अमेरिका से मिला अनुदान, तिरुपति के फूलों से बनेगा थर्मोकॉल

कानपुर के बाद अंकित तिरुपति, मथुरा और वृंदावन में लगाएंगे प्लांट।

By Edited By: Publish:Fri, 14 Dec 2018 12:03 AM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 04:03 PM (IST)
अमेरिका से मिला अनुदान, तिरुपति के फूलों से बनेगा थर्मोकॉल
अमेरिका से मिला अनुदान, तिरुपति के फूलों से बनेगा थर्मोकॉल
कानपुर (विक्सन सिक्रोड़िया)। संयुक्त राष्ट्र संघ के विशेष सम्मान से नवाजे गए काकादेव निवासी अंकित अग्रवाल अब फूलों से थर्मोकोल बनाने का प्लांट तिरुपति, मथुरा और वृंदावन में भी लगाएंगे। इसके लिए यूएस से उन्हें एक मिलियन डॉलर का अनुदान मिला है। जनवरी से तिरुपति के फूलों से थर्मोकोल बनाने का काम शुरू हो जाएगा। उनकी टीम प्रतिदिन 50 टन फूलों से थर्मोकोल, ग्रीन लेदर व ईको फ्रेंडली अगरबत्ती बनाएगी। वर्तमान में आठ टन फूलों से यह उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
मथुरा व वृंदावन में फूलों को एकत्रित करने का काम पहले से चल रहा है लेकिन उनसे उत्पाद बनाने का प्लांट अब लगने जा रहा है। कोटोविस पोलैंड में चल रहे जलवायु सम्मेलन से गुरुवार को लौटे अंकित ने बताया कि उन्हें अपने काम के बारे में बताने के लिए आमंत्रित किया गया था। यह कार्यशाला पर्यावरण व बदलती जलवायु पर आधारित थी। उन्होंने बताया कि जलवायु परिवर्तन के चलते पर्यावरण की सुरक्षा को लेकर दुनियाभर के वैज्ञानिक चिंतित हैं। कार्यशाला में उन्होंने थर्मोकोल व चमड़ा जलने से निकलने वाली हानिकारक गैसों पर रोक लगाने के लिए फूलों को विकल्प के रूप में अपनाने की रिसर्च पेश की थी।
चमड़े के उत्पाद बनाने के लिए फूलों से ग्रीन लेदर बनाने का शोध वहां लोगों को पसंद आया। सेमिनार के दौरान यूनाइटेड नेशन्स फ्रेमवर्क कंवेन्शन ऑन क्लाइमेट चेंज की एक्जीक्यूटिव सेक्रेट्री पेट्रीसिया एसपीनोसा, स्पेन के पर्यावरण मंत्री टेरेजा रिबेरा व जाने माने पर्यावरणविद् बर्नार्ड पिकार्ड ने उन्हें मोमेंट्स ऑफ चेंज लाइट ऑफ एक्टीविटी से सम्मानित किया। इस कार्यक्रम में 195 देशों के पर्यावरणविद्, शिक्षाविद् व विशेषज्ञों ने शिरकत की। जनवरी में जापान देगा डिप्लोमा पुणे रीजनल कॉलेज से बीटेक और सिंबोयसिस इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट से इनोवेशन में मास्टर डिग्री प्राप्त करने वाले अंकित अग्रवाल ने बताया कि जनवरी माह में उन्हें जापान का टोक्यो विश्वविद्यालय डिप्लोमा प्रदान करेगा। इसके लिए उन्हें आमंत्रण मिला है।
इस संबंध में अंकित अग्रवाल ने बताया कि दैनिक जागरण ने मेरे स्टार्टअप को लाखों युवाओं तक पहुंचाया। लोगों को बताया है। युवाओं का एक बड़ा वर्ग है जो इसके बारे में जानने के लिए उत्साहित है। विदेशों में उन्हें जो सम्मान मिला है वह उनके साथ इस शहर का भी है, क्योंकि वह यहां के हैं और यहीं पर गंगा किनारे बैठकर उनके दिमाग में यह आइडिया आया था।
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