पढ़ें, उड़ीसा किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ट्रांसजेंडर समुदाय की अध्यक्ष की कहानी उनकी जुबानी

मीरा परीदा अमेरिका समेत कई देशों में किन्नर समुदाय के उद्धार के लिए विचार रख चुकी हैं और ब्लड डोनेशन के लिए अभियान चला चुकी हैं।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 10:35 AM (IST) Updated:Fri, 05 Jun 2020 10:35 AM (IST)
पढ़ें, उड़ीसा किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ट्रांसजेंडर समुदाय की अध्यक्ष की कहानी उनकी जुबानी
पढ़ें, उड़ीसा किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ट्रांसजेंडर समुदाय की अध्यक्ष की कहानी उनकी जुबानी

कानपुर, जेएनएन। संसार के प्रत्येक प्राणी में दिल एक ही तरह से धड़कता है, वो चाहे फिर स्त्री हो, पुरुष हो या फिर थर्ड जेंडर...। ऐसे ही समाज में धड़कने वाले दिल की बात सुनने का प्रयास किया है, वाङ्मय पत्रिका एवं विकास प्रकाशन ने फेसबुक पर लाइव शो का आयोजन करके। इसी कड़ी में गुरुवार को उड़ीसा किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ट्रांसजेंडर समुदाय की अध्यक्ष की अपनी दर्दभरी कहानी बयां की तो सुनने वाले भी कुछ पल भावुक हो गए। 4 से 10 जून तक इस शो में रोजाना देश के जाने माने किन्नर अपने विचार और संघर्ष की कहानी बयां करेंगे।

गुरुवार को शो पर लाइव हुईं उड़ीसा किन्नर अखाड़ा के महामंडलेश्वर ट्रांसजेंडर समुदाय की अध्यक्ष मीरा परीदा, जो अमेरिका सहित विश्व के लगभग दर्जनों देशों में किन्नर समुदाय के उद्धार के लिए विचार रख चुकी हैं और एड्स व ब्लड डोनेशन के लिए लोगों को जागरूक करने का अभियान चला चुकी हैं। उनका मानना है कि आत्मविश्वास, सपना और कुछ करने का जुनून हो तो कोई भी कार्य असंभव नहीं है। सड़कों पर फल और पानी-पूरी बेचीं और जूनून से आज यहां तक पहुंचीं।

हमारे यहां किन्नर लड़कों को छीनकर नहीं लाते 

मीरा ने बताया कि लड़के की तरह जन्म लेकर 10-12 साल की उम्र तक लड़की की तरह रहना, पहनना और चलना अच्छा लगता रहा, इसी वजह से मुझे घर छोड़ना पड़ा। कहा, देश में अलग-अलग क्षेत्रों में किन्नर अलग तरह के काम करते हैं। हमारे यहां किन्नर लड़कों को छीनकर नहीं लाते और न ही हम परिवार से उनको अलग करने पर दबाव बनाते हैं। कहा, कुछ लोगों में भ्रम है कि किन्नर को मरने पर उन्हें चप्पल जूते से पीटा जाता है लेकिन यहां कभी ऐसा नहीं हुआ है। उन्होंने बताया कि मेरे साथ दो बार दुष्कर्म हुआ, जिस वजह से मैने दो बार खुदकशी के लिए जहर खाई थी लेकिन बच गई।

इस समय मेरे परिवार में 40 लोग हैं, मैं पति के साथ बहुत खुश हूं। कहा, किन्नरों के बारे में व्याप्त भ्रांतियाें को समाप्त करने के लिए सबको मिलकर आगे आना होगा। शो में सुप्रसिद्ध कहानीकार तेजेन्द्र शर्मा, प्रो. गजनर, अरुणा सभरवाल, डॉ शमीम, डॉ मुश्ताकीम, डॉ शगुफ्ता निया, डॉ विमलेश, डॉ भारती, डॉ लता, डॉ सविता, डॉ आसिफ, अनवर खान, डॉ. गौरव, डॉ. रमाकांत, मण्डवानी आनन्द, मनीष, अकरम हुसैन, रिंकी, साफिया, केशव बाजपेयी,  मिलन विश्नोई, मुक्ति शर्मा आदि कमेंट के माध्यम से विचार रखते और प्रश्न पूछते रहे।

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