आइआइटी में विकसित होगी सैन्य उपकरणों की तकनीक, स्टार्टअप को दिया जाएगा बढ़ावा
डिफेंस कॉरीडोर के लिए आइआइटी में सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिफेंस टेक्नोलॉजी स्थापित करने की प्रक्रिया हुई तेज।
कानपुर (जागरण स्पेशल)। देश को बेहतरीन टेक्नोक्रेट देने वाला आइआइटी अब सैन्य उपकरणों की तकनीक विकसित करेगा। प्रदेश में बनने वाले डिफेंस कॉरीडोर के लिए आइआइटी में 'सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिफेंस टेक्नोलॉजी स्थापित करने की प्रक्रिया तेज हो गई है। डिफेंस कॉरीडोर में स्थापित की जाने वाली कंपनियों की तकनीकी पेचीदगियों को इस सेंटर में दूर किया जाएगा। उनके आइडिया व जरूरत के अनुसार आइआइटी नई तकनीक भी विकसित करेगा।
सैन्य उपकरण बनाने के क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों को सहायता देने के साथ आइआइटी इस सेंटर के जरिये स्टार्टअप को बढ़ावा देगी। यह सेंटर चालू वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा। संस्थान के उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने इस संबंध में प्रदेश सरकार के पास मसौदा भेजा है। आइआइटी के प्रोफेसर, वैज्ञानिक व छात्रों की सोच को प्रदेश की तरक्की से जोडऩे के लिए प्रदेश सरकार लगातार आइआइटी प्रशासन के साथ बैठक कर रही है। कानपुर, लखनऊ, आगरा, चित्रकूट, अलीगढ़ व झांसी में डिफेंस कॉरीडोर स्थापित किया जाना है।
विदेशों पर नहीं रहेगी निर्भरता
एयरक्रॉफ्ट, टैंक व रॉकेट लांचर जैसे सैन्य हथियारों के कई पुर्जे विदेशों से मंगाने पड़ते हैं। विदेशों पर निर्भरता खत्म करने के लिए आइआइटी में होने वाले अनुसंधानों से सैन्य उत्पाद बनाने की योजना है। निजी कंपनियों के सहयोग से आइआइटी छोटे-छोटे मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र भी स्थापित करेगा।
टेलीस्कोप व विशेष कपड़ों आदि की तकनीक पर होगा काम
सैन्य उपकरणों का दायरा बहुत व्यापक है। इसमें केवल हथियार के कलपुर्जे ही नहीं बल्कि टेलीस्कोप, सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए विशेष कपड़े, स्पेशल बूट व दुश्मनों को ट्रेस करने समेत कई अन्य उपकरण भी आते हैं। उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि तकनीक का इस्तेमाल सैन्य उपकरणों को बनाने में किए जाने की जरूरत है। आइआइटी इस कार्य के लिए हमेशा तैयार है। सेना की जरूरत के आधार पर कई तकनीक विकसित की जाएगी, जबकि इन उपकरणों का निर्माण करने वाली कंपनियों की सहायता भी आइआइटी करेगा। यहां ऐसा स्टार्टअप भी स्थापित किया जाएगा जिसमें आइडिया देने वाले युवाओं को मौका मिलेगा।
सैन्य उपकरण बनाने के क्षेत्र में काम करने वाली निजी कंपनियों को सहायता देने के साथ आइआइटी इस सेंटर के जरिये स्टार्टअप को बढ़ावा देगी। यह सेंटर चालू वित्तीय वर्ष में बनकर तैयार हो जाएगा। संस्थान के उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने इस संबंध में प्रदेश सरकार के पास मसौदा भेजा है। आइआइटी के प्रोफेसर, वैज्ञानिक व छात्रों की सोच को प्रदेश की तरक्की से जोडऩे के लिए प्रदेश सरकार लगातार आइआइटी प्रशासन के साथ बैठक कर रही है। कानपुर, लखनऊ, आगरा, चित्रकूट, अलीगढ़ व झांसी में डिफेंस कॉरीडोर स्थापित किया जाना है।
विदेशों पर नहीं रहेगी निर्भरता
एयरक्रॉफ्ट, टैंक व रॉकेट लांचर जैसे सैन्य हथियारों के कई पुर्जे विदेशों से मंगाने पड़ते हैं। विदेशों पर निर्भरता खत्म करने के लिए आइआइटी में होने वाले अनुसंधानों से सैन्य उत्पाद बनाने की योजना है। निजी कंपनियों के सहयोग से आइआइटी छोटे-छोटे मैन्यूफैक्चरिंग केंद्र भी स्थापित करेगा।
टेलीस्कोप व विशेष कपड़ों आदि की तकनीक पर होगा काम
सैन्य उपकरणों का दायरा बहुत व्यापक है। इसमें केवल हथियार के कलपुर्जे ही नहीं बल्कि टेलीस्कोप, सैनिकों को ठंड से बचाने के लिए विशेष कपड़े, स्पेशल बूट व दुश्मनों को ट्रेस करने समेत कई अन्य उपकरण भी आते हैं। उपनिदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने बताया कि तकनीक का इस्तेमाल सैन्य उपकरणों को बनाने में किए जाने की जरूरत है। आइआइटी इस कार्य के लिए हमेशा तैयार है। सेना की जरूरत के आधार पर कई तकनीक विकसित की जाएगी, जबकि इन उपकरणों का निर्माण करने वाली कंपनियों की सहायता भी आइआइटी करेगा। यहां ऐसा स्टार्टअप भी स्थापित किया जाएगा जिसमें आइडिया देने वाले युवाओं को मौका मिलेगा।