बिठूर गंगा उत्सव : इस बार बिखरेगा सुदेश भोसले के सुरों का जादू, कुछ ऐसा रहा 28 वर्षों का सफर

28 फरवरी से एक मार्च तक चलने वाले आयोजन में होंगे विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम नामचीन कवि बहाएंगे काव्य रसधार।

By AbhishekEdited By: Publish:Wed, 26 Feb 2020 11:00 PM (IST) Updated:Thu, 27 Feb 2020 09:30 AM (IST)
बिठूर गंगा उत्सव : इस बार बिखरेगा सुदेश भोसले के सुरों का जादू, कुछ ऐसा रहा 28 वर्षों का सफर
बिठूर गंगा उत्सव : इस बार बिखरेगा सुदेश भोसले के सुरों का जादू, कुछ ऐसा रहा 28 वर्षों का सफर

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। 28 फरवरी से शुरू हो रहे तीन दिवसीय बिठूर गंगा उत्सव में इस बार बॉलीवुड के मशहूर गायक सुदेश भोसले अपने सुरों का जलवा बिखेरेंगे। इसके अलावा देश के नामचीन कवियों का सम्मेलन, विंटेज कार रैली, बोट रेस समेत अनेक सांस्कृतिक कार्यक्रम इसका आकर्षण होंगे। बुधवार को जिलाधिकारी ब्रह्मदेव राम तिवारी ने आयोजन समिति से जुड़े लोगों व अधिकारियों के साथ बैठक की।

क्रांतिनायकों के होंगे दर्शन, विंटेज कार रैली व बोट रेस भी होगी

पहले दिन होने वाला कवि सम्मेलन भी स्तरीय है। इसमें पद्श्री सुनील जोगी, विष्णु सक्सेना, अखिलेश द्विवेदी, सर्वेश अस्थाना, हेमंत पांडेय, गौरव चौहान, अंकिता सिंह जैसे नामचीन कवि व कवयित्री काव्य की रसधार बहाएंगे। इस मौके पर रानी लक्ष्मीबाई, करीमुल्ला खां, तात्याटोपे जैसे क्रांतिकारियों की प्रदर्शनी लगेगी। स्कूली बच्चे सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश करेंगे। गुरुवार से बिठूर ब्रह्मावर्त घाट कार्यालय में इसके लिए पंजीकरण होगा। महोत्सव के तहत खेलकूद का आयोजन ग्रीनपार्क में शुरू हो गया है। बैठक में विधायक अभिजीत सिंह सांगा, सीडीओ सुनील सिंह, नीरज श्रीवास्तव के साथ ही विभिन्न विभागों के अधिकारी मौजूद रहे।

ये कार्यक्रम होंगे आयोजित

28 फरवरी : पूर्वाह्न 11 बजे कलश यात्रा से शुभारंभ। मप्र सांस्कृतिक विभाग की प्रस्तुति, कवि सम्मेलन, निबंध, पेंटिंग प्रतियोगिता।

29 फरवरी : नौका प्रतियोगिता, योग प्रतियोगिता, सांस्कृतिक कार्यक्रम, सुदेश भोसले नाइट।

एक मार्च : एनआरआइ सिटी से नानाराव पार्क तक विंटेज कार रैली, बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वामी विवेकानंद की जीवन पर आधारित मुंबई के कलाकार शेखर सेन का संगीतमय एकल नाटक।

ये भी होगा खास

बिठूर महोत्सव में कानपुर के प्रसिद्ध फूड को स्थान मिलेगा। इसमें ठग्गू के लड्डू, बदनाम कुल्फी, बनारसी चाय, मैगी प्वाइंट तथा फेमस चाट के स्टॉल होंगे।

