कानपुर मेडिकल कालेज में हड़ताल, इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठे जेआर, ओपीडी सेवाएं भी प्रभावित
250 जेआर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन और ओपीडी सेवाओं के कार्य बहिष्कार के सातवें भी जारी रहा। इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठे जेआर का कहना था कि जहां एक तरफ कहा जाता है कि देश में डाक्टरों की कमी है।
कानपुर, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा स्नातकोत्तर (नीट पीजी) की काउंसलिंग में विरोध में जूनियर रेजीडेन्ट (जेआर) की राष्ट्रव्यापी हड़ताल शुक्रवार सुबह से आक्रामक हो गई। जीएसवीएम मेडिकल कालेज में शुक्रवार को जेआर-टू के समर्थन में जेआर-थ्री भी हड़ताल में शामिल हो गए हैं। इस वजह से एलएलआर (हैलट) एवं संबद्ध अस्पतालों में शुक्रवार सुबह से रुटीन के आपरेशन टालने पड़ गए। वहीं, कंसल्टेंट ओपीडी में मरीजों का इलाज करने में जुटे रहे। जेआर ने ओपीडी का पंजीकरण काउंटर आधा घंटे के लिए बंद करा दिया, जिसे एलएलआर अस्पताल (हैलट) के प्रमुख अधीक्षक के हस्तक्षेप पर दोबारा खोला गया। हालांकि एलएलआर इमरजेंसी में सेवाएं बहाल रहीं। इमरजेंसी और आइसीयू में इलाज की कमान सीनियर रेजीडेन्ट संभालने रहे।
उधर, मेडिकल कालेज के 250 जेआर ने शांतिपूर्ण प्रदर्शन और ओपीडी सेवाओं के कार्य बहिष्कार के सातवें भी जारी रहा। इमरजेंसी के बाहर धरने पर बैठे जेआर का कहना था कि जहां एक तरफ कहा जाता है कि देश में डाक्टरों की कमी है, वहीं दूसरी तरफ 40 से 50 हजार डाक्टर अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार हैं। उनके पूरे बैच को एडमिशन ही नहीं दिया जा रहा है। डेढ़ साल से बिना जेआर-वन के जूनियर रेजीडेन्ट दिन रात काम कर रहे हैं। फिर भी कोई सुनवाई नहीं हो रही है। ऐसे में जेआर चिकित्सकीय सेवाओं का बहिष्कार करने के लिए मजबूर हुए हैं। मरीजों को होने वाली समस्याओं के लिए सरकार जिम्मेदार है।
जेआर ने गांधीगीरी कर बताई मजबूरी: जीएसवीएम और हैलट के जूनियर रेजीडेंट ने मरीजों को अपनी मजबूरी बतलाने के लिए गुरुवार शाम और शुक्रवार सुबह हर वार्ड में भर्ती मरीजों के पास जाकर उन्हें अपनी समस्या बताई। जेआर ने मरीजों और उनके तीमारदारों के बीच जूस और खाद्य सामग्री वितरित की। उन्होंने यह भी बताया कि आखिर कार्य बहिष्कार करके धरने पर बैठे हैं। जेआर ने उन्हें समझाया। जेआर की स्थिति और हाल जानकर मरीजों ने भी सहानुभूति जताई।
सिर्फ आपरेशन से हुए प्रसव: जीएसवीएम मेडिकल कालेज के अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में सीनियर रेजीडेन्ट सीजेरियन प्रसव कराती रहीं। तीन बजे तक 15 सीजेरियन प्रसव कराने जा चुके थे। सीएमएस डा. रीता गुप्ता ने शाम और रात की शिफ्ट में अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ की तैनाती की गई है। साथ ही विभाग की फैकल्टी को सुबह और शाम को राउंड लेने के लिए कहा गया है। आनकाल भी तैयार रहने के लिए कहा गया है।
यहां नहीं हुए आपरेशन: जनरल सर्जरी विभाग, आर्थोपेडिक विभाग, न्यूरो सर्जरी विभाग, नेत्र रोग विभाग, नाक कान गला विभाग में रुटीन के सभी आपरेशन टाल दिए गए। इसकी वजह एनस्थीसिया विभाग के जेआर-टू और जेआर-थ्री का नहीं आना रहा। सिर्फ इमरजेंसी में अति गंभीर मरीजों की सर्जरी ही हो सकी।
इनका ये है कहना
इमरजेंसी सेवाएं पूरी तरह से बहाल हैं। ओपीडी का जेआर ने बहिष्कार किया है। हालांकि कंसल्टेंट के साथ सीनियर रेजीडेन्ट, नान पीजी जूनियर रेजीडेन्ट और इंटर्न छात्र-छात्राएं ओपीडी व इनडोर की व्यवस्था संभालने हुए हैं। इमरजेंसी में सिर्फ गंभीर मरीजों का ही इलाज किया जा रहा है। अतिरिक्त नर्सिंग स्टाफ की तैनाती भी की गई है। - प्रो. आरके मौर्या, प्रमुख अधीक्षक, एलएलआर अस्पताल।