कानपुर में बनी रेशम की माला पूरे सूबे में की जा रही पसंद, दीपावली कोे लेकर बढ़ी मांग
रेशम की माला बनाने का कार्य हर वर्ष जन्माष्टमी गुजरने के बाद शुरू होता है। इसे बनाने वाले कारीगर बाराबंकी फैजाबाद फतेहपुर से आते हैं। कानपुर में जनरलगंज और हटिया क्षेत्र में भगवान के वस्त्रों का कारोबार करने वाले कारोबारी ही इन्हें बनवाते हैं।
कानपुर, जागरण संवाददाता। दीपावली आ गई है और इस मौके पर भगवान के वस्त्र, उन्हें प्रसन्न करने के लिए खूबसूरत मालाएं बाजार में मौजूद हैं। इन्हीं मालाओं में एक है रेशम की माला जो कानपुर की खासियत है और यहीं से बनकर पूरे प्रदेश में जाती है। मालाओं में इसे ही सबसे ज्यादा पसंद भी किया जाता है। दीपावली में इसकी मांग बढ़ गई है।
रेशम की माला बनाने का कार्य हर वर्ष जन्माष्टमी गुजरने के बाद शुरू होता है। इसे बनाने वाले कारीगर बाराबंकी, फैजाबाद, फतेहपुर से आते हैं। कानपुर में जनरलगंज और हटिया क्षेत्र में भगवान के वस्त्रों का कारोबार करने वाले कारोबारी ही इन्हें बनवाते हैं। इस क्षेत्र में कई बड़े कारोबारी हैं जो क्षेत्र में ही वर्कशाप बनाकर अपना काम करते हैं। यहां से शहर के बाहरी क्षेत्रों में रहने वाले माल लेकर जाते हैं और बनाकर वापस कर जाते हैं लेकिन रेशन की माला बनाने वाले एक साथ झकरकटी के पास रहते हैं। यहीं वे इस माला को बनाते हैं और वहीं से लगातार सप्लाई होती रहती है। दो इंच से लेकर दो फीट तक की ये माला बनाई जाती हैं जिसकी कीमत 10 रुपये से लेकर 360 रुपये तक है। दीपावली तक काम करने के बाद ये कारीगर फिर घर लौट जाते हैं।
दीपावली बाजार में ये भी मौजूद:
- 03 रुपये से 100 रुपये में वेलवट, कपड़े, गोटे वाले आसन।
- 02 रुपये से 100 रुपये में लाल, पीले पट्टी वाले वस्त्र।
- 30 रुपये से 500 रुपये में दरवाजे पर सजाने के लिए वंदनवार।
- 10 रुपये से 100 रुपये में कपड़े से बनीं फूलों की लड़ियां।
नया है हैप्पी दीपावली का बैलून
हैप्पी बर्थडे वाला बैलून तो वर्षों से लोग देखते रहे हैं लेकिन इस वर्ष हैप्पी दीपावली का बैलून पहली बार आया है।
गणेश-लक्ष्मी से जुड़ी सभी वस्तुओं की खूब मांग है। रेशम की माला कानपुर की खासियत है। इसलिए इसकी तो सबसे ज्यादा खपत होती ही है। - कल्याण ओमर, थोक कारोबारी।