मेडिकल छात्रा अमृता का मौत से पहले लिखा आखिरी खत बयां कर रहा अवसाद और गम की कहानी

अमृता के गंगा में कूदकर जान देने से घरवाले और सहपाठी छात्राएं स्तब्ध हैं।

By AbhishekEdited By: Publish:Sat, 25 Jan 2020 11:03 AM (IST) Updated:Sat, 25 Jan 2020 11:03 AM (IST)
मेडिकल छात्रा अमृता का मौत से पहले लिखा आखिरी खत बयां कर रहा अवसाद और गम की कहानी
मेडिकल छात्रा अमृता का मौत से पहले लिखा आखिरी खत बयां कर रहा अवसाद और गम की कहानी

कानपुर, जेएनएन। बैराज पुल पर स्कूटी खड़ी करने के बाद गंगा में कूदकर मेडिकल छात्रा अमृता सिंह की आत्महत्या से सहपाठी छात्राएं स्तब्ध हैं। घरवाले भी इस बात को समझ नहीं पा रहे है कि आखिर उसने इतना बड़ा कदम क्यों उठा लिया। वह होनहार छात्रा होने के साथ पढ़ाई को लेकर बेहद संवदेनशील थी और सकारात्मक सोच रखने वाली थी। लेकिन, पुलिस को जो सुसाइड नोट मिला है, उसने अपनी जिंदगी से जुड़ी कई अहम बातों लिखकर सभी को हैरान कर दिया है। जानिए-अमृता ने सुसाइड नोट में क्या लिखा...।

आई एम सारी,

मुझे इतना कमजोर होने के लिए माफ करें। मुझे किसी बात का डर है जिसकी वजह से मैं इतना कमजोर महसूस कर रही हूं। यह किसी एग्जाम में पास या फेल होने का डर नहीं है, मुझे लगातार कमजोर होने का दर्द है। मुझे नहीं पता कि मैं बच पाऊंगी या नहीं, लेकिन मैं इस दर्द के साथ अब नहीं रह सकती जो मुझे रोज अंदर ही अंदर मार रहा है। मुझे नहीं पता कि मैं क्या करने जा रही हूं, लेकिन मैं इस दर्द के साथ नहीं रह सकती। इतनी लंबी तैयारी के बाद भी मुझे कुछ समझ नहीं आता कि परीक्षा में सफलता के लिए क्या चाहिए।

मैं इतनी परेशान हूं कि अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रीत नहीं कर पा रही हूं। मेरी सबसे अच्छी सहेली आयुषी ने कहा कि तुम सफल होगी, लेकिन यह बात मेरे दिमाग में घुसती ही नहीं। मुझे माफ कर दो मम्मी पापा मैं आपकी बहादुर बेटी नहीं बन सकी। मैं मानती हूं कि जिंदगी में मैं इतना कमजोर पहले कभी नहीं हुई। मैं सच में जीना चाहती हूं, लेकिन इतना साहस नहीं है कि इन छोटी-मोटी समस्याओं का सामना कैसे करूं। दोस्तों से पूछो कि मै कितनी मतलबी, होशियार, नाजुक और मूर्ख लड़की हूं।

शायद यह पहले भी हो चुका है जो मूर्खतापूर्ण है, लेकिन मैं आज इसका भी जिक्र जरूर करूंगी। मैं सातवीं कक्षा में भी आत्महत्या की कोशिश कर चुकी हूं। मुझे परीक्षा में डर लगता था, लेकिन मैं पास हो गई। इसके बाद बोर्ड परीक्षा में मैंने दोबारा कोशिश की, क्योंकि मुझे लग रहा था कि मैं परीक्षा की अच्छी तरह से तैयारी नहीं कर पाऊंगी। पास नहीं हो पाऊंगी, लेकिन मैं पास हो गई।

मैं, इस बीच अमृत सर का जरूर जिक्र करूंगी, जिन्होंने मुझे समस्याओं से लडऩा सिखाया। मैं सामान्य अध्ययन (सोशल स्टडीज) में अच्छी नहीं थी। उन्होंने मुझे इसके नोट्स दिए। मैंने उनसे कहा कि सोशल स्टडीज समझ नहीं आती, लेकिन उन्होंने मुझे परीक्षा में अच्छी हैंडराइटिंग के लिए अतिरिक्त पांच नंबर दिए। उन्होंने मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने मुझे चीजों को लिखना और व्यक्त करना सिखाया। 12वीं कक्षा में भी अगर मैं फिजिक्स में पास नहीं होती तो आत्महत्या कर लेती, लेकिन मैं पास हो गई।

आईएम सो सारी पापा-मम्मी

मैं ऐसी लड़की नहीं हूं जिस पर आप गर्व कर सकें। मुझे पता है कि मैं बुरा कर रही हूं, लेकिन मैं अब और बहादुर नहीं हो सकती। मैं बहुत परेशान हूं। बहुत कोशिश की पर अब इससे ज्यादा नहीं कर पाऊंगी। आपकी बेटी बहुत कमजोर पड़ गई...। आपके जीवन में निराशा बनने के लिए मुझे माफ करना...। अगला जन्म होगा भी या नहीं। अगले जन्म में आप जैसे माता-पिता व परिवार मिलेगा भी या नहीं। 'आइ फील सो टेरिबल राइट नाऊ। एट लास्ट, आइ एम सॉरी फॉर ऑल दिस, आइ लव यू मां-पा, बाय..'। यह दर्द भरा सुसाइड नोट छात्रा अमृता ने गंगा में कूदने से पहले लिखा है। अंत में उसने लिखा...आनुषी अगर संभव हो तो मेरे ट्राली बैग में रखी डायरी ले लेना। -अमृता

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