बिस्मिल्ला खां की शहनाई से शुरू हुआ था बिठूर महोत्सव

पुण्य सलिला गंगा के तट पर मां सीता के पदरज से पावन बिठूर की धरा पर बिठूर महोत्सव का प्रारंभ 1992 में हुआ था। पहले ही वर्ष गंगा-जमुनी तहजीब की मिठास इस महोत्सव में घुली, जब प्रख्यात शहनाई वादक भारत रत्न बिस्मिल्ला खां ने अपनी शहनाई की तान छेड़ी। इसके बाद से अब तक यह आयोजन होता तो जरूर रहा, लेकिन हिचकोले खाता रहा।

1995 से 2000 तक निर्बाध आयोजन

बिठूर महोत्सव की शुरुआत 1992 में हुई थी। इसके बाद 1994 में इसका आयोजन नहीं हुआ। फिर वर्ष 2000 तक यह निर्बाध चलता रहा। 2000 के बाद इस आयोजन की लय बिगड़ गई, अधिकारियों व नेताओं की उपेक्षा के कारण 2003, 2005, 2007 में ही आयोजन हुआ।

2011-16 तक नहीं हुआ महोत्सव

जब ये महोत्सव खत्म समझा जाने लगा था उस वक्त 2010 में हरिद्वार से पटना के लिए चली गंगा यात्रा के कारण इसे दोबारा शुरू किया गया। समन्वयक नीरज श्रीवास्तव बताते हैं कि इसके बाद 2017 में जब राष्ट्रपति के साथ सीएम योगी आदित्यनाथ कानपुर आए तो विधायक अभिजीत सिंह ने आयोजन शुरू कराने की मांग रखी। 2017 से ये आयोजन चल पड़ा। हालांकि विभिन्न कारणों से 2019 में महोत्सव नहीं हो सका।

गंगा उत्सव की देन है नानाराव पार्क का विकास

इस आयोजन की वजह से वर्ष 2005 में भारत सरकार की डेेस्टिनेशन योजना के तहत नानाराव पार्क का साढ़े पांच करोड़ रुपये से विकास हुआ। पर्यटन विभाग की अधूरी कॉटेज का निर्माण पूरा कराया गया। इसी वर्ष इस उत्सव को राष्ट्रीय कैलेंडर में शामिल करने के लिए केंद्रीय पर्यटन विभाग ने उप्र पर्यटन विभाग से प्रस्ताव मांगा था, लेकिन यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

ये कलाकार आ चुके गंगा उत्सव में

बॉलीवुड की ड्रीमगर्ल हेमामालिनी सर्वाधिक बार इस आयोजन में शामिल हो चुकी हैं। 1992 में उन्होंने दुर्गा वैले नृत्य किया था। 1995 में हेमामालिनी के साथ मीनाक्षी शेषाद्रि ने भी नृत्य प्रस्तुति दी। इस बार संगीतकार रविंद्र जैन भी यहां आए थे। अलग-अलग वर्षों में यहां गायिका वाणी जयराम, भजन गायक अनूप जलोटा, प्रख्यात गायक महेंद्र कपूर व विनोद राठौर, सरोदवादक अमजद अली खां, गजल गायक हुसैन बंधु, चंदनदास व हरिहरन अपनी प्रस्तुतियां दे चुके हैं। इसके अलावा बिठूर ने विक्रम घोष और शिवा घोष की संगीतमय जुगलबंदी, रघुनाथ सेठ की बांसुरी, देबू चौधरी का सितार, साबरी ब्रदर्स की कव्वाली, हरिओम शरण के भजन का आनंद भी इस उत्सव में उठाया है।

2003 में हुए थे वाटर स्पोट्र्स

वर्ष 2003 में बिठूर गंगा उत्सव में वाटर स्पोट्र्स कराए गए थे। इसमें कयाकिंग और कैनोइंग की प्रतियोगिताएं हुई थीं।

2003 तक जिला योजना से मिलता था बजट

आयोजन के लिए वर्ष 2003 तक जिला योजना से बजट भी आवंटित किया जाता था। भले ही इस बजट से पूरा आयोजन नहीं होता था, लेकिन निश्चित मद होने से राहत रहती थी। 

chat bot
आपका साथी