ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों को थाने से ही जमानत

जेएनएन कानपुर छोटा सा सवाल है कि महामारी के इस दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन जरूरी है या ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों को आसानी से बेल मिल जा रही है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 May 2021 02:07 AM (IST) Updated:Thu, 13 May 2021 02:07 AM (IST)
ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों को थाने से ही जमानत
ऑक्सीजन की कालाबाजारी करने वालों को थाने से ही जमानत

जेएनएन, कानपुर: छोटा सा सवाल है कि महामारी के इस दौर में रेमडेसिविर इंजेक्शन जरूरी है या ऑक्सीजन। निश्चित तौर पर आपका जवाब होगा ऑक्सीजन। मगर कानून की नजरों में ऐसा नहीं है। रेमडेसिविर की कालाबाजरी करने वाले जेल जा रहे हैं, जबकि ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करने वालों को थाने से ही जमानत मिल जाती है। जी, हा क्राइम ब्राच की टीम ने मंगलवार को ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी करते हुए जिन लोगों को गिरफ्तार किया था, उन्हें कल्याणपुर थाने से ही जमानत दे दी गई। पुलिस का तर्क है कि मौजूदा कानून से उनके हाथ बंधे हुए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि अगर ऐसा तो क्या कानून में बदलाव किया जाना चाहिए।

कोरोना काल में ऑक्सीजन सिलिंडर और मेडिकल उपकरणों की कालाबाजारी किए जाने की सूचना काफी समय से क्राइम ब्राच को मिल रही थी। दैनिक जागरण में अपराधी कर रहे आक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी के शीर्षक से समाचार प्रमुखता से प्रकाशित करने के बाद हरकत में आयी तो क्राइम ब्राच की टीम ने सíवलास की मदद से कुछ नंबर ट्रेस किए। वहीं एक ऑडियो रिकाìडग के जरिए पुलिस ने काम शुरू किया तो पनकी इंडस्ट्रियल एरिया से गिरोह संचालित होने की जानकारी हुई। मंगलवार को क्राइम ब्राच और पनकी थाने की संयुक्त पुलिस टीम ने छापेमारी करते हुए दबौली गोविंद नगर निवासी खुद को भारत एटूजेड चैनल का एमडी बताने वाले अश्विनी जैन, उनके भाई ऋषभ जैन, कर्रही निवासी अभिषेक तिवारी और प्रदीप बाजपेई को गिरफ्तार किया। पकड़े गए शातिरों के पास से चार बड़े और छह छोटे आक्सीजन सिलिंडर और डिलीवरी करने में इस्तेमाल होने वाली वैगनआर कार बरामद की थी। एसीपी कल्याणपुर दिनेश कुमार शुक्ल ने बताया कि जमानती धाराओं के चलते आरोपितों को देर रात थाने से मुचलके पर छोड़ा गया।

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पुलिस आयुक्त बोले, हम कानून से बंधे हैं

जब इस संबंध में पुलिस आयुक्त असीम अरुण से बात की गई तो उन्होंने बताया कि इस प्रकरण में पुलिस के हाथ कानून से बंधे हैं। असल में रेमडेसिविर इंजेक्शन के मामलों में कालाबाजारी के साथ धोखाधड़ी के तथ्य भी सामने आए थे। ऐसे में आरोपितों के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ, जिसमें दस साल तक की सजा है, जबकि ऑक्सीजन सिलिंडर की कालाबाजारी में केवल तय मानक से अधिक मूल्य पर प्रोडेक्ट बेचना और महामारी एक्ट में मुकदमा दर्ज हुआ। दोनों ही मामलों में जमानती धाराएं हैं। सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि महामारी के इस दौर में सात साल के नीचे अपराध वाले मामलों में आरोपितों को जेल न भेजा जाए। इसीलिए काफी विचार विमर्श के बाद आरोपितों को थाने से जमानत देने का फैसला लिया गया। सीडीआर से 12 से अधिक संदिग्ध नंबरों पर पुलिस की नजर

पूछताछ में शातिरों ने बताया है कि दो माह पहले वह मेरठ से करीब 80-90 सिलिंडर लेकर आए थे। पुलिस इस बारे में छानबीन कर रही है। वहीं गिरोह के सरगना और अहम कड़ी शातिर अपराधी और उसके शागिर्द की पुलिस को तलाश है। दोनों के मोबाइल नंबर बंद होने से पुलिस ने दोनों की सीडीआर निकलवाई है। सीडीआर के आधार पर 12 से अधिक संदिग्ध नंबर पुलिस ने निकाले हैं। जिन पर पुलिस टीम काम कर रही है।

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चैनल में पार्टनरशिप का झासा देकर हड़प चुका10.50 लाख

भारत एटूजेड चैनल का एमडी बताने वाले अश्विनी जैन के खिलाफ बर्रा थाने में भी धोखाधड़ी, अमानत में खयानत व अन्य धाराओं में बर्रा सात निवासी राजेश कुमार त्रिपाठी ने दर्ज कराया था। जिसमें राजेश कुमार ने आरोप लगाया है कि चैनल में पार्टनरशिप के नाम पर अश्विनी जैन ने उनसे और उनके मित्र से 10.50 लाख रुपये ले लिया। बाद में खुद को मालिक बताया। आज तक उसका कोई हिसाब किताब नहीं किया गया। राजेश ने मुकदमा दर्ज कराया था। जिसमें बर्रा एसएसआइ शीलेंद्र यादव जाच कर रहे हैं। उन्होंने कोर्ट में चार्जशीट भी दाखिल कर दी है।

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गिरोह के अन्य सदस्यों के बारे में पता लगाया जा रहा है। उनके भी धरपकड़ के प्रयास किए जाएंगे। मामले में आरोपितों के आपराधिक इतिहास खंगाला जा रहा है। आरोपितों पर गैंगस्टर और रासुका लगाने की तैयारी की जा रही है।

- संजीव त्यागी, डीसीपी पश्चिम

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