सुब्रत पाठक ने बोला अखिलेश पर हमला, कहा- ब्राह्मण वोट से सत्ता हासिल कर प्रदेश को लूटने का देख रहे सपना

सपा मुखिया द्वारा भगवान परशुराम की मूॢत लगवाने के बयान पर दी प्रतिक्रिया।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 02:48 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 02:48 PM (IST)
सुब्रत पाठक ने बोला अखिलेश पर हमला, कहा- ब्राह्मण वोट से सत्ता हासिल कर प्रदेश को लूटने का देख रहे सपना
सुब्रत पाठक ने बोला अखिलेश पर हमला, कहा- ब्राह्मण वोट से सत्ता हासिल कर प्रदेश को लूटने का देख रहे सपना

कन्नौज, जेएनएन। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव द्वारा भगवान परशुराम की मूर्ति लगवाने की घोषणा करने पर भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने हमला किया है। उन्होंने कहा कि जय श्रीराम का विरोध करने वाले अखिलेश यादव जय परशुराम के जरिए ब्राह्मणों का वोट पाकर फिर से सत्ता हासिल कर उत्तर प्रदेश को लूटने का सपना देख रहे हैं।

कहा समाज की एकता को तोडऩे का रच रहे प्रपंच

जीटी रोड स्थित एक निजी होटल में प्रेस वार्ता करते हुए सांसद सुब्रत पाठक ने कहा कि अच्छा होगा कि अखिलेश यादव हमारे महापुरुषों और भगवान को जातियों में न बांटें। कहा कि राम-क्षत्रिय, कृष्ण-यादव और परशुराम-ब्राह्मण बताकर अखिलेश संगठित हुए समाज की एकता को तोडऩे का प्रपंच रच रहे हैं। कहा कि अखिलेश यादव निर्दोष राम भक्तों के हत्यारे अपने पिता से यदि पूछेंगे तो उनके पिता उन्हेंं बता देंगे कि इस देश का ब्राह्मण जातिवादी नहीं बल्कि राष्ट्रवादी है और भारत माता की पूजा करता है।

सपा सरकार में ब्राह्मणों के साथ अन्याय और अत्याचार के आरोप लगाते हुए कहा कि वह अखिलेश से पूछना चाहते हैं कि मूर्ति लगवाना ब्राह्मण वोट लेने का हथकंडा है या पिता-पुत्र दोनों की सरकारों में ब्राह्मणों पर हुए अत्याचारों का प्रायश्चित है। जिस समाजवादी विचारधारा का जन्म ही ब्राह्मणों के विरोध में हुआ हो, वह आज ब्राह्मण वोट के लिए प्रपंच रच रहे हैं। उन्होंने अखिलेश यादव पर कन्नौज में साल 2004 में नीरज मिश्रा की हत्या करवाने का आरोप लगाया। कहा कि वह हत्या अखिलेश के इशारे पर हुई थी। तब वह सत्ता का दुरुपयोग कर बच गए थे। सांसद ने कहा कि अखिलेश यादव ने अपने विधायकों के लिए खास हिदायत जारी की है कि ब्राह्मणों की कोई मदद न की जाए। अखिलेश यादव जब मुख्यमंत्री बने तो नौकरी में भी ब्राह्मणों के साथ भेदभाव हुआ। आरोप लगाया कि मेरिट में ब्राह्मण के नंबर कम कर दिए जाते थे और मुख्यमंत्री के स्वजातीय के नंबर बढ़ा दिए जाते थे। 

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