अबकी बार आधी आबादी की सरकार

विभिन्न गांवों में महिलाओं कर रहीं थीं चुनाव पर चर्चा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 02:04 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 02:04 AM (IST)
अबकी बार आधी आबादी की सरकार
अबकी बार आधी आबादी की सरकार

शैलेन्द्र त्रिपाठी ( महाराजपुर ) : अम्मा बीडीसी म खड़े हन गौर से देख लेव बैलेट पेपर म हमार यो चुनाव निशान। नीके देखि के ही मोहर मारेव। अम्मा हमका जीतैं का आशीर्वाद देओ। एक नवयुवक प्रत्याशी रहनस में बुजुर्ग प्रेमरती से चुनाव जिताने की अपील कर रहा था। तो प्रेमरती तपाक से बोलीं ए रे छोरवा इ बार हेन महिलाएंन के सरकार बनी। गांव के परधानी , क्षेत्र के जिला पंचायती और सरसौल ब्लाक के प्रमुखी तीनौ प्रमुख पदन म इ बार महिलाएं ही बैठिहैं। काहे की तीनों पद महिलाएंन के लिए आरक्षित हैं। प्रेमरती ने चुटकी लेते हुए कहा कि एही लिए कहि रहिन तुम अब नेतागीरी के चक्कर म न परौ।अबकी बार हमरी सरकार।आसपास का पूरा वातावरण ठहाकों से गूंज उठा।

सरसौल के गंगा कटरी क्षेत्र में प्रधानी इस बार अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है। यहां जिला पंचायत में लगने वाली सीट सरसौल भी अनुसूचित जाति की महिला के लिए आरक्षित है। सरसौल ब्लाक प्रमुख सामान्य महिला जबकि जिला पंचायत अध्यक्ष भी अनुसूचित जाति महिला के लिए आरक्षित है। तभी रहनस में दोपहर को चबूतरों में बैठी महिलाएं अन्य पदों के लिए दावेदारी कर रहे पुरुष प्रत्याशियों की खूब चुटकी लेती रहीं। महिलाएं खिलखिलाते हुए कह रहीं थीं अबकी बार तो मोदी की नहीं महिलाओं की सरकार आएगी। आधी आबादी की खुशी देखते ही बनती थी। रहनस में बीच गांव से गंगा की तरफ सीसी सड़क से अंदर जाने पर दो - तीन जगह पेड़ों की छांव में चुनावी चर्चा चल रही थी।सभी अपने - अपने प्रत्याशियों की जीत - हार का गुड़ा - भाग लगा रहे थे। थोड़ा सा आगे बढ़ने पर एक चबूतरे पर चार- पांच महिलाएं व दो-तीन पुरुषों के बीच चुनावी बातें चल रहीं थीं। चाची चुनाव के का हालचाल चल रहे हैं? परधानी म कौन सीट हैं? अम्मा।इतना कहते ही सबसे ऊंचाई पर बैठी चंदा एकदम से बोल पड़ी भैया इ बार म हमरे हेन महिलाएं ही चुनावी दंगल म एक - दूसरे के खिलाफ ताल ठोंक रहीं हैं। तब तक मजरे शीतलखेड़ा की एक प्रधान प्रत्याशी पहुंच गईं। गले मिलीं, पैर छुएन और जीत का आशीर्वाद लइ के आगे बढि़न। तबै चंदा के बगल में बैठीं सावित्री बोलीं जो कोऊ महिलाएंन के हित की बात करी ओही का हम जितइबे। जो हमरी सुरक्षा व सम्मान केर वादा करी ओही का हम अपन वोट देबे। आगे बात बढ़ाते हुए प्रेमरती बोलीं इ बार तो अपने हेन सब प्रमुख पदन म प्रत्याशी महिलाएं ही हैं। जब हमरे बीच महिलाएं चुनि के अइहैं तो उई हमार दुख दरद जरूर समझिहैं।जब हमार नेता महिला परधान होइ तो हमका अपन बात कहेन के न तो कउनो हिचक होइ और न ही शरम अई। सुना है इ बार परमुख और जिला वाला अध्यक्ष भी कउनो महिलै होइ। अब तो गांव से लइके ब्लाक और जिला तक महिलाएंन का ही राज्य चली। तबै प्रेमरती की बात काटत हुए बगल म बैठे संजय बोलि परे अरे आकी यो तुम काहे भूलि जाती हौ कि परधान और जउन चाहे जो महिला बनै।केवल व नाम का रही काम तो ओखेर आदमी ही करी। मेहरारू तो केवल घर का चौका - बर्तन करी। मोहर और दस्तखत तो उनकेर घर वालै देखि। संजय को घूरते हुए माया बोलीं अब उई जमाना लदि गे बचवा जब महिलाएं केवल घर तक सीमित रहैं।अब ऊपर से लइके नीचे तक हर जगह महिलाएं छाई हैं।सब पढि़ लिखि के आगे बढि़ रही हैं।अब जो महिलाएं जीति के अइहैं उई अपन काम सब खुद करिहैं।हम सबका उई भला करिहैं।इनकी बातों को सुनकर लगा कि नहीं आधी आबादी अब स्वावलंबी होकर सशक्त हो रही है।गांव में रहने वाली महिलाएं भी अब नए भारत की सोच में जी रही हैं।

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