शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का राज

सड़कों पर धमाचौकड़ी मचा रहे करीब पांच लाख आवारा जानवर ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 22 Aug 2018 01:08 AM (IST) Updated:Wed, 22 Aug 2018 01:08 AM (IST)
शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का राज
शहर की सड़कों पर आवारा जानवरों का राज

जागरण संवाददाता, कानपुर : इस शहर के अफसर न जाने किस मर्ज की दवा हैं। पीने को शुद्ध, पर्याप्त पेयजल मुहैया नहीं करा सके। स्वच्छता का ढिंढोरा पीटते रहे और गंदगी के ढेर कहीं से मिटे नहीं। सड़कें टूटी-उखड़ी पड़ी हैं। हद तो ये है कि ये इस काबिल भी नहीं कि आवारा जानवरों को भी पकड़वा सकें। लगभग पांच लाख आवारा जानवर यूं खुलेआम सड़कों पर धमाचौकड़ी मचा रहे हैं कि ये शहर कम, चिड़ियाघर ज्यादा नजर आने लगा है।

कुछ शहरों में बुलेट ट्रेन चलाने की तैयारी हो रही है और एक अपना कानपुर है, जहां चलने के लिए सड़कें तक नहीं बची हैं। दर्द सिर्फ इतना नहीं कि सड़कें टूटी-फूटी हैं, बल्कि उससे अधिक परेशानी का सबब आवारा जानवर बने हैं। किसी शहर में कुत्तों की समस्या होगी तो किसी में आवारा सांड की, कहीं बंदरों का आतंक होगा तो कहीं सूअरों की धमाचौकड़ी। मगर, कानपुर ऐसा है, जहां सभी आवारा जानवर आपको बहुतायत में मिलेंगे। दरअसल, यह जानवर बेलगाम नहीं, बल्कि सिस्टम या कहें नौकरशाही बेलगाम है। नगर निगम की जिम्मेदारी है कि आवारा जानवरों को पकड़े। इसके लिए अलग से विभाग है। अधिकारी-कर्मचारी हैं, जो मोटी तनख्वाह भी ले रहे हैं, लेकिन काम कुछ भी नहीं। बंदर पकड़ने की बात करें तो नगर निगम और वन विभाग एक-दूसरे के पाले में गेंद डाल देते हैं। आवारा जानवरों के खिलाफ अभियान के नाम पर एक-दो सड़कों से चार-पांच गाय या सांड कभी पकड़ लिए जाते हैं और अधिकारी फिर सो जाते हैं कुंभकर्ण की नींद।

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जानवरों की बढ़ती आबादी

कुत्ते- 1,75,000

सुअर- 1,50,000

बंदर- 1,00000

सांड- 30,000

गाय- 20,000 ---

क्या ऐसे शहर में आएंगे निवेशक

प्रदेश के साथ कानपुर में भी औद्योगिक निवेश के लिए सरकार प्रयास कर रही है। निवेश के पहले शहर में बाहर के प्रतिनिधि आएंगे तो क्या छवि लेकर जाएंगे। इस बात की चिंता अधिकारियों को नहीं। अगले तबादले के इंतजार में काम करने वाले अफसरों से भला उम्मीद भी क्या की जाए, शहर के जनप्रतिनिधि भी समस्या के प्रति गंभीर नजर नहीं आते।

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'आवारा जानवर और इंसान साथ रह रहे हैं। सूअर, कुत्ते, बंदर परेशान करते हैं, जबकि गायों की दुर्दशा देखकर दुख होता है। अधिकारियों को इस गंभीर समस्या पर विचार कर मिल-बैठकर हल निकालना होगा। - अमिताभ बाजपेयी, विधायक, आर्यनगर

''मैं आवारा जानवरों के मुद्दे को विधानसभा में उठाऊंगा। इनकी वजह से हादसे हो रहे हैं, जिसके लिए सरकार और नगर निगम जिम्मेदार हैं। अधिकारी जानवर पकड़वाएं या अपनी कुर्सी छोड़ें। उन्हें जिस काम का वेतन मिलता है, वह काम तो करें। - इरफान सोलंकी, विधायक, सीसामऊ

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''मुख्यमंत्री व्यवस्थाओं संबंधी बैठक में अक्सर इस विषय पर चिंता व्यक्त करते हैं। गोवंश सड़कों पर आवारा न घूमें, इसके लिए सरकार ने गौशालाओं की बहुत अच्छी योजना बनाई है। समाज से अपील की है कि प्रबुद्धजन इसके लिए आगे आएं और संचालन समितियां बनाएं। - नीलिमा कटियार, विधायक, कल्याणपुर

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'' शेखपुर में एक हजार गाय रखने के लिए गौशाला बनेगी। प्रोजेक्ट को मंजूरी मिल गई है। जल्द ही काम शुरू होगा। कुत्तों को पकड़ने और बंध्याकरण के लिए कोई टेंडर नहीं आया फिर से टेंडर मांगा जाएगा।

- संतोष कुमार शर्मा, नगर आयुक्त

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