कानपुर में खुद की पीठ थपथपाने के लिए अधिकारी मौतों का भी कर रहे सौदा, संक्रमितों की संख्या में हो रही हेराफेरी

कोविड से हो रही मौतों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के दावों की सत्यता संदिग्ध बन गई है। दैनिक जागरण की पड़ताल में जो तथ्य सामने आए उसके बाद बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है।

By Akash DwivediEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 12:09 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 05:13 PM (IST)
कानपुर में खुद की पीठ थपथपाने के लिए अधिकारी मौतों का भी कर रहे सौदा, संक्रमितों की संख्या में हो रही हेराफेरी
अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है
केस एक : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक ग्रेस अस्पताल में तीन मई को पांंच और पांच मई को तीन मौतें हुईं। जब जागरण ने अस्पताल प्रशासन से मई के पांच दिनों में मौतों का विवरण मांगा तो पता चला कि केवल दो मौतें ही हुईं। केस दो : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक न्यू लीलामणि में तीन मई को छह, चार मई तो तीन और पांच मई को एक मौत हुई। जब अस्पताल प्रशासन से इन पांच दिनों में मौतों का विवरण मांगा तो पता चला कि केवल तीन मौतें ही हुईं। केस तीन : सरकारी आंकड़ों के मुताबिक मेडीहेल्थ में तीन मई को तीन और चार मई को चार मौतें हुईं। जब अस्पताल प्रशासन से इन पांच दिनों में मौतों का विवरण मांगा गया तो पता चला कि एक और दो मई को तीन-तीन, तीन और चार मई को दो-दो और पांच मई को एक मौत हुई। यानी 11 मौतें हुईं।

कानपुर, जेएनएन। ये तीन उदाहरण कोरोना को लेकर हो रही मौतों की संख्या में सरकारी फर्जीवाड़े का खेल उजागर कर रहे हैं। दैनिक जागरण जब पड़ताल की तो सामने आया कि जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग मौतों को लेकर रोजाना जो आंकड़े पेश कर रहा है, उसमें हेराफेरी हो रही है। चौंकाने वाली बात ये है कि कई निजी अस्पतालों में मौतों का आंकड़ा बेहद अधिक दर्शाया जा रहा है तो कई ऐसे हैं, जहां मौतें अधिक हुईं, लेकिन दर्शाया कम गया। अब सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है।

कहीं सरकारी दामन साफ करने की कोशिश तो नहीं : कोविड से हो रही मौतों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के दावों की सत्यता संदिग्ध बन गई है। दैनिक जागरण की पड़ताल में जो तथ्य सामने आए, उसके बाद बड़ा सवाल यह है कि आखिर ऐसा क्यों किया जा रहा है। नाम न छापने की शर्त पर एक अस्पताल संचालक ने दावा किया कि स्वास्थ्य विभाग मौतों के आंकड़ों को लेकर मनमाफिक कागजी दावे तैयार कर रहा है, ताकि जब अधिक मौतों पर जांच की आंच आए तो ठीकरा निजी अस्पतालों पर फोड़ा जा सके।

एक लाइन लिखकर कर रहे बचाव : जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग जो प्रेस विज्ञप्ति जारी कर रहा है, उसमें एक लाइन लिखकर अपने बचाव का तरीका भी निकाला है। किस अस्पताल में कितनी मौतें हुई, उनका विवरण दर्ज करने के बाद नीचे लिख दिया कि पोर्टल से विलंब से अपडेट किया गया है। ऐसा इसलिए है ताकि कोई सवाल उठाए तो तर्क दिया जा सके कि आंकड़े देरी से लिए गए, इसलिए इनमें अंतर है। सवाल ये है कि अंतर एक दो का हो सकता है, जबकि यह कई गुना है।

पोर्टल पर रोजाना दर्ज कराने होते हैं आंकड़े : नियमों के मुताबिक कोविड अस्पतालों को नए संक्रमितों की संख्या, स्वस्थ हुए मरीजों की संख्या और मृतकों की संख्या रोजाना कोविड पोर्टल में दर्ज करानी होती है। अस्पताल इस प्रक्रिया का पालन भी कर रहे हैं। ऐसे में पोर्टल पर विलंब से सूचना दर्ज होने का तर्क कहां तक सही है।

कोविड अस्पतालों में एक से पांच मई तक मौतों का सरकारी आंकड़ा : हैलट में 17, सेवन एयरफोर्स में दो, रामा मेडिकल कॉलेज में नौ, कांशीराम चिकित्सालय में 19, नारायणा हॉस्पिटल में 10, रीजेंसी अस्पताल में एक, जीटीबी में 14, एसआइएस में सात, कुलवंती में आठ, फाच्र्यून में 12, केएमसी में एक, मरियमपुर में सात, मधुराज में दो, कृष्णा में पांच, ग्रेस हास्पिटल में आठ, अपोलो में छह, चांदनी में एक, न्यू लीलामणि में 10, जेएल रोहतगी में दो, लाइफट्रॉन में एक, फैमिली में एक, मेडीहेल्थ में सात और प्रिया हॉस्पिटल में छह की मौत।  

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