मौत का हाइवे बना NH 34, पुलिस के आंकड़े हिला देने वाले, एक साल में चली गई इतनी जान

बिधनू थाना क्षेत्र में नौबस्ता सीमा गल्लमण्डी से घाटमपुर सीमा रिन्द नदी तक 20 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर नवंबर 2020 से अब तक 95 मार्ग दुर्घटनाएं हुई। जिसमे 55 लोगों ने अपनी जान गवां दी और 105 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Tue, 07 Dec 2021 02:25 PM (IST) Updated:Tue, 07 Dec 2021 02:25 PM (IST)
मौत का हाइवे बना NH 34, पुलिस के आंकड़े हिला देने वाले, एक साल में चली गई इतनी जान
नेशनल हाइवे पर एक साल में सैकड़ों हादसे हुए हैं।

कानपुर, जागरण संवाददाता। बिधनू थाना क्षेत्र में नेशनल हाइवे 34 हमीरपुर रोड दोनों तरफ बने ऊंचे नाले और डिवाइडर की कमी से खतरनाक हो गई है। पुलिस आंकड़ों को देखे तो पूरे वर्ष इस हाइवे पर मौत का तांडव चलता रहा। जिसने कितनों की गोद उजाड़ी और कितनों की मांग।

बिधनू थाना क्षेत्र में नौबस्ता सीमा गल्लमण्डी से घाटमपुर सीमा रिन्द नदी तक 20 किलोमीटर राष्ट्रीय राजमार्ग 34 पर नवंबर 2020 से अब तक 95 मार्ग दुर्घटनाएं हुई। जिसमे 55 लोगों ने अपनी जान गवां दी और 105 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। जिनमे कुछ तो बिस्तर पर पड़े मौत की दुआ मांगने को मजबूर है। टू लेन के लिए इस मार्ग के चौड़ीकरण होने से लोगों को लगा था कि अब हादसों में लगाम लगेगी, लेकिन ऐसा कुछ नही हुआ। चौड़ीकरण के बाद  नौबस्ता गल्ला मंडी से सजेती तक  हाईवे पर डिवाइडर नहीं बनाया गया। जिसकी वजह से हाईवे पर चलने वाले बेलगाम भारी वाहन छोटे वाहन सवारों की जान के दुश्मन बनते रहते हैं। वहीं कस्बों के बीच हाइवे के दोनों तरफ बने दो फीट ऊंचे नाले रोड को सकरा करके और खतरनाक बना देते हैं। छोटे वाहन सवार बड़े वाहनों की रफ्तार से बचने के चक्कर मे नालों से टकराकर हादसे के शिकार हो जाते है। यदि ये नाले न हो तो छोटे वाहन सवार फुटपाथ में उतरकर जान बचा सकते है। यही नाले इस राजमार्ग पर आए दिन लगने वाले भीषण जाम की भी वजह बने हुए हैं।

बोले जिम्मेदार: भारी वाहनों की संख्या की तुलना में हाइवे की चौड़ाई कम है। सड़क की चौड़ाई कम होने और फुटपाथ न होने से हादसे होते है। सड़क का चौड़ीकरण और डिवाइडर बनने से ही हादसों में लगाम लगाई जा सकती है। -अतुल कुमार सिंह थाना प्रभारी बिधनू

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