घर के अंदर का प्रदूषण भी नुकसानदायक, पूरी तरह बंद न रखें कमरा
जागरण प्रश्न प्रहर में टीबी और चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार ने दिए पाठकों के सवालों के जवाब।
कानपुर, जागरण संवाददाता। बाहर ही नहीं घर के अंदर का प्रदूषण भी नुकसानदायक है। यह अधिकतर बंद और कम हवादार कमरों में होता है। तकिए, मैट, गलीचे, पर्दों और सोफे के कवर में जमा गर्द या फिर अगरबत्ती, धूपबत्ती से निकलने वाला धुआं प्रदूषण का बड़ा कारण है। ये जानकारी जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के टीबी और चेस्ट रोग विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आनंद कुमार ने जागरण प्रश्न प्रहर में पाठकों को दी। उन्होंने बताया कि परफ्यूम, डियोडरेंट, मॉस्क्यूटो क्वॉइल और लिक्विड भी बंद कमरे में खतरनाक साबित हो सकता है। सर्दियों में अक्सर लोग खासकर श्वांस रोगी पूरी तरह से खिड़की व दरवाजा बंद कर लेते हैं, जो गलत है। पर्टिकुलेट मैटर कमरे के अंदर बने रहते हैं, जो बीमारी का कारण बनते हैं।
पूछे गए सवाल व उनके जवाब
ø पांच छह साल से साइनोसाइटिस की तकलीफ है। क्या फेफड़ों में कोई दिक्कत है। -राजू गुप्ता, लखनऊ
- साइनोसाइटिस की समस्या गंभीर हो तो सर्जिकल ट्रीटमेंट किया जाता है।
ø सांस बहुत फूलती है। चलने में दिक्कत हो रही है। -संकल्प तिवारी, रामकृष्ण नगर
- सांस फूलने के कारण की जांच करनी होगी। एक्स-रे और अन्य जांचें कराएं।
ø शाम के समय तेज गर्मी लगती है। सांस लेने में दिक्कत, खांसी आ रही है। - उदय प्रताप सिंह, यशोदा नगर
- क्रोनिक साइनोसाइटिस की जांच कराएं। ईएनटी के डॉक्टर से मिलें।
ø वायु प्रदूषण से कैसे बचाव किया जा सकता है। - प्रताप सिंह चंदेल, पनकी
- मॉस्क इस्तेमाल कर सकते हैं।
ø तीन साल से अचानक गले में दर्द हुआ, बलगम आ रहा है। सीने में दर्द रहता है। - ओपी शर्मा, आवास विकास, केशवपुरम
- मुरारी लाल चेस्ट में आकर जांच कराएं। फेफड़ों को क्या नुकसान हुआ है। इसका पता चल सकता है।
ø युवाओं को सांस संबंधी बीमारियां बढ़ गई हैं। भर्ती परीक्षा में हांफ रहे हैं। - प्रांशु, दर्शनपुरवा
- जंक फूड से बचें और एक्सरसाइज करें।
ø नौ साल की बेटी है। मौसम बदलने पर अस्थमा की समस्या हो जाती है। - पूनम, गुजैनी
- अस्थमा जैनेटिक समस्या है। कुछ बच्चों में पूरी तरह से सही हो जाता है। नियमित जांच कराएं।
ø पापा को सांस की बीमारी है। कई जगह दिखाया, लेकिन फायदा नहीं है। - पारूल त्रिवेदी, मकसूदाबाद
- सीओपीडी की समस्या हो सकती है। प्रॉपर लंग फंक्शन टेस्ट कराना चाहिए।
ø मेरी उम्र 62 वर्ष है। पांच साल से अस्थमा की दिक्कत है। - सुषमा आहूजा, रतन ऑर्बिट
- एक बार लंग फंक्शन टेस्ट करा लें। अस्थमा की दवाओं की डोज बढ़ानी पड़ सकती है।
- फेफड़ा रोग विशेषज्ञों को दिखाएं। नियमित जांच कराएं।
ø 24 साल उम्र है। हमेशा नाक में लाली रहती है। म्यूकस और कफ काफी बनता है।- अमान खान, सिविल लाइंस
- एलर्जिक राइनेटिस की दिक्कत हो सकती है। ईएनटी स्पेशलिस्ट को दिखाएं।
ø पति को आइएलडी की समस्या है। निमोनिया भी हो गया था। - भागवती अग्निहोत्री, कल्याणपुर
- मरीज को एक बार मुरारी लाल चेस्ट हॉस्पिटल में दिखा लें।
ø 20-25 दिन से लंबी सांस लेने में दाहिनी ओर दर्द होता है। सोते समय गला सूखता है। - विधि, साकेत नगर
- एक बार एक्सरे कराकर जांच कराएं। प्लूराइटिस हो सकता है। फेफड़ों के ऊपर अगर सूजन आ गई तो दिक्कत होती है।
ø सांस की बीमारी और टीबी के प्रमुख कारण क्या है। - एसजी श्रीवास्तव, दबौली वेस्ट
- फेफड़ों की टीबी जीवाणु की वजह से सांसों के द्वारा फैलती है। धूम्रपान से बचें।
ø बाइक चलाने के बाद जुकाम की समस्या होती है। सांस फूलती है। -नीरज सिंह सेंगर, फजलगंज
- मास्क पहनें ताकि नाक में धूल के कण न जाएं।
जागरण के पांच प्रश्न
प्रश्न: प्रदूषण बढऩे पर किस तरह के मरीज आ रहे हैं।
उत्तर- वायु प्रदूषण से दमा और सीओपीडी के मरीजों को ज्यादा दिक्कत हो रही है।
प्रश्न: नेबुलाइजर और इनहेलर कितना फायदेमंद है।
उत्तर - दवाओं के मुकाबले नेबुलाइजर और इनहेलर ज्यादा कारगर हैं। केवल डॉक्टरों की सलाह पर ही लिया जाए।
प्रश्न: सांस रोगियों को केवल सर्दी के समय ही दिक्कत क्यों होती है?
उत्तर- श्वांस रोगियों को हमेशा दिक्कत रहती है। बशर्ते सर्दियों में लक्षण नजर आते हैं।
प्रश्न : पुराने रोगियों को प्रदूषण के समय क्या उपाए करने चाहिए।
उत्तर- सुबह और शाम के समय घर से बाहर न निकलें। मुंह पर मास्क लगाकर रखें। चिकित्सकों से एक बार दवाओं की डोज के लिए परामर्श लें।
प्रश्न: प्रदूषण से जागरूकता के लिए कार्यक्रम चलाया जाना था, उसका क्या हुआ।
उत्तर- मेडिसिन विभाग के डॉक्टरों के साथ मिलकर जल्द ही इसे शुरू कराया जाएगा।