भूमि की अदला-बदली हो तो धरातल पर उतरे मेगा लेदर क्लस्टर, 13 हजार करोड़ का होना है कानपुर में निवेश
कानपुर के रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर के लिए एसपीवी के तहत गठित कंपनी को सुरक्षित श्रेणी की 35.238 हेक्टेयर भूमि मिलनी है। डीएम ने अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर राय मांगी है और जल्द फैसले की उम्मीद है।
कानपुर, जेएनएन। रमईपुर में प्रस्तावित मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना कानपुर के औद्योगिक विकास को न सिर्फ गति देने वाली होगी, बल्कि यह मील का पत्थर भी होगी। आठ साल से इस प्रोजेक्ट को धरातल पर लाने की प्रक्रिया चल रही है। वाणिज्य मंत्रालय से भी इस प्रोजेक्ट को हरी झंडी मिल गई है। अब मामला 35.238 हेक्टेयर ग्राम समाज की सुरक्षित श्रेणी की भूमि की अदला-बदली को लेकर अटका हुआ है। डीएम आलोक तिवारी ने अपर मुख्य सचिव मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर इस भूमि की अदला-बदली के संबंध में राय मांगी है। वहां से दिशा निर्देश मिलते ही प्रक्रिया पूरी करने की तैयारी है।
अभी जाजमऊ में टेनरियां हैं, लेकिन आए दिन इन टेनरियों को बंद करने का फरमान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से आता रहा है। तमाम टेनरियां बंद चल रही हैं, इसकी वजह है गंगा में जाने वाला प्रदूषण। बंदी की वजह से उद्यमियों को करोड़ों रुपये का नुकसान होता है। इस समस्या के समाधान के लिए ही रमईपुर में करीब सौ हेक्टेयर में मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना होनी है। उप्र राज्य औद्योगिक विकास प्राधिकरण यानी यूपीसीडा को इसकी स्थापना के लिए नोडल विभाग बनाया गया है। प्राधिकरण ने ही स्पेशल परपज व्हीकल के तहत मेगा लेदर क्लस्टर डेवलपमेंट यूपी लिमिटेड कंपनी का गठन कराया है। कंपनी के आग्रह पर ग्राम समाज की 42.02 हेक्टेयर भूमि का पुनग्र्रहण कराकर यूपीसीडा ने आवंटित कर दिया है। 22 हेक्टेयर भूमि कंपनी ने किसानों से खरीदी है। 35.238 हेक्टेयर भूमि ग्राम समाज की है, पर यह सुरक्षित श्रेणी की है। यह भूमि कंपनी को चाहिए। कंपनी ने इसके बदले में साढ़ गांव में भूमि खरीद भी ली है। हालांकि अभी सुरक्षित श्रेणी की भूमि को बदलने का फैसला जिला प्रशासन नहीं ले सका है।
कंपनी से जुड़े उद्यमी चाहते थे कि जिस भूमि का पुनग्र्रहण किया गया है, उसे फ्री होल्ड करके दी जाए, लेकिन प्राधिकरण तैयार नहीं हुआ। इस रार के बीच यूपीसीडा ने कंपनी की प्रस्तावित भूमि के बगल में ही अलग से मेगा लेदर क्लस्टर स्थापित करने के लिए ग्राम समाज की भूमि का पुनग्र्रहण करा लिया और सुरक्षित श्रेणी की भूमि लेने की प्रक्रिया शुरू कर दी। अब कंपनी और प्राधिकरण में समझौता हो गया। तय हो गया है कि कंपनी को भूमि फ्री होल्ड की जगह 99 साल की लीज पर मिलेगी। इस समझौते के बाद प्राधिकरण फिर से कंपनी के क्लस्टर को स्थापित करने में जुट गया है। ऐसे में अब डीएम ने अपर मुख्य सचिव को लिखे पत्र में पूछा है कि वह भूमि प्राधिकरण को दें या कंपनी को। वहां से जैसे ही दिशा निर्देश मिलेगा उसके बाद भूमि की अदला-बदली का कार्य शुरू हो जाएगा। मुख्यमंत्री चाहते हैं कि कंपनी जल्द प्रोजेक्ट पर काम शुरू करे। ऐसे में अदला-बदली की समस्या अब सुलझने की उम्मीद है।
13 हजार करोड़ का होना है निवेश
मेगा लेदर क्लस्टर में 13 हजार करोड़ रुपये का निवेश होना है। इस क्लस्टर में चार सौ से अधिक इकाइयां स्थापित होनी हैं। फ्लैटेड फैक्ट्री भी बनेगी। ढाई सौ अधिक उद्यमी कंपनी के पास रुपये भी जमा कर चुके हैं। इसके स्थापित होने से एक लाख लोगों को रोजगार मिलेगा। इससे बड़े पैमाने पर चर्म उत्पादों का निर्यात भी होगा। अभी कानपुर में चर्म उद्योग से जुड़ी 2125 इकाइयां स्थापित हैं। इनमें 1.20 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। इस क्लस्टर को 375 करोड़ की वित्तीय मदद सरकार से मिलेगी। 125 करोड़ वाणिज्य मंत्रालय देगा, जिससे मूलभूत सुविधाओं का विकास होगा। 200 करोड़ रुपये कामन इफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट स्थापना के लिए एनएमसीजी देगा। 50 करोड़ कामन फैसिलिटी सेंटर के लिए राज्य सरकार देगी।
जानिए, इन्होंने क्या कहा
-भूमि यूपीसीडा को हस्तांतरित करनी है या एसपीवी को, इस संबंध में अपर मुख्य सचिव को पत्र भेजकर दिशा निर्देश मांगा है। जैसा निर्देश मिलेगा उसके अनुरूप कार्य किया जाएगा। -आलोक तिवारी, डीएम
-क्लस्टर स्थापना को लेकर जो भी प्रक्रियाएं होनी हैं, जल्द ही हो जाएंगी। आधारशिला रखवाने की तैयारी है। इस प्रोजेक्ट से बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे। -मुख्तारुल अमीन, पूर्व चेयरमैन सीएलई
-मेगा लेदर क्लस्टर की स्थापना से न सिर्फ रोजगार बढ़ेगा बल्कि निर्यात भी बढ़ेगा। अच्छी बात यह है कि डेडीकेटेड फ्रेट कारिडोर भी शुरू होने जा रहा है। इसका लाभ लेदर क्लस्टर को मिलेगा। -सुनील वैश्य, पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आइआइए