मंत्रिमंडल समूह के पास जाएगा रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनी बनाने का मामला

सैन्य उपकरण के लिए देश का दूसरा सबसे पुराना रक्षा प्रतिष्ठान कानपुर में स्थापित है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 19 Jun 2021 01:26 AM (IST) Updated:Sat, 19 Jun 2021 01:26 AM (IST)
मंत्रिमंडल समूह के पास जाएगा रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनी बनाने का मामला
मंत्रिमंडल समूह के पास जाएगा रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनी बनाने का मामला

जागरण संवाददाता, कानपुर : रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनियों में बांटने के लिए कैबिनेट की मुहर के बाद मामला मंत्रिमंडल समूह के पास जाएगा। 'इंपावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर' अंतिम निर्णय लेंगे। देश के सर्वाधिक पांच रक्षा प्रतिष्ठान कानपुर में हैं। इनमें 14 हजार से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। रक्षा प्रतिष्ठानों को कंपनियों में तब्दील किए जाने की घोषणा का सबसे ज्यादा असर इसी शहर के कर्मचारियों पर पड़ा है।

रक्षा प्रतिष्ठानों के निगमीकरण का मामला करीब एक साल से चल रहा है। रक्षा मंत्रालय ने इस ओर बड़ा कदम बढ़ाते हुए सलाहकार व एजेंसी की नियुक्ति के लिए टेंडर निकाला था। इसके बाद उनकी नियुक्ति भी कर दी गई। अब इसे केंद्रीय कैबिनेट ने रक्षा उत्पाद के क्षेत्र में कार्य करने वाली आयुध फैक्ट्रियों को सात कंपनियों में बांटे जाने पर अपनी सहमति दे दी है। कैबिनेट के इस निर्णय के बाद शहर के रक्षा प्रतिष्ठानों के कर्मचारियों में खलबली है। कैबिनेट के इस फैसले का असर शहर में स्थापित पांच रक्षा प्रतिष्ठानों समेत देशभर में संचालित 41 रक्षा प्रतिष्ठानों पर पड़ेगा। सैन्य उपकरण बनाने के लिए देश का दूसरा सबसे पुराना रक्षा प्रतिष्ठान कानपुर में स्थापित है। यहीं पर सबसे अधिक आयुध निर्माणी फैक्ट्रियां भी हैं।

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रक्षा प्रतिष्ठान को मिल चुका है मयूर अवार्ड

देश के दूसरे सबसे पुराने रक्षा प्रतिष्ठान आर्डनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री (ओईएफ) को मयूर अवार्ड से नवाजा जा चुका है। वर्ष 1859 में स्थापित इस फैक्ट्री की स्थापना के बाद शहर में पैराशूट फैक्ट्री, स्माल आ‌र्म्स फैक्ट्री, फील्ड गन फैक्ट्री, आर्डनेंस फैक्ट्री शुरू हुई थीं। कर्मचारियों का मानना है कि इन्हें कंपनी बनाने से गुणवत्ता पर असर पड़ेगा।

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रक्षा प्रतिष्ठानों के खर्चे कम करके इसे पहले की तरह बरकरार रखा जा सकता है। कंपनी बनाए जाने का निर्णय गलत है। इससे कर्मचारियों को नुकसान होने के साथ गुणवत्ता भी प्रभावित हो सकती है।

- आशीष पांडेय, महामंत्री ओईएफ कर्मचारी यूनियन व राष्ट्रीय अध्यक्ष रिपब्लिकन मजदूर फेडरेशन अठावले कॉरपोरेशन लाभ व हानि के नीतियों पर चलते हैं। यह उन्हें काम मिलने व न मिलने पर निर्भर करता है। कार्य की गुणवत्ता अच्छी न होने पर भी ये बंद हो सकते हैं। पेंशन व दूसरी व्यवस्थाओं पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा।

- मुकेश सिंह, राष्ट्रीय महामंत्री भारतीय प्रतिरक्षा मजदूर संघ

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अधिकतम दो मुख्यालय बन सकते हैं कानपुर में

शहर में स्माल आ‌र्म्स व फील्ड गन फैक्ट्रियां हैं। इसके अलावा बड़े हथियार बनाने वाली आर्डनेंस फैक्ट्री भी है। इन तीनों को मर्ज किया जासकता है। इसके अलावा पैराशूट आयुध निर्माणी व आर्डनेंस इक्विपमेंट फैक्ट्री यह दोनों कपड़े से जुड़े हुए सैन्य उत्पाद बनाती हैं। इन्हें अलग से मर्ज किया जा सकता है। इस प्रकार फैक्ट्रियों को कंपनियों में बांटने के बाद शहर में दो मुख्यालय बनाए जा सकते हैं।

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निगमीकरण का पुतला फूकेंगे कर्मचारी

आर्डनेंस फैक्ट्रियों का निगमीकरण करने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को ओईएफ फूलबाग के मुख्य द्वार पर किला मजदूर यूनियन, इंप्लाइज यूनियन व ओईएफ मजदूर संघ के संयुक्त मोर्चे के तत्वाधान में केंद्र सरकार के खिलाफ नारेबाजी की गई। संयुक्त मोर्चे के नेता समीर बाजपेई ने कहा कि इस बार निगमीकरण के खिलाफ रक्षा कर्मी आर-पार की लड़ाई लड़ने को पूरी तरह में तैयार हैं। शनिवार को ओईएफ गेट पर निगमीकरण का पुतला फूंका जाएगा। प्रदर्शनकारियों में महेंद्र यादव, जफर अहमद, शान मोहम्मद, योगेंद्र चौहान, कमलापति पटेल, महेंद्र नाथ, नीरज सिंह, पीके चटर्जी समेत अन्य कर्मचारी मौजूद रहे।

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