अब छात्रों के लिए पीएचडी करना होगा कठिन, नई शिक्षा नीति में एमफिल खत्म करने पर विश्वविद्यालय में बढ़ेगा शोधार्थियों का दबाव
नई शिक्षा नीति में एमफिल खत्म करने के बाद छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय सीएसजेएमयू में पीएचडी अभ्यर्थियों की संख्या बढऩा तय है। दूसरे प्रदेशों से भी अभ्यर्थी आएंगे जिसके चलते उनके बीच कड़ा मुकाबला होगा दूसरे प्रदेशों से आवेदन आने के कारण सुपरवाइजर मिलने की चुनौती भी होगी सामने
कानपुर, जेएनएन। नई शिक्षा नीति में एमफिल खत्म करने के बाद छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय सीएसजेएमयू में पीएचडी अभ्यर्थियों की संख्या बढऩा तय है। दूसरे प्रदेशों से भी अभ्यर्थी आएंगे, जिसके चलते उनके बीच कड़ा मुकाबला होगा। अभ्यर्थियों की संख्या अधिक होने से सुपरवाइजर मिलना भी एक बड़ी चुनौती होगी क्योंकि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग यूजीसी ने इसके लिए जो योग्यता रखी है उसके अनुरूप उनकी तलाश आसान नहीं होगी।
शोधार्थियों को प्री-पीएचडी कोर्स वर्क के दौरान अपने विषय के अलावा रिसर्च व पब्लिक एथिक्स पाठ्यक्रम की पढ़ाई भी करनी होती है। इसके लिए यूजीसी ने क्रेडिट कोर्स डिजाइन किया है। इसमें शोधार्थियों को कुछ नया तलाशने के साथ सभी बिंदुओं को विस्तार से बताना होगा। अपनी शोध में शोधार्थियों को नैतिकता का ख्याल रखना होगा। प्री-पीएचडी के लिए जो कोर्स तैयार किया गया है उसमें शोध प्रविधि व संबंधित विषय की पढ़ाई होती है। अगर इनमें से एक भी बिंदु शामिल नहीं करते हैं तो शोधार्थियों थीसिस निरस्त हो सकती है।
पीएचडी के लिए सुपरवाइजर व छात्र संख्या
एक प्रोफेसर: आठ शोधार्थियों को पीएचडी करा सकता है
एक एसोसिएट प्रोफेसर: छह शोधार्थियों को पीएचडी करा सकता है
एक असिस्टेंट प्रोफेसर: चार शोधार्थियों को पीएचडी करा सकता है
परास्नातक महाविद्यालयों में 10 वर्ष पढ़ाने का अनुभव अनिवार्य है
वर्तमान स्थिति
पीएचडी के लिए विश्वविद्यालय में 27 विषय हैं
इन विषयों में सात सौ छात्र छात्राएं पीएचडी कर रहे हैं
उन्हेंं दिशा निर्देश देने के लिए आठ सौ सुपरवाइजर हैं
छह वर्ष पहले बंद हो गया एमफिल का कोर्स
छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में एमफिल का कोर्स छह वर्ष पहले बंद हो गया था। सत्र 2013-14 में एमफिल के कई विषयों में सीटें खाली रहने के कारण विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय लिया था। असिस्टेंट प्रोफेसर बनने के लिए एमफिल की योग्यता खत्म होने से यह कोर्स बंद हो गया था। सीएसजेएमयू में एमफिल के आठ कोर्स चलाए जा रहे थे जिसमें 25-25 सीटें थीं।
इनका ये कहना
पीएचडी के स्तर में गुणात्मक सुधार हुआ है। जब तक छनकर शोध सामने नहीं आएगी, वह अवार्ड नहीं हो सकती। इसकी शुरूआत हो चुकी है। अच्छे शोधार्थियों को ही मौका मिलेगा।
डॉ. गायत्री सिंह, हिंदी विषय की रिसर्च डिग्री कमेटी की संयोजक व प्राचार्य अर्मापुर डिग्री कॉलेज
इनका ये कहना
शोध कार्य की गुणवत्ता के लिए कड़ाई जरूरी है। इससे निकलकर जो छात्र छात्राएं सामने आएंगे वह निश्चित रूप से काबिल होंगे। एमफिल खत्म होने के बाद उनके बीच प्रतिस्पर्धा बढऩा तय है।
डॉ. बीडी पांडेय, अंग्रजी विषय की रिसर्च डिग्री कमेटी के संयोजक व वरिष्ठ शिक्षक पीपीएन डिग्री कॉलेज
इनका ये कहना
छात्र संख्या के अनुसार सुपरवाइजर की संख्या बढ़ाई जाएगी। इसके लिए यूजीसी के मानकों को ध्यान में रखा जाएगा। गुणवत्तापूर्ण शोध के लिए सुपरवाइजर व शोधार्थी दोनों को तय मानकों से गुजरना होगा।
प्रो. नीलिमा गुप्ता, कुलपति सीएसजेएमयू