उन्नाव: चोरी के मामलों में शामिल शातिरों को कोर्ट ने सुनाई तीन साल की सजा, देना होगा अर्थदंड

30 नवंबर 2017 को गंगाघाट थाना क्षेत्र में चोरी के मामले की सुनवाई अपर जिला सेशन जज अलोक शर्मा कोर्ट नंबर छह न्यायालय में चल रही थी। जिसमें शुक्रवार को न्यायाधीश ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए फहीम ईशाद और सोहेब को दोषी करार दिया।

By Shaswat GuptaEdited By: Publish:Sat, 25 Sep 2021 06:33 PM (IST) Updated:Sat, 25 Sep 2021 06:33 PM (IST)
उन्नाव: चोरी के मामलों में शामिल शातिरों को कोर्ट ने सुनाई तीन साल की सजा,  देना होगा अर्थदंड
कोर्ट द्वारा दी गई सजा से संबंधित खबर की प्रतीकात्मक फोटो।

उन्नाव, जेएनएन। गंगाघाट थाना क्षेत्र में चोरी की घटनाओं में संलिप्त तीन चोरों को अदालत ने तीन साल की कैद और 82 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। तीनों चोर पिछले तीन साल से ज्यादा समय से जेल में बंद हैं। अदालत ने उक्त अवधि की सजा को जेल में बिताई गयी समय अवधि ही माना है। जिससे तीनों आरोपित जुर्माना धनराशि जमा करके जेल से रिहा हो सकते हैं।

 30 नवंबर 2017 को गंगाघाट थाना क्षेत्र में चोरी के मामले की सुनवाई अपर जिला सेशन जज अलोक शर्मा कोर्ट नंबर छह न्यायालय में चल रही थी। जिसमें शुक्रवार को न्यायाधीश ने मामले में अपना फैसला सुनाते हुए फहीम, ईशाद और सोहेब को दोषी करार दिया। साथ ही जेल में बिताई अवधि को सजा में शामिल करते फहीम को जेल में बिताई गई अवधि (लगभग तीन वर्ष) की सजा और 18 हजार रुपये अर्थदंड, ईशाद को जेल में बिताई गई अवधि (लगभग तीन वर्ष) और 32 हजार रुपये का अर्थदंड व सोहेब को जेल में बिताई गई अवधि (लगभग तीन वर्ष) और 32 हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। गौरतलब है कि फहीम, ईशाद और सोहेब ने अपना जुर्म कुबूल करते हुए अदालत में प्रार्थना पत्र दिया।

बता दें कि पुलिस ने चोरी प्रकरण में मनोहर नगर निवासी चार युवकों को निर्माणाधीन आनंद घाट से पकड़ा था। इसी बीच गिरोह के साहेब व ईशाद उर्फ मामू पुलिस को चकमा देकर भाग निकले थे। पकड़े गये युवकों की पहचान राजा उर्फ आमिर हसन निवासी मनोहर नगर मस्जिद, सलमान मोहम्मद, फहीम निवासी मनोहर नगर और शीबू के रूप में की गई। पूछताछ में युवकों ने इस क्षेत्र में आधा दर्जन से अधिक मामलों में अपने शामिल होना स्वीकार किया। पुलिस ने दोनों फरार आरोपितों सहित सभी को जेल भेज दिया था। पिछले तीन सालों से पांचों आरोपित सलाखों के पीछे हैं।

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