प्राचीन सिक्कों से देश का इतिहास जानकर रोमांचित हुए दर्शक

बीते दौर के शासकों की पता चली विचारधारा।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 01:38 AM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 01:38 AM (IST)
प्राचीन सिक्कों से देश का इतिहास जानकर रोमांचित हुए दर्शक
प्राचीन सिक्कों से देश का इतिहास जानकर रोमांचित हुए दर्शक

जागरण संवाददाता, कानपुर : प्राचीन सिक्कों के जरिए न केवल देश की विरासत को समझा जा सकता है, बल्कि उस दौर के शासकों की विचारधारा का भी पता लगता है। अलेक्जेंडर शासन से लेकर कुषाण-गुप्त वंश और महमूद गजनवी, हुमायूं, अकबर व जहांगीर के दौर के तमाम सिक्के उन सबकी विचारधारा बताते हैं। कानपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन गौर हरि सिघानिया इंस्टीट्यूट आफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च में भारतीय अभिलेखागार के निदेशक रह चुके मुद्रा शास्त्र के विशेषज्ञ डा. संजय गर्ग ने यह जानकारी दी। सिक्कों से देश का इतिहास देख लोग रोमांचित हो गए।

डा. संजय गर्ग की अनेक पुस्तकें और रिसर्च पेपर प्रकाशित हो चुके हैं। उन्होंने बताया कि अलेक्जेंडर ने जो सिक्का जारी किया था, उस पर एक तरफ अपना चित्र और पीछे की ओर घोड़े पर सवार योद्धा का हाथी पर सवार योद्धा से लड़ाई का दृश्य प्रदर्शित किया था। कुषाण वंश में सिक्के पर एक तरफ शासक तो पीछे भगवान शिव का उभरा हुआ चित्र था। इसी काल में सिक्कों पर भगवान बुद्ध की विभिन्न मुद्राओं में चित्र प्रदर्शित किए गए थे। गुप्त वंश में सिक्के पर राजा व रानी का चित्र और पीछे मां दुर्गा का उभरा हुआ चित्र होता था। तब पहली बार सिक्कों पर अश्वमेघ पराक्रम को प्रदर्शित किया गया था। गजनवी शासन में जारी सिक्कों पर अरबी में कलमा और उसके पीछे संस्कृत में अनुवाद लिखा होता था। मोहम्मद बिन साम ने लक्ष्मी जी की फोटो संग अपना नाम हिदी में लिखवाया था। मुहम्मद बिन तुगलक ने तांबे का सिक्का चलवाया तो हुमायूं ने कंधार से सिक्का जारी किया, इसमें शिया कलमा लिखवाया था। अकबर ने आगरा से सिक्का जारी किया, जिसे जहांगीर ने बदला और उस पर अपनी फोटो लगवाई। उसने राशि के हिसाब से भी सिक्के चलवाए। 11 किलो का सिक्का भी जारी कराया, एक सिक्का आज भी कुवैत के म्यूजियम में है। डा. संजय गर्ग ने बताया कि वह सागर अकबराबादी नाम से शायरी भी करते हैं। उन्होंने मेरी जीस्त का है ये किस्सा पुराना, तुम्हें याद करना नहीं भूल पाना.., तमाम उम्र जो ख्वाबों के एक भंवर में रहे.. सुनाकर समां बांध दिया। इससे पूर्व शहर की उभरती प्रतिभाओं को मंच दिया गया। इसका संचालन भावना मिश्रा ने किया। जमालुद्दीन 'नवाज' व अख्तर कानपुरी ने गजलों से वाहवाही लूटी। डा. प्रतिभा सिंह, पल्लवी गर्ग ने हिदी कविताएं सुनाकर भावविभोर कर दिया। आनंद पांडेय तनहा के दोहे, श्वेता अग्रवाल की कविताएं, अभीष्ट की गजल, कशिश की कहानी व बनारस से आए शिवेंद्र की कविता ने मंत्रमुग्ध किया। तीसरे सत्र में मनोचिकित्सक डा. आलोक बाजपेई ने कृष्ण कथा को नए नजरिए से पेश किया। उन्होंने बताया कि कृष्ण चेतना किस तरह से हमारे जीवन व मस्तिष्क को प्रभावित करती है। कृष्ण के कर्मयोगी पक्ष पर संवाद भी किया।

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