प्रदूषण का स्तर ना बताने वाली आतिशबाजी से रहें दूर

कोरोना को देखते हुए डॉक्टर लगातार चेता रहे हैं कि पटाखाखों का धुआं संक्रमित रह चुके लोगों के लिए हानिकारक हो सकता है। ऐसे में हमारी भी जिम्म्ेदारी है कि ऐसे लोगों का ध्यान रखें।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 09:46 PM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 09:46 PM (IST)
प्रदूषण का स्तर ना बताने वाली आतिशबाजी से रहें दूर
प्रदूषण का स्तर ना बताने वाली आतिशबाजी से रहें दूर

जागरण संवाददाता, कानपुर : कोरोना को देखते हुए डॉक्टर लगातार चेता रहे हैं कि पटाखों का धुआं संक्रमित रह चुके लोगों के लिए घातक साबित हो सकता है। शहर में संक्रमितों की संख्या 28 हजार के करीब पहुंच चुकी है। ऐसे में हर मोहल्ले में कोई ना कोई ऐसा परिवार है, जिसमें पिछले छह सात माह में कोई न कोई संक्रमित हुआ है। इनके स्वास्थ्य और सुरक्षा का ध्यान रखना भी हम सबकी जिम्मेदारी है। इसलिए दीपावली पर अगर आतिशबाजी चलाएं भी तो वही चलाएं जिन पर साफ लिखा हो कि उससे निकलने वाले प्रदूषण का स्तर क्या है।

इससे पहले से पता चल जाएगा कि जो पटाखा फोड़ने जा रहे हैं, वह पर्यावरण को कितना नुकसान पहुंचाएगा।

पिछले वर्ष कई कंपनियों ने कम प्रदूषण वाले पटाखे लाने की बात कही थी। इसके साथ ही वृक्ष बचाओ के संदेश भी पटाखों के पैकेट पर प्रिट किए थे। इसमें आतिशबाजी बनाने वाली कंपनियों ने यहां तक लिखा था कि प्रदूषण बचाने के लिए उन्होंने कितने वृक्ष लगाए हैं। फुलझड़़ी सबसे ज्यादा लोग चलाते हैं और यह शरीर के बहुत करीब भी होती है। इसलिए इसके धुएं का असर लोगों पर ज्यादा होता है। इसलिए पिछले वर्ष कंपनियों ने इसमें शामिल किए जाने वाले केमिकल की जानकारी भी बॉक्स पर दी थी। उससे कितना प्रदूषण होगा यह भी बताया था। कारोबारियों के मुताबिक पिछले वर्ष कई कंपनियों ने अपनी आतिशबाजी में 35 से 40 फीसद तक कम प्रदूषण की बात कही थी। इस बार भी ऐसी बात कही जा रही है।

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