लेकिन कार्रवाई कभी नहीं की गई। हर बार घटना होने के बाद इन्हें ढहाने की बजाय संपत्ति मालिकों को सिर्फ नोटिस थमा दिया जाता है।
गुरुवार शाम हटिया में जर्जर मकान ढहने से दो लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना के बाद एक बार फिर जर्जर इमारतों का मुद्दा उठने लगा है। शहर में दर्शनपुरवा, जरनलगंज, हटिया, पुराना कानपुर, मेस्टन रोड, नौघड़ा, बादशाही नाका, कमला टावर, इटावा बाजार, बंगाली मोहाल, बेकनगंज, बर्तन बाजार समेत कई ऐसे इलाके है जहां इमारतें गिरने की हालत में हैं। नगर निगम के अभियंत्रण विभाग में रोज इनकी शिकायतें भी आती हैं। इसके बाद नगर निगम नोटिस भेज देता है। जांच के लिए शुल्क भी जमा होता है, लेकिन कभी जांच रिपोर्ट नहीं आती।
विवाद भी बड़ी वजह
ऐसी तमाम जर्जर संपत्तियों को लेकर मकान मालिक और किराएदारों के बीच विवाद भी चल रहा है। तमाम मकानों पर स्टे है। ऐसे में निगम की टीम भी कार्रवाई नहीं करती।
आंकड़ों में जर्जर मकानों की संख्या
जोन एक में 312, जोन दो में 06, जोन तीन में 40, जोन चार में 232, जोन पांच में 13 और जोन छह में 21 इमारतें जर्जर हैं।
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इन इलाकों में जर्जर भवन
लाटूश रोड, बादशाही नाका, नयागंज, परेड, टोपी बाजार, लक्ष्मीपुरवा, रायपुरवा, अनवरगंज, हरबंश मोहाल, सूतरखाना, चटाई मोहाल, बांसमंडी , लाठी मोहाल, बंबा रोड दर्शनपुरवा, कलक्टरगंज समेत कई जगह जर्जर भवन है।
जर्जर भवनों को फिर से नोटिस दी जा रही है। विवादित मामला न होने पर कार्रवाई की जाएगी। जोनवार जर्जर भवनों की सूची तैयार हो रही है।
- एसके सिंह, प्रभारी मुख्य अभियंता नगर निगम