बाबा को है पोते का इंतजार
पोते की छोटी सी गलती ने उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। मुकदमा लड़ने को रुपये नहीं थे, इसलिए वह सजा भुगत रहा है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : पोते की छोटी सी गलती ने उसे इस मुकाम तक पहुंचा दिया। मुकदमा लड़ने को रुपये नहीं थे, इसलिए वह सजा भुगत रहा है। पोता छूट जाएगा तो उसे समझाऊंगा कि अब ऐसी कोई गलती न करे जिससे फिर से कोर्ट कचहरी का मुंह देखना पड़े। गुरुवार को 70 वर्षीय कमलेश ने दैनिक जागरण से यह बात कही। आगामी दो अक्टूबर को पोते की रिहाई की संभावना की बात सुनकर खुश कमलेश ने कहा मैने तो यह मान लिया था कि अब पोते का मुंह नहीं देख पाऊंगा।
बिल्हौर के कहारन टोला निवासी सोनू उर्फ भेली का नाम दो अक्टूबर को रिहा होने वाले बंदियों की सूची में शामिल है। शुक्रवार को दैनिक जागरण उसके घर पहुंचा तो घर में ताला लगा था। पत्नी और मां कहीं काम करने गई थी जबकि भाई भुट्टा बेचने निकला था। बहुत खोजबीन करने के बाद सोनू के बाबा कमलेश से मुलाकात हुई। कमलेश ने बताया कि सोनू कानपुर से किसी लड़की को ले आया था। उसके परिजनों ने पुलिस से शिकायत की तो वह लड़की चली गई। उसके बाद उसने मौसी की बेटी संग शादी कर ली। इस मामले में भी शिकायत हुई तो पुलिस ने उसे असलहा अधिनियम के तहत जेल भेज दिया। पैरवी करने के लिए रुपये नहीं थे, इसलिए कोर्ट में कोई वकील खड़ा नहीं कर सके। सुनवाई पूरी होने के बाद उसे सजा भी हो गई। उसकी रिहाई की आस से एक बार फिर सब कुछ सही होने की उम्मीद को बल मिला है। इस बार उसे समझाएंगे कि बेटा अब सही रास्ते पर चलकर ही जिंदगी बिताना